नौ कुण्डीय यज्ञषाला के महारूद्र मे वेद मंत्रो का गुंजायमान

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Published on : 21 Feb, 17 09:02

शिवकथा के दौरान लोक मंगल एवं विष्वषांति के निमीत्त नौ कुण्डीय यज्ञषाला के चौथे दिन आर्चाय नन्दलालजी षास्त्री के आर्चायत्व में यजमान नारायण त्रिवेदी ,लक्ष्मीनारायण पण्ड्या ,कैलाषचन्द्र लखारा

 नौ कुण्डीय यज्ञषाला के महारूद्र मे वेद मंत्रो का गुंजायमान शिवकथा के दौरान लोक मंगल एवं विष्वषांति के निमीत्त नौ कुण्डीय यज्ञषाला के चौथे दिन आर्चाय नन्दलालजी षास्त्री के आर्चायत्व में यजमान नारायण त्रिवेदी ,लक्ष्मीनारायण पण्ड्या ,कैलाषचन्द्र लखारा ,पवन अमरावत ,राजेन्द्र जानी ,यषवन्त व्यास ,केषवजी त्रिवेदी ,हेमन्त त्रिवेदी, नारायण जी पाण्डे एवं विनोद पाण्डे द्वारा आहूतीयाँ समर्पीत की गई। इसी प्रकार पार्थेष्वर महादेव पुजन में नागपुर से पुरूशोत्तम जी त्रिवेदी एवं राजेन्द्र द्वारा पुजन कार्य सम्पन्न किया गया।
आर्चाय एवं विप्रवरों नें बताया कि महारूद्र पर बैठनें वाले यजमान सौभाग्यषाली ही नहीं महासौभाग्यषाली होते हैं। सात पिढियों के पुण्यफल के रूप में महारूद्र में यजमान बनकर बैठनें का सुअवसर प्राप्त होता है। पथमेडा से षुद्ध गौमाता का धृत एवं काला तील का मिश्रण वैद मंत्रों के साथ स्वाहा किया जाता है। प्रतिदिन प्रातः ८ बजे से १२ः३० बजे के मध्य सम्पन्न यही से निम्बार्क परिसर अति विलक्षण होता जा रहा है।

शिवकथा में उमडा जनसैलाब
निम्बार्क परिसर में चौथे दिन की शिवकथा में मुख्य यजमान लक्ष्मीनारायण गौड एवं उनके परिवार द्वारा पौथीपुजन किया गया। इसी क्रम में जगदीष मंदिर के मुख्य पुजारी चन्द्रषेखर षुक्ला ,कन्हैयालाल भट्ट ,कार्तिक लखारा, पंकज पंडया, हेमन्त त्रिवेदी नें पूजन किया। व्यासपीठ ने श्री त्रिवेदी मेवाडा ब्राह्मण समाज द्वारा आयोजित छात्राओं के षैक्षणिक व्यवस्थाओं के निमित्त की कथा को परिवार का मंगल एवं लोक कल्याण की कथा जो महाशिवरात्रि के मध्य रखकर की जा रही है, अति महत्वपूर्ण बताया। महादेव की पूजा बहूत सरल है एकोपचार, मानसपूजा सरलतम है। कैलाषपर्वत की महीमा का वर्णन किया। एक बिल्बपत्र शिवजी को अर्पण करनें से तीनों जन्मों का पाप नाष होना बताया। महादेव को जितना बिल्बपत्र प्रिय है उतना ही तुलसी पत्र भी प्रिय है। कथा के दौरान व्यासपीठ नें कहा की महाशिवरात्रि की इस कथा को मुरारीबापु नें भी महादेव की कथा का व्याख्यान रामकथा में किया ऐसा देवाधिदेव महादेव है। पुण्यों कि महीमा का शिवपुराण में बडा महत्व बताया है। चंपा एवं केतकी के पुश्प महादेव को अर्पण नहीं होतें हैं। शिवलिंग ज्ञान का प्रतिक है ब्राह्मबोधक है। महादेवभक्तों की मृत्यु नहीं होती सिर्फ षरीर षांत होता है। जिसको शिवभक्ति मिली है उनका जन्म लेना सफल है। शिवमहादेव धुन पर लोग भक्तिलान हो गये। बाल्यावस्था से जो शिव की भक्ति करे उसे सभी सुख मिलते हैं। धन्य हैं वो मातापिता जो अपनें बच्चों को महादेव की भक्ति का दान करें। सदा आषावादी बनें रहें। शिवभक्ति करनें से पुरूशों को मधुरभाशिणी पत्नी मिलती है तथा जिवन सफल हो जाता है,मधुर बोलने वाली पत्नी साक्षात देवी का रूप होती है। हैलमेट पहनों ट्राफिक के सभी नियमों का पालन करो एवं सभी तरह के दस्तावेज बनवा लेवें। इनकम टैक्स की चोरी नहीं करनी चाहिये इनकम टैक्स भरना देष कि सवौपरि सेवा है। स्वच्छ भारत बनानें के लिये भी आग्रह किया। श्री महेन्द्र औदिच्छ जिलाध्यक्ष भाजपा युवामोर्चा उदयपुर ग्रामीण तथा दिनेष जी श्रीमाली , श्री रामजस जी मुंदडा हरी सेवा समिति, श्री दुर्गंष जी सुखवाल पुर्व पार्शद, चेतन पण्ड्या,पुर्व जिलाप्रमुख श्री केवलचन्द लबाना आदि द्वारा शिवकथा का श्रवण किया गया।




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