कैंसर की प्रभावी रोकथाम में राजस्थान सरकार विफल-डा.चतुर्वेदी

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Published on : 10 Dec, 16 07:12

डा.चतुर्वेदी ने कहा कि देशभर में करीब तीन सौ से अधिक कैंसर सर्जन वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस (वीओटीवी) के माध्यम से वालंटियर के रुप में अपनी सेवाएं दे रहें है। जो कि देश के सभी राज्येां में सरकार को तंबाकू से होने वाले कैंसर को रोकने में मदद करते है।

कैंसर की प्रभावी रोकथाम में राजस्थान सरकार विफल-डा.चतुर्वेदी
जयपुर टाटा मैमोरियल मुबई के हैड नेक कैंसर सर्जन डा.पकंज चुतर्वेदी ने कहा है कि राजस्थान में मुंह का कैंसर सर्वाधिक होता है उसका मुख्य कारण यंहा के लोगांे में तंबाकू के सेवन की पृवृति होना है। यधपि राजस्थान सरकार ने गुटखा प्रतिबंधित किया है,फिर भी उसका क्रियान्वयन बहुत ढीला होने के कारण अभी भी आमजन तक इसकी पहुंच बहुत आसानी हसे है। डा. चतुर्वेदी शुक्रवार को सवाईमान सिंह अस्पताल के स्थापना दिवस वर्ष पर आयेाजित तंबाकू के खिलाफ हम जंग क्यों हार रहे है पर आयेाजित सेमीनार को संबोधित कर रहे थे।
उन्होेने कहा कि दुनियंाभर में सबसे अधिक ओरल कैंसर के रोगी भारत में है। यंहा पर लोग अपनी बदलती हुई जीवनशैली, दिनचर्या, व्यक्तिगत साफ सफाई पर अधिक ध्यान नही देने से भी कैंसर रोग के होने की संभानवनांए बढ़ जाती है। इसलिए इन सामान्य बातों पर भी ध्यान देने की जरुरत है।
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार ने केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सुगंिधत पान मसाला व सुगधित सुपारी, तंबाकू पर प्रतिबंध का आदेश अभी तक नही निकाला है। यही कारण है कि गुटखा भले ही नही मिले लेकिन सुगंिधत सुपारी व सुगंधित तंबाकू सरेआम बाजार आसानी से मिल रहा है।
वर्ष 2014 में जानॅ हापकिंस यूनिवर्सिटी ब्लूमबर्ग स्कूल व विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा किए गए शोध में सामने आया कि देश के 92 प्रतिशत लेाग तंबाकू उत्पादो को बेन करना चाहते है।
उन्होने कहा कि सभी स्वास्थ्य संस्थानों को पूरी तरह से कानून के तहत तंबाकू मुक्त संस्थान बनाना चाहिए, ताकि मरीजों पर और भावी चिकित्सकेां पर इसका प्रभावी असर पड़े और उनमें तंबाकू की प्रवृति को कम करें।
गौर की बात यह है कि इन सब पदार्थों से सरकार को बहुत ही कम राजस्व की प्राप्ति होती है। यह सर्व विदित है कि इससे होने वाली बीमारियों पर राज्य सरकार हजारो करोड़ रुप्ए स्वास्थ्य सेवाअेां पर खर्च कर रही है। इसके अलावा हजारों युवा दर्दनाक मौत के शिकार हो रहे है।

डा.चतुर्वेदी ने कहा कि देशभर में करीब तीन सौ से अधिक कैंसर सर्जन वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस (वीओटीवी) के माध्यम से वालंटियर के रुप में अपनी सेवाएं दे रहें है। जो कि देश के सभी राज्येां में सरकार को तंबाकू से होने वाले कैंसर को रोकने में मदद करते है।
सवाई मानसिंह अस्पताल के एसेासियट प्रोफेसर डा. पवन सिंघल ने कहा कि सवाई मान सिंह अस्पताल में तबाकू से होने वाली नाक, कान और गला कैंसर की एक बाढ़ सी आई हुई है। दुख की बात यह है कि अभी जो मरीज आ रहे है उनमें अधिकतर युवा है। इनमें से जिन्हे कैंसर की पहचान हो जाती है उनमें से अधिकांश एक साल के अंदर ही है।
राजस्थान में 32 प्रतिशत लोग किसी न किसी रुप में तंबाकू उत्पदों का सेवन कर रहे है। किशोर उम्र के जो लड़के लड़कियां धूम्रपान करतें है,उनमें से 50 प्रतिशत लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियेां से पीड़ित होकर मर जातें है। औसतन धम्रपान करने वाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 26 प्रतिशत तक घट जाती है। राजस्थान राज्य में प्रतिदिन लगभग 250 नए तंबाकू उपभोक्ता तैयार होते हैं। वंही देश मंे रोजाना 5500 नये उपभोग करने वाले शामिल है। राज्य में किशोरों में तंबाकू का सेवन शुरु करने की औसत आयु 17 साल है जबकि किशोरियों में यह आयु मात्र 14 साल है। यह बेहद गंभीर समस्या है कि प्रतिवर्ष लगभग 72 हजार राजस्थानी आबादी तंबाकू के कारण समय से पहले मौत की शिकार हो जाती है।
वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण-भारत 2010 (जीएटीएस) के अनुसार रोकी जा सकने योग्य मौतों एवं बीमारियों में सर्वाधिक मौतें एवं बीमारियां तंबाकू के सेवन से होती हैं। विश्व में प्रत्येक 10 में से एक वयस्क मृत्यु के पीछे तंबाकू सेवन ही है। विश्व में प्रतिवर्ष 55 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है। विश्व में हुई कुल मौतों का लगभग पांचवां हिस्सा भारत में होता है।
डा.सुनीता अग्रवाल, प्रिंसिपल डा.यू.एस.अग्रवाल ने भी सेमीनार को संबाधित किया।
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