उद्योगों को युवा अभियंताओं से आशाऍं एवं आवश्यकता

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Published on : 19 Mar, 17 15:03

सीटीएई में दो दिवसीय ’’वर्तमान परिदृश्य में उद्योगों को युवा अभियंताओं से आशाऍं एवं आवश्यकता’’ विषय पर कार्यशाला

उद्योगों को युवा अभियंताओं  से आशाऍं एवं आवश्यकता उदयपुर .महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय के संघटक प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय(सीटीएई), उदयपुर के प्लेसमेंट सेल में महाविद्यालय के सभी विषयों के तृतीय एवं चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों के लिए दो दिवसीय ’’वर्तमान परिदृश्य में उद्योगों को युवा अभियंताओं से आशाऍं एवं आवश्यकता’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर कोटा विश्वविद्यालय, कोटा के माननीय कुलपति प्रोफेसर परमेन्द्र दशोरा सा. ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमें सबसे पहले विद्यार्थियों की योग्यता को परखना होगा तथा उसी अनुरूप भविष्य के लिए निर्माण करना होगा जिससे वे इस महान् राष्ट्र की अपनी योग्यता के अनुसार सेवा कर सके। उन्होनें कहा कि वर्तमान में अभियांत्रिकी महाविद्यालयों से पास होकर निकलने वाले छात्र-छात्राऍं उद्योगों के अनुरूप आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाने में सक्षम नहीं है। क्योंकि अभियांत्रिकी महाविद्यालयों पढाया कुछ जाता है और उद्योगों को को आवश्यकता कुछ ओर होती है। अतः हमें उद्योगों के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करना होगा जिससे वर्तमान परिदृश्य में उद्योगों की पूर्ति हो सके। उन्होनें आगे कहा कि सभी उद्योग कम लागत में अधिक अधिक से समय लेते हुए ज्यादा से ज्यादा से मुनाफा कमाना चाहते है। आधारभूत ढॉचे को मजबूती देने के लिए उद्योगों को विषय-विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है जिससे की उत्पादित सामान में किसी भी प्रकार की कोई कमी नही पाई जाये। इस अवसर पर उन्होने कहा कि यह एस.पी.एम. का युग है, तथा परिभाषित किया कि - एस - स्पेसियलाईजेशन, पी - परफेक्शन, एम - मेक्सीमम सेलेरी। इस तरह से एक अभियन्ता के एक अच्छा अवसर होता है कि वह अपनी योग्यता के अनुसार चयन करें तथा उद्योगों के मार्फत राष्ट निर्माण में भागीदार बन सके। एक अच्छे अभियंता के लिए व्यक्तित्व विकास, शब्दो का ज्ञान अति आवश्यक है तथा हमें स्वामी विवेकानन्द के आदर्शो का अनुसरण करना चाहिये। तथा हमें भविष्य में आनेवाली किसी भी प्रकार की कठिनाईयों से घबराना नहीं चाहिये ।

इस अवसर पर पायरोटक इलेक्ट्रोनिक्स प्राईवेट लिमिटेड, उदयपुर के महाप्रबन्धक एवं उदयपुर चेम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज के अध्यक्ष श्री वी.पी. राठी, ने भी अपने विचार व्यक्त किये तथा उन्होनें इस अवसर पर कहा कि इंजीनियरिंग के छात्र-छत्राओं को देश विदेश में उद्योगों का भ्रमण कराना चाहिये जिससे कि उनमें बोद्विक विकास के साथ-साथ भविष्य की समस्याओं को सुलझाने के लिए तरीके विकसीत हो सके। उन्होनें कहा कि एक अभियन्ता को रोजगार प्राप्त करने की बजाय रोजगार देने वाला बनना चाहिये, इस हेतु वर्तमान में भारत सरकार ने कई परियोजनाऍ लागू की है जिससे एक अभियन्ता अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सके। उन्होने यह भी कहा कि यदि कोई अभियन्ता किसी कम्पनी में रोजगार प्राप्त करता है तो उसे यह आश्वासन देना होगा कि वह ३-५ वर्ष तक कम्पनी की सेवा करेगा। इससे अभियन्ता में आत्मविश्वास जाग्रत होगा तथा भविष्य में उसे और भी बेहतर रोजगार के अवसर प्राप्त होगें।

इस अवसर पर महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.एस. राठौड ने भी प्रकाश डाला। तथा कहा कि प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय, उदयपुर राजस्थान में आईआईटी जोधपुर, एनआईटी, जयपुर के बाद सर्वश्रेष्ठ अभियांत्रिकी महाविद्यालय है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नेशनल इन्स्टीट्यूशनल रेकिंग फेमवर्क तहत शिक्षा व शोध में कार्यरत इंजीनियरिंग संस्थाओं की श्रेणी में देश के प्रथम १०० संस्थाओं की सूची में सीटीएई महाविद्यालय को देश में ८२वां स्थान प्राप्त हुआ है। प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय की गिनती उत्तर भारत में बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप जानी जाती है तथा महाविद्यालय को इस हेतु नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नीकल टीचर्स ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च, चण्डीगढ द्वारा वर्ष २०१३ में अवार्ड भी प्रदान किया गया । उन्होनें आगे कहा कि भारत सरकार द्वारा प्रायोजित टेकिप द्वितीय परियोजना सीटीएई में चल रही है जिसकी अवधी मार्च २०१७ तक ही है । टेकिप-तृतीय परियोजना की अनुमति प्राप्त हो गई है जिसके तहत महाविद्यालय को रूपये १५ करोड प्राप्त होगें । यह परियोजना पांच वर्षो के लिए है। इस परियोजना के अन्तर्गत विद्यार्थी, फेकल्टी व कर्मचारियों को अपने जॉब के अनुरूप तैयार करना ह।

कार्यशाला कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विनोद यादव ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा इस दो दिवसीय कार्यशाला के उदेश्य के बारे में बताया। कार्यशाला में लगभग २७५ विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यशाला में विभिन्न इंजीनियरिंग विभागों के विभागाध्यक्ष ने भी इसमें अपनी भागीदारी निभाई। श्रीमती कल्पना जैन, सहायक प्राध्यापक ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए धन्यवाद् की रस्म अदा की।

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