श्रीमति नीलकमल दरबारी द्वारा एमपीयूएटी का दौरा

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Published on : 12 Feb, 17 08:02

७ौक्षणिक म्युजियम, जैविक कृषि इकाई, कीट म्युजियम, बायोपेस्टीसाईड्स लैब, किनौवा अनुसंधान, मुर्गी फार्म, टमाटर तथा आंवला प्रसंस्करण इकाई, वस्त्र् एवं बुनाई इकाई, महिलाओं में श्रम कम करने वाले यंत्रें की इकाई का भ्रमण किया।

श्रीमति नीलकमल दरबारी द्वारा एमपीयूएटी का दौरा उदयपुर प्रमुख शासन सचिव (कृषि एवं उद्यानिकी) श्रीमति नीलकमल दरबारी ने अपने व्यस्त कार्यक्रम में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर का सघन दौरा किया। सर्वप्रथम उन्होनें विश्वविद्यालय के अधिकारियों की बैठक ली जिसमें विश्वविद्यालय में नई किस्मों के बीज, सीताफल प्रसंस्करण, जैविक खेती, उन्नत मशीनें, प्रतापधन मुर्गी तथा विश्वविद्यालय द्वारा किसानों तक नई तकनीकों के प्रसार के बारे में चर्चा की गई। बैठक को संबोधित करते हुए श्रीमति दरबारी ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तकनीकों का फायदा मेवाड क्षैत्र् के छोटे एवं मझलें किसानों को पहुंचना चाहिए, इसके लिए कृषि विभाग तथा विश्वविद्यालय को मिलकर कार्य करना चाहिए। उन्होने बताया कि आज मिट्टी की गुणवत्ता बनाये रखना एक प्रमुख चुनौती है। इसके लिए वैज्ञानिकों को अनुसंधान कर किसानों को जागृत करना चाहिए। राज्य सरकार किसानों पर फोकस कर नई तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने के लिए ग्राम जैसे मेलों का संभागीय स्तर पर आयोजन किया जायेगा। जल्दी ही उदयपुर संभाग पर भी ग्राम मेले का आयोजन किया जायेगा। उन्होनें पानी की बचत पर वैज्ञानिकों तथा किसानों का ध्यान आक६ार्त किया। अधिक पानी देने से अधिक उपज होगी इस धारणा को हमें छोडना होगा तथा प्रति बूंद अधिक उपज प्राप्त करने की तकनीकों को अपनाना होगा। उन्होनें वैज्ञानिकों का आव्हान किया कि नई तकनीकों के बारे में किसानों को सजग कर इसका लाभ गावों तक पहुंचाने के लिए सरकार की तरफ से कई प्रकार की योजनाऐं संचालित की जा रही है।
कुलपति प्रोफेसर उमा शंकर शर्मा ने बैठक के दौरान् बताया कि विश्वविद्यालय में 101 विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से 6 महाविद्यालय, 5 अनुसंधान केन्द्र तथा 6 कृषि विज्ञान केन्द्रों पर अनुसंधान तथा तकनीकी प्रसार एवं शक्षण का कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिवर्ष 25-30 नई तकनीकों का विकास कर किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। मक्का, उडद, ज्वार, जल प्रबन्धन, जैविक खेती, कृषि पद्धति मॉडल तथा सस्य जलवायु परियोजनाओं ने रा६ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान बनाई हैं। उन्होनें विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न नवाचारों, बीज प्रबन्धन तथा किसानों की आय बढानें के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में अवगत कराया।
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस. एस. बुरडक ने बताया कि माननीया प्रमुख शासन सचिव (कृषि एवं उद्यानिकी) श्रीमति नीलकमल दरबारी ने शनिवार को कृषि विश्वविद्यालय में ७ौक्षणिक म्युजियम, जैविक कृषि इकाई, कीट म्युजियम, बायोपेस्टीसाईड्स लैब, किनौवा अनुसंधान, मुर्गी फार्म, टमाटर तथा आंवला प्रसंस्करण इकाई, वस्त्र् एवं बुनाई इकाई, महिलाओं में श्रम कम करने वाले यंत्रें की इकाई का भ्रमण किया। साथ ही विश्वविद्यालय क्षैत्र् में नई सडक निर्माण क्षैत्र् तथा राजस्थान कृषि महाविद्यालय, डेयरी एवं अभियांत्र्किी महाविद्यालय का भ्रमण किया। विश्वविद्यालय में जैविक कृषि पर किये जा रहे विभिन्न अनुसंधानों जैसे - समन्वित कृषि मॉडल, नाडेप खाद, वर्मीवाश, बायोडायनेमिक खाद, पंचगव्य इत्यादि के उत्पादन में विशेष रूचि दिखाई तथा कहा कि इन तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के उपाय किए जाने चाहिये।
बैठक तथा भ्रमण के दौरान् विश्वविद्यालय के सभी अधिकारी उपस्थित थे। अनुसंधान निदेशक डॉ. सुखदेव सिंह बुरडक ने कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कार्यक्रम का संचालन क्षैत्रीय निदेशक अनुसंधान डॉ. शान्ति कुमार शर्मा नें किया।

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