अपराध पीडतों को प्रतिकर उनका अधिकार - डॉ.गोयल

( 10704 बार पढ़ी गयी)
Published on : 27 Apr, 17 07:04

विधिक सेवा कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार हेतु प्राप्त मोबाईल वैन को जिला एवं सेशन न्यायाधीश मदनलाल भाटी ने जिला न्यायालय परिसर से हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली ने वर्ष* २०१७ को ’’पीडतों के कल्याण’’ के लिए समर्पित करने के निर्देश दिए हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव डॉ. महेन्द्र कुमार गोयल ने पुलिस कोतवाली, जैसलमेर में विधिक चेतना शिविर का आयोजन किया। उन्होंने बताया कि प्रत्येक पीडत चाहे वह शारीरिक रूप से प्रताडत हो या मानसिक रूप से समाज की विशेष सहानुभूति व संवेदनशील व्यवहार का हकदार होता है। किसी भी स्थान पर यदि कोई विवाद होता है तो पुलिस ही सर्व प्रथम पीडत से रूबरू होती है। इसी परिस्थिति में यह पुलिस का नैतिक कर्त्तव्य है कि वह पीडत व्यक्ति के साथ संवेदनशील व्यवहार अपनाते हुए उसे तत्काल सहायता उपलब्ध करावें। उन्होने राजस्थान पीडत प्रतिकर स्कीम, २०११ के प्रावधानों की जानकारी देते हुए बताया कि अपराध के कारण यदि किसी व्यक्ति को कोई शारीरिक या सम्पति की हानि होती है तो इस स्कीम के तहत वह प्रतिकर प्राप्त कर सकता है। पीडत को इस स्कीम के तहत प्रतिकर दिलाने में पुलिस की महत्ती भूमिका है। पुलिस को पीडत को प्रतिकर दिलावाने में यथा संभव मदद करनी चाहिए। इस स्कीम के तहत पीडत को अंतरिम प्रतिकर दिलाए जाने का भी प्रावधान है। प्रतिकर की राशि अपराध की गम्भीरता व प्रकृति पर निर्भर करती है। प्रत्येक अपराध पीडत प्रतिकर का हकदार है और वह प्रतिकर के लिए इस स्कीम के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन कर सकता है तथा पुलिस को उसमें सहयोग करना चाहिए। शिविर के दौरान डॉ. गोयल ने थानाधिकारी को राजस्थान पीडत प्रतिकर स्कीम, २०११ की एक प्रति भी उपलब्ध कराई। कार्यक्रम के दौरान थानाधिकारी महेश श्रीमाली व जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। थानाधिकारी ने हर सम्भव प्रयास किए जाने का आश्वासन दिया।
शिविर को संबोधित करते हुए डॉ. गोयल ने बाल विवाह के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि छोटी उम्र में शादी की कुरीति को रोकने के लिए बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, २००६ लागू है जिसमें लडके के उम्र २१ वर्ष से कम व लडकी की आयु १८ वर्ष से कम है तो उन्हें बालक माना गया है। यदि विवाह के समय लडका या लडकी दोनों में कोई व्यवस्क नहीं है तो ऐसा विवाह बाल विवाह होने से अपराध माना गया है। उन्होने बाल विवाह के दुष्परिणामों की जानकारी देते हुए आमजन को बाल विवाह नहीं करने व रोकने की अपील की।
मोबाईल वैन को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना
विधिक सेवा कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार हेतु प्राप्त मोबाईल वैन को जिला एवं सेशन न्यायाधीश मदनलाल भाटी ने जिला न्यायालय परिसर से हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पूर्णिमा गौड, पूर्णकालिक सचिव डॉ. महेन्द्र कुमार गोयल, बार अध्यक्ष विमलेश कुमार पुरोहित, वरिष्ठ अधिवक्तागण मुरलीधर जोशी, दानसिंह मोहता तथा अधिवक्ता पूंजराजसिंह, मोहम्मद नासिर व आमजन उपस्थित थे। डॉ. गोयल ने बताया कि मोबाईल वैन के माध्यम से जिले के गांव-गांव ढाणी-ढाणी*में विधिक सेवा का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। आखातीज के त्योहार पर बाल विवाह नही करने का संदेश मोबाईल वैन के माध्यम से दिया जाएगा।

साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.