करोडो खर्च, नहीं पहुंचती जनता तक योजनाएंे

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Published on : 27 Apr, 17 08:04

के.डी.अब्बासी

करोडो खर्च, नहीं पहुंचती जनता तक योजनाएंे सरकार अपनी याजनाओं को आम जनता व दूर दराज के गरीब लोगों तक पहुंचाने के लिए करोडो रूपये खर्च कर आकर्शक फोल्डर एवं पुस्तिकाएं छपाती हैं। विभागों एवं अधिकारियों की लापरवाही के चलते उपलब्धियों का प्रचार साहित्य आम जनता तक नहीं पहुंच पाता और दफ्तरों में ही बंडल के बंडल रखे रह जाते है।
कोटा जिले के श्रम विभाग की ऐसी ही लापरवाही आज उस समय उजागर हुई जब कलेक्ट्रेट परिसर स्थित इस विभाग के कार्यालय के बाहर सडक पर हजारों की संख्या में श्रम कल्याण योजनाओं के फोल्डर रद्दी समझकर कचरे के ढेर में आज सुबह पडे मिले। गौरतलब है कि यह फोल्डर पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री अषोक गहलोत की सरकार के समय के है। उनके समय विभाग ने श्रम कल्याण ही जनकल्याण नामक योजनओं का फोल्डर प्रकाषित किया जिस पर मुख्यमंत्री के साथ-साथ श्रम राज्यमंत्री मांगीलाल गरासिया के चित्र भी प्रकाषित है। करीब ८ पृश्ठ के इस रंगीन फोल्डर को यहां आने वाले कोतुक की दृश्टि से देखने लगे और श्रम कल्याण विभाग को कोसने लगे जिसने समय रहते इन फोल्डरों को जरूरतमंद श्रमिकों तक नहीं पहुंचाया और आज चार साल बाद इन्हें रद्दी में फेंक दिया।
श्रम विभाग का यह कृत्य जहां सरकार की योजनाओं को असफल करने का कहा जा सकता है। वहीं इन योजनाओं की जानकारी कर हजारों श्रमिक उनका लाभ उठाने से वंचित रह गये। प्रायः देखा गया है कि सरकारी अधिकारी जिसकी सरकार चली जाती है उसके प्रचार साहित्य को या तो रद्दी में फेंक देते है या जला देते है। कई बार ऐसे साहित्य रद्दी बचने वाले की दुकानों पर भी मिलने के उदारहण सामने आये है।
वर्तमान सरकार के प्रचार साहित्य की चर्चा करें तो सरकार को इस बारें में एक जांच अभियान चलाने की जरूरत है और सुनिष्चित किया जाना चाहिए कि करोडो रूपये खर्च होने के बावजूद भी आम जन तक इनकी पहुंच बने। वर्ना लापरवाही के चलते इस सरकार की योजनाएं भी दूर दराज तक नहीं पहुंच पायेंगी और उनका लाभ लेने से जरूरतमंद वंचित रह जायेंगे। सभी विभागों की जिम्मेदारी बनती है कि वे कोटा के श्रम विभाग से सीख लेवें और प्रचार साहित्य को आम जन तक पहुंचाकर इस पर होने वाले कराडो रूपये खर्च की बरबादी को रोके।


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