जिला प्रशासन एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का बाल विवाह रोकथाम के संबंध में कार्यक्रम सम्पन्न

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Published on : 24 Apr, 17 09:04

जयपुर । राजस्थान विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री एस.के. जैन ने कहा कि बाल विवाह जैसी कुरीति को समाज से हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करना है। इसमें सभी लोगों का सक्रिय सहयोग होना चाहिए। जहाँ कहीं भी बाल-विवाह की जानकारी मिलती है तो उसको रोकने के लिए संबंधित तालुका स्तर पर जानकारी दे।
श्री जैन रविवार को मानसरोवर थडी मार्केट स्थित सामुदायिक भवन में जिला प्रशासन एवं राजस्थान विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बाल विवाह रोकथाम अभियान के संबंध में आयोजित शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह करने वाले, कराने वाले को दो साल की सजा और एक लाख रूपये से दण्डित किया जाता है। इस सामाजिक कुरीति को हमेशा के लिए खत्म करना है। इसमें सम्मलित होने वाले सभी लोग दोषी होते है और उन्हें दण्डित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान के १६ जिलों में बहुतायात की संख्या में बाल-विवाह होते हैं। इन बाल विवाहों को रोकने के लिए जिला स्तर पर बाल-विवाह रोकथाम के संबंध में सेमिनार की जा रही है। उन्होंने बताया कि पिछडे और आदिवासी क्षेत्रों में जहां बहुत ज्यादा बाल-विवाह होते हैं उनको प्रेरणा देने और जागरूक करने के लिए आठ मोबाईल वैन के माध्यम से जिले में जागरूक किया जा रहा है। ये मोबाईल वैन ३० जून तक चलाई जायेगी।
उन्होंने बताया कि १९८७ में विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया था। इसके माध्यम से तालूका स्तर पर गरीबों के कल्याणार्थ और नशा विरोधियों के खिलाफ के कार्य किये जाते हैं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए जिला एवं सैंशन न्यायाधीश श्री उमाशंकर व्यास ने बाल विवाह रोकथाम कार्यक्रम में उपस्थित सभी नागरिकों को सक्रिय सहयोग देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समाज में कुछ कुप्रथा मजबूरी बन जाती है जिसके कारण बाल-विवाह प्रथा चली। लेकिन अब इसको हमेशा के लिए समाप्त करना है। नागरिकों को शिक्षित कर धीरे-धीरे इस पर रोक लगाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे से हम सब जुडकर प्रभावी रूप से खत्म करना है। अतिरिक्त जिला कलक्टर (दक्षिण) शहर श्री हरिसिंह मीना ने कहा कि हमारे समाज में चली आ रही इस समाजिक बुराई को खत्म करना है। इस बुराई से बालक-बालिकाओं का जीवन उत्थान, विकास भी समय पर नहीं होता। अशिक्षित और कमजोर वर्ग के लोग इस कुरीति के ज्यादा शिकार होते हैं। इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए तालुका स्तर पर जनसहभागीता से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर आंगनबाडी कार्यकर्त्ता, सहायिका, ए.एन.एम, सरपंच, वार्ड पंचों के माध्यम से बाल विवाह रोकथाम के निर्देंश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा बाल-विवाह कराने, करने, उत्पेरित करने वाले, अनुमति देने वाले, विवाह में शामिल होने वाले, पण्डित नाई, फोटोग्राफर विडियोग्राफर, नाई, बाराती अतिथि, बैण्ड वाले, हलवाई, खाना बनाने वाले, टेन्ट वाले या स्थान उपलब्ध करने वालों पर नजर रखने के लिए स्थानिय जनप्रतिनिधियों व ग्राम सेवकों, पुलिस को पाबन्द किया गया है। बाल-विवाह की रोकथाम के लिए सभी उपखण्ड स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है और रात्रि चौपाल, जनकल्याण शिविर एव पट्टा वितरण शिविरों में भी इस संबंध में जानकारी दी जाती है।
उप पुलिस अधीक्षक श्री मोतीलाल ने कहा कि बाल-विवाह की पुलिस को सूचना मिलती है तो इस पर तुरन्त पुलिस कार्यवाही करती हैं। इसकी रोकथाम के लिए सभी थाना स्तर पर भी नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।
बैठक में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री हरविन्द्र सिंह, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री प्रहलाद शर्मा, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री राजेश गुप्ता एवं जिला विधिक प्राधिकरण सेवा के पूर्णकालीक सचिव श्री कृष्ण मुरारी जिंदल, उपखण्ड मजिस्ट्रेट सांगानेर श्री अशोक शर्मा, विकास अधिकारी रिंकु मीना, महिला बाल विकास अधिकारी सांगानेर (प्रथम) उषा शर्मा, मंजू चौहान, श्री हनुमान प्रसाद गोतम सहित आंगनबाडी कार्यकर्ता, सहायिका एवं अन्य अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री विश्वबन्धू ने किया। कार्यक्रम से पूर्व अतिथियों ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सम्मूख दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री इसरार खोखर ने सभी आगन्तुओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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