भारतीय संविधान निर्माण के सुपर नायक डॉ. अम्बेडकर

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Published on : 26 Apr, 17 17:04

बाडमेर/ लोकतंत्र के पूज्य स्थल विधानसभा में डॉ. अम्बेडकर पर विधायक विजय बंसल का विवादित बयान कि डॉ. अम्बेडकर सविधान निर्माता नहीं थे विवादित वक्तव्य का डॉ. भीमराव अम्बेडकर समारेाह समिति एवं दलित संगठनों द्वारा घोर निन्दा की जाती है। पूर्व संयोजक भैरूसिंह फुलवारिया ने बताया कि संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बडकर अपमान स्वरूप विवादित बयान देने से पूर्व उनके संविधान निर्माण महत्वपूर्ण योगदान को समझना अति आवश्यक है क्योंकि डॉ. अम्बेडकर दलितों के मसीहा ही नहीं देश में नई जागृति लाने वाले पुरोधा थे।
फुलवारिया ने बताया कि जब डॉ. अम्बेडकर को यह समझ में आ गया कि अंग्रेजों का भारत से प्रस्थान तय हो चुका है और संविधान सभा ही सार्वभौम सता होगी, जिसके जरिये शोषित, पिडत एवं दलितों का भला कर सकते है तो उन्होनें संविधान निर्माण की प्रकि्रया जुडने का मानस बनाया। इस हेतु उन्हें प्रान्तीय धारा सभा से केन्दि्रय संविधान सभा में चुनकर आना जरूरी था।, वे बम्बई धारा सभा से पराजित हो गये, फिर उन्हें पश्चिमी बंगाल के मुस्लिम बाहुलय क्षैत्र से चुनकर भेजा गया। इस तरह वे संविधान सभा के सदस्य बने। बाद में संविधान का पारूप बनाने के लिए बनी समिति में उन्हें अध्यक्ष नियक्त किया गया। संविधान प्रारूप निर्मात्री सभा में डॉ. भीमराव अम्बेडकर अध्यक्ष थे तथा सदस्य के रूप में एन.गोपाल स्वामी अंयगार, एन.माधव मैमन, सर अल्लादी, कृष्ण स्वमाी अयर के.एन.मुंशी, सर मोहम्मद सादुल्ला तथा डी.पी. खेतान नियुक्त किए गए। बी.एन.राव को संवैधानिक सलाहकार बनाया गया। कुछ विरोधी प्रचार करते है कि संविधान का प्रारूप तो बी.एन.राव ने तैयार किया। डॉ. अम्बेडकर ने तो केवल पेश किया था। ऐसे लोगों को जानना चाहिए कि बी.एन.राव एक सरकारी अधिकारी थे जिन्हें अंतरिम सरकार ने अवैतनिक सलाहकार नियुक्त कर संविधान का काम चलाउ प्रारूप प्रस्तुत करने का कहा था मगर संविधान सभा ने बी.एन.राव द्वारा प्रस्तुत काम चलाउ प्रारूप को समय की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं पाया तथा खारिज कर दिया था। डॉ. अम्बेडकर ने संविधान का प्रारूप निर्माण करने में कितनी मेहनत की, इसका अनुमान इससे लगता है कि संविधान सभा के सभी सदस्यों ने अम्बेडकर के काम की भूरि-भूरि प्रशंसा की। संविधान का प्रारूप स्वीकारे जाने के बाद संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने अपने धन्यवाद भाषण में कहा था- ‘‘किसी अन्य ने ऐसा महसूस नहीं किया होगा, जैसा मैनें किया है कि किस अद्वितीय परिश्रम और लग्न के साथ पारूप समिति तथा विशेषकर डॉ. अम्बेडकर ने अपनी अस्वस्था के बावजूद ये कार्य किया‘‘।
संविधान सभा के सदस्य टी.टी. कृष्ण माचारी ने संविधान बनने की कहानी बताते हुए कहा कि उसे याद रखने की जरूरत है। कृष्ण माचारी कहते है - अध्यक्ष महोदय, संविधान सभा म से म एक ह, जिसने डॉ. अम्बेडकर को बहुत सावधानीपूर्वक सुना है। मैं परिश्रम और उत्साह को जानता ह, जिससे उन्होनें भारतीय संविधान प्रारूप तैयार किया है। मैं यह महसूस करता ह कि जो ध्यान संविधान के निर्माण में दिया जाना अनिवार्य था वह ड्राफ्टिंग कमेटी द्वारा नहीं दिया गया। संविधान सभा शायद यह जानती है कि आफ द्वारा सात सदस्य मनोनित किये गये थे, उनमें से एक ने संविधान सभा से त्यागपत्र दे दिया और उस रिक्त स्थान की पूर्ति नहीं की गई। एक सदस्य को देहान्त हो गया और उसका स्थान नहीं भरा गया। एक अमेरिका चला गया और स्थान भी खाली रहा। एक या दो सदस्य दिल्ली से बाहर रहे और शायद स्वास्थ्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सके। इस तरह हुआ यह कि संविधान बनाने का सारा भार डॉ. अम्बेडकर के कंधों पर आ पडा। इसमें कोई संदेह नहीं की कि जिस ढंग से उन्होनें संविधान निर्माण का कार्य किया है इसके लिए हम कतृज्ञ है। यह निःसन्देह प्रशसनीय है।
संविधान सभा के अन्य सदस्य काजी सैय्यद करीमुदीन ने कहा- ‘‘आदरणीय अध्यक्ष महोदय, संविधान प्रारूप के बारे में जो बिल डॉ. अम्बेडकर ने रखा है उसके लिए मैं उनको बधाई देता ह। जो भाषण उन्होनें दिया है व स्मरण करने योग्य है। मुझे यकीन है कि एक महान संविधान निर्माता के रूप में उनका नाम आने वाली पीढीयों तक बना रहेगा‘‘।
इस प्रकार भारतीय संविधान निर्माण में डॉ. अम्बेडकर की अग्रणी योगदान को याद करते हुए समारोह समिति संयोजक सुरेश जाटोल, कार्यक्रम प्रभारी भीखाराम मेघवाल, कोषाध्यक्ष ईश्वरचंद नवल, पूर्व संयोजक भैरूसिंह फुलवारिया, छगनलाल जाटोल, केवलचंद बृजवाल, तगाराम खती, श्रवण चंदेल, तिलाराम मेघवाल, भूराराम भील, मोहन सोलंकी, गौतम पन्नू, तोगाराम मेघवाल, पूराराम भाटीया, खेतेश कोचरा, बाबूलाल मोचलपुरिरया, राजेन्द्र कुमार फुलवारिया, जितेन्द्र जाटोल, प्रेम परिहार, धर्मेन्द्र फुलवारिया, अमृत लाल जाटोल, लीलाधर गोसाई, हेमराज फुलवारिया, गौतम खींची सहित जय भीम के अनुयायीयों ने भारतीय संविधान निर्माण का अचली नायक डॉ. अम्बेडकर को बताते हुए थोथी ख्याति प्राप्त करने के उद्देश्य से सिरफिरे बडबोले नेता विजय बंसल के विवादित बयान की घोर निन्दा करते हुए उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग की। समय रहते कार्यवाही नहीं होने पर संविधान निर्माता डॉ. अम्बेडकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करने का आह्वान किया।

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