’’मोहे पिया‘‘ में दिखा भीम हिडिम्बा का मिलन

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Published on : 24 Mar, 17 11:03

’’मोहे पिया‘‘ में दिखा भीम हिडिम्बा का मिलन उदयपुर । पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चार दिवसीय ’’शास्त्रीय नाट्य समारोह‘‘ गुरूवार का सम्पन्न हुआ। समापन अवसर पर वामन केन्द्रे द्वारा निर्देशित नाटक ’’मोहे पिया में भीम और घटोत्कच के रिश्तों को अनूठे अंदाज में दिखाया।
यहां शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में महोत्सव के चौथे दिन मुंबई की संस्था रंगपीठ के कलाकारों ने राष्ट्रय नट्य विद्यालय के निदेशक व प्रसिद्ध रंकर्मी वामन केन्द्रे द्वारा निर्देशित नाटक ’’मोहे पिया‘‘ का मंचन किया गया। संगीत नाटक आकदमी पुरस्कार से सम्मानित श्री केन्द्रे ने महाभारत के प्रसंग पर आधारित कथानक को सटीक ट्रीटमेन्ट देते हुए एक सशक्त नाट्य प्रस्तुति बनाया। नाटक ’’मोहे पिया‘‘ की शुरूआत सखी और सूत्रधार की बातों से होती है तथा नाटक की कथा जंगल से गुजर रहे ब्राह्मण परिवार को घटोत्कच द्वारा अपनी भखी माता हिडिम्बा के भोजन के लिये रोके जाने से प्रारम्भ होती है। उनमें से मझला बेटा स्वयं को भोजन के रूप में पस्तुत करता है। वह अपनी आखिरी इच्छा पूरी करने के लिये नदी में पानी पीने जाता है किन्तु वापस नहीं लौटता है। इससे परेशान हो घेटोत्कच उसे तलाशने के लिये जाता है तथा जोर से आवाज देता है ’’मध्यमा‘‘। उसकी इस आवाज का जवाब भीम द्वारा दिया जाता है जो पाण्डव परिवार में मझला बेटा है।
तब भीम खोये व्यक्ति के बदले में स्वयं को प्रस्तुत करता है व यह शर्त रखता है कि यदि वो उसे युद्ध में परास्त कर दे या उसे बंदी बना ले। इसके बाद दोनों शक्तिशालियों के बीच एक घमासान युद्ध होता है और संयोग से घटोत्कच भीम को बंदी बना लेता है और उसे अपनी व्याकुल मां के समक्ष प्रस्तुत करता है। हिडिम्बा भीम को अपने पति और अपने पुत्र के पिता के रूप में पहचान लेती है किन्तु अपने जीवन में वह वापस भीम को स्वीकार करने से इंकार कर देती है तथा घटात्कच् बाद में पिता के लिये युद्ध में भाग ले कर वीरगति को प्राप्त होता है।
इस प्रसंग को रंगमंच पर कलाकारों ने अपनी सटीक अभिनय और कथ्यानुकूल दृश्यों से श्रेष्ठ ढंग से दर्शाया। नाटक में भीम व घटोत्कच के युद्ध वाला दृश्य रोचक बन सका वहीं भीम और हिडिम्बा के मिलन का दृश्य दर्शकों को भाव पूर्ण पतीत हुआ। नाटक में प्रकाश व्यवस्था ने प्रस्तुति को प्रभावी और दर्शनीय बनाया वहीं पार्श्व संगीत अनुकूल बन सका। कलाकारों में घटोत्कच की भूमिका में ऋत्विक केन्द्रे का अभिनय चरित्र के अनुकूल सशक्त बन सका वहीं सुहास सूर्यवंशी ने भीम के किरदार को बखूबी जिया। हिडिम्बा के रूप में रेणुका बोधणकर ने प्रियतम के बिछोह व मिलन के दृश्यों में अपने अभिनय की छीप छोडी। सूत्रधार अनिकेत कुमे/अभिषेक अरोंदकर तथा नटी-रेणुका बोधनकर का अभिनय प्रभावी बन सका। अन्य कलाकारों में मध्यम पुत्र-रघुवेन्द्र मानिरेकर, कनिष्ठ पुत्र-अमोल जाधव, राजू शिन्द्र, चन्द्रकांत मोरे, सुमित भालेराव, शामल रोकडे, अपेक्षा जाधव, अनिकेत कुरने, विशाल जाधव व विशा डोगरे शामिल थे। नाटक में संगीत रचना स्वयं वामन केन्द्र के थी वहीं प्रकाश व्यवस्था संजय कोली व निशान्त अनजनकर की थी।



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