गृहस्थ जीवन में झंझावतों से बचाती है गीता - ध्यानयोगी महर्षि उत्तम स्वामी

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Published on : 10 Dec, 16 09:12

बांसवाड़ा के उत्तम सेवा धाम पर भव्य गीता जयंती महोत्सव

गीता हमें नई दृष्टि, भाव एवं विचार देती हैं। हमारे जीवन में संजीवनी का कार्य करती है। गृहस्थ जीवन के झंझावतों से बचने के लिए हमें गीता रूपी वृक्ष को पकड़े रहना चाहिए।
यह विचार गीता दर्शन शोध एवं समर्पण संस्थान बांसवाड़ा द्वारा शुक्रवार को यहां जानामेड़ी स्थित रवीन्द्र ध्यान आश्रम उत्तम सेवा धाम में आयोजित गीता जयंती महोत्सव में ध्यानयोगी महर्षि उत्तम स्वामी महाराज ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि गीता संशय से उत्पन्न हुई है व हमें अनासक्त योग बताती है। गीता हमें कर्मरत रहने की शिक्षा देती है। व्यक्ति को कर्म व भावों से धार्मिक होना चाहिए। जीवन का हर कर्म योग है। रोने व हंसने भी योग की क्रियाएं निहीत है। उन्होंने योग और भोग की परिभाषा देते हुए कहा कि हम अपने जीवन में भगवान श्रीराम के साथ खड़े है वह योग है तथा रावण के साथ खड़े है तो वह भोग है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यमंत्री जीतमल खांट ने गीता जैसे गं्रथों से ही भारत के विश्व गुरु बनने का सपना साकार होगा। उन्होंने कहा कि गीता संस्कृति व संस्कारों का संवहन करती हैं, ऐसे में हर व्यक्ति गीता का परायण करते हुए इसके आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करें।
कार्यक्रम के दौरान ही महेश गुप्ता ने एक लाख रुपए, धनंजय योगेश पाठक ने 51 हजार रुपए, महेश सुहालका व रजनीश गांधी ने ग्यारह-ग्यारह हजार रुपए की धनराशि भेंट करने की घोषणा की।
प्रातः दीप प्रज्ज्वल के साथ प्रारंभ हुए गीता जयंति महोत्सव में गुरुभक्त निखिलेश त्रिवेदी, भुवनमुकंद पण्डया, धनंजय पाठक, महेश गुप्ता, महेश सुहालका, गोपेश उपाध्याय, तेजकरण मेधावत, कमलेश टांक, सत्यनारायण टांक, जलज जानी, अजय पटेल, बलवन्त पंचाल, डॉ.दिव्यभारत व भगवतीलाल सोनी ने अतिथियों का माल्यार्पण व उपरणा ओढ़ाकर स्वागत किया। गायिका रिया उपाध्याय ने गीता का भजन व महेन्द्र ने गीता के श्लोकों का सस्वर से वाचन किया।
तीन सत्रों में हुआ गीता पर मंथन:
तीन सत्रों में आयोजित इस महोत्सव के प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि सामान्य प्रशासन, राजस्थान स्टेट मोटर गैराज एवं लेखन व मुद्रण राज्यमंत्री जीतमल खांट जबकि अध्यक्षता साहित्यकार श्रीमती मधु उपाध्याय ने की। दूसरे सत्र के मुख्य अतिथि लालशंकर पारगी व अध्यक्षता अतिरिक्त जिला शिक्षाधिकारी माध्यमिक शैलेन्द्र भट्ट ने की वहीं तीसरे व समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रांतीय धर्म जागरण प्रमुख मनफुल दयाल थे व अध्यक्षता महावीर इंटरनेशनल के अजीत कोटिया ने की।
इन सत्रों में डॉ. दिव्य भारत पण्ड्या, राजेन्द्र एकनाथ कोठारी, भुवनमुकंद पण्डया, दीपक श्रीमाल, भूपेन्द्र तनिक, श्रीमती मुकुल शुक्ला, भागवत कुंदन, डॉ. राजेश जोशी, डॉ. राकेश शास्त्री, श्रीमती शुचि जोशी, नीता चौबीसा, मयूरी भावसार, प्रिया जोशी, सुरेश यादव, सुभाष मईडा, सलोनी जैन, हिना राठौड़, पिनल टेलर आदि ने अपने-अपने सारगर्भित पत्रवाचन प्रस्तुत किए। प्रारंभ में भुवनमुकंद पण्डया ने गीता दर्शन व शोध एवं समर्पण संस्था के कार्यो व विनोद कुमार ने श्री उत्तम स्वामी सेवा संस्थान के कार्यो की जानकारी प्रदान की।
बांसवाड़ा में बनेगा गीता भवन:
इस अवसर पर महर्षि उत्तम स्वामीजी ने बांसवाड़ा में शीघ्र ही गीता भवन व संग्रहालय का निर्माण प्रारंभ किए जाने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि इसके लिए पांच हजार स्क्वायर फीट जमीन प्राप्त कर ली गई हैं। यह एक ऐसा संग्रहालय होगा जिसमें गीता के सभी प्रकाशनों के अतिरिक्त गीता पर अब तक किए शोध व लेखन का संग्रहण किया जाएगा। जो भविष्य में शोधार्थियों के लिए अनमोल धरोहर का कार्य करेगी। ध्यानयोगी उत्तम स्वामी ने इस दौरान आगामी वर्षों में गीता जयंती महोत्सव को और भी अधिक भव्य तरीके से आयोजित करने की घोषणा की।
कई साधु-संतों ने की शिरकत:
ध्यानयोगी महर्षि उत्तम स्वामी की पहल पर शहर में पहली बार आयोजित हुए गीता जयंती महोत्सव के तहत बड़ी संख्या में साधु-संतों ने शिरकत की। इस दौरान वाल्मिकि आश्रम के महंत थावरगिरी, माही माता मंदिर के मौनी बाबा, आशापूर्ण महाराज, खड़ेश्वर महाराज, लालशंकरजी सहित क्षेत्र के दूर-दराज के स्थानों से संत आश्रम पहुंचे और गीता जयंती उत्सव में निस्सृत ज्ञानामृत का रसपान किया। साधु-संतों की उपस्थिति में इस दौरान भजन-कीर्तनों का दौर भी चला जिससे दिनभर आश्रम परिसर वाद्ययंत्रों की स्वर लहरियों से गुंजायमान रहा।
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