स्विट्ज़रलैंड के गुरूद्वारे में विश्व शांति सन्देश

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Published on : 14 Feb, 17 17:02

आचार्य लोकेश में स्विट्ज़रलैंड के गुरूद्वारे में विश्व शांति सन्देश दिया स्विट्ज़रलैंड के गुरूद्वारे ने आचार्य लोकेश को सम्मानित किया

स्विट्ज़रलैंड  के गुरूद्वारे में विश्व शांति सन्देश अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक व प्रख्यात जैन आचार्य डा. लोकेश मुनि ने स्विट्ज़रलैंड के ऐतिहासिक प्रथम पारंपरिक गुरूद्वारे में सिख समुदाय को विश्व शांति व सद्भावना का सन्देश देते हुए कहा कि मानव जीवन श्रेष्ठतम जीवन है इसे व्यर्थ गवाना नहीं चाहिए| मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में उतार कर ही व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है| व्यक्ति के अन्दर प्राणीमात्र के लिए प्रेम होना चाहिये| उन्होंने कहा कि मनुष्य के अंदर वो बुद्धि है जिससे वो दुसरे की जरूरत को समझ सके| हम अपनी सुख सुविधाओं के लिए लाखो रूपए खर्च कर देते है परन्तु दुसरे की जरूरत को अनदेखा कर देते है| वही व्यक्ति श्रेष्ठ है जो दुसरे की जरूरत को समझ कर अपने सामर्थ अनुसार उसकी मदद कर सके|
आचार्य लोकेश ने कहा कि मानवीय कार्य शोहरत कमाने या समाज में रुतबा हासिल करने के लिए नहीं करना चाहिए| किसी भूखे को भोजन कराना, असहाय को उसकी जरुरत की वस्तु देना, गरीब बच्चे को शिक्षा देना, बीमार पशु को अस्पताल ले जाना अनेक ऐसे मानवता के कार्य है जो हम रोजमर्रा के जीवन में कर सकते है| जिस दिन हम रोजमर्रा के जीवन में मानवता के महत्व को समझ जायेंगे हमारा जीवन सार्थक हो जायेगा|
आचार्य लोकेश ने कहा कि विश्व के कोने कोने मैं फैले गुरूद्वारे धर्म, जाति, सम्प्रदाय की परवाह किये बिना मानव सेवा कर रहे है यह बेहद प्रशंसनीय है| सेवा करना सिख धर्म की प्राचीन परंपरा है| धर्म स्थलों के माध्यम से प्राचीन मानवी मूल्य आने वाली पीढी तक पहुंचाए जा सकते है| विश्व में शांति व सद्भावना की स्थापना के लिए हमें समाज में भाई चारे और सौहार्द का वातावरण बनाना होगा| सर्वधर्म सद्भावना से ही विश्व शांति की स्थापना हो सकती है|
इस अवसर पर सिख संगत की और से सरदार कर्ण सिंह व सरदार रणजीत सिंह ने आचार्य डा. लोकेश मुनि, श्री भव्य श्रीवास्तव व सुश्री तारकेश्वरी मिश्रा का ऐतिहासिक प्रतीक चिन्ह व ग्रन्थ भेंट कर सम्मानित किया

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