जगमागते 1100 दीपों के साथ लाइब्रेरी इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टीवल हुआ शुरू

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Published on : 22 Oct, 16 09:10

जगमागते 1100 दीपों के साथ लाइब्रेरी इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टीवल हुआ शुरू ये एक ऐतिहासिक दिन था जयपुर के लिए और विश्व फिल्म उदयोग के लिए। “विश्व की सबसे बड़ी और सिक्योर फिल्म लाईब्रेरी” के लिए आयोजित पहले लाइब्रेरी इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टीवल के आगाज ने इसे सार्थक कर दिखाया।

समारोह की शुरुआत 1100 दीपक जलाकर की गई, सैकड़ों लोगों ने दीप जलाकर समारोह को अपना समर्थन भी दिया। इनकी रोशनी से गोलछा सिनेमा और परकोठा जगमगा उठा। दिवाली से पहले एक नई दिवाली की शुरुआत सी होती नजर आई।
समारोह की मुख्य अतिथि प्रमुख शासन सचिव – पर्यटन, कला और संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार श्रीमति रोली सिंह, समारोह के गेस्ट ऑफ ऑनर पूर्व मंत्री डा. चंद्रभान, विशिष्ट अतिथि आई. ए. एस. निरंजन आर्य ने दीप प्रज्वलित करके समारोह की विधिवत शुरुआत की और इस मौके पर अतिथि जिफ रेड कारपेट के पूर्व चेयरमेन राजीव अरोड़ा, फिक्की फलो की चेयरमेन प्रीती साबू, जयपुर मेराथन के संयोजक सुरेश मिश्रा, इनकटैक्स अधिकारी मुकेश वर्मा, शंकरा कॉलेज के चेयरमेन एस. के. चौधरी, कार्डियोलोजिस्ट ड़ा. जी एल शर्मा, ड़ा. मालती, मंगलम ग्रूप के चेयरमेन एन के गुप्ता, कलाप्रेमी सुधीर कासलीवाल, लेखक और पत्रकार ईश मधु तलवार, रंगकर्मी रणवीर सिंह, राजस्थानी कलाकार श्रवण सागर, राजस्थान दूरदर्शन के डिप्टी डायरेक्टर जनरल आर एस त्यागी, साकेत हॉस्पिटल के अधीक्षक डा. मुंजाल, जे. जे. एस. के प्रवक्ता अजय काला, वीणा समूह के चेयरमेन के. सी. मालू, लेखक नन्द भारद्वाज, इकराम राजस्थानी और इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता, कलाकार, व्यवसायी, डाक्टर्स, जिफ बोर्ड मेंबर्स, फिल्म लवर्स और मीडिया आदि क्षेत्रों से अनेक गणमानय लोग मौजूद रहे। ऐसा लग रहा था जैसे “विश्व की सबसे बड़ी और सिक्योर फिल्म लाईब्रेरी” के सपने को पूरा करने के लिए जयपुर उमड़ पड़ा हो।

डा. चंद्रभान ने कहा की “विश्व की सबसे बड़ी और सिक्योर फिल्म लाईब्रेरी” एक सुंदर सपना है और इसकी पहली गतिविधि लाइब्रेरी इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टीवल से इसे हकीकत में बदलने की कहानी शुरू हो चुकी है, मैं उम्मीद करता हूँ की सरकार इस प्रोजेक्ट को पूरा कर सकने में यथासंभव सहयोग करे। उन्होने कहा की इस फेस्टीवल और इसके सपने से यहाँ के लोगों को नई फिल्में देखने को मिल रही है जो आम तौर पर नहीं मिलती। इससे यहाँ के पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
उन्होने कहा की आज हम सब को यहाँ 1100 दीप जलाकर दिवाली से पहले ही दिवाली का अहसास करा दिया।

फेस्टीवल के फाउंडर हनु रोज हनु रोज सभी मेहमानों का स्वागत किया और जिफ के प्रवक्ता राजेन्द्र बोड़ा ने समारोह में आने के लिए सभी को धन्यवाद दिया।


22 अक्तूबर का प्रोग्राम -

भारत पाकिस्तान और विश्व के वर्तमान हालातों को देखते हुये फेस्टीवल का स्पेशल ट्रीब्यूट “ग्लोबल पीस” के नाम रखा गया है। फेस्टीवल मेँ अनेक फिल्में ग्लोबल पीस, युद्द और शांति पर आधारित हैं। इसी के तहत आज युद्द और शांति विषय पर गोलछा सिनेमा में 2 बजे से चर्चा सत्र आयोजित होगा।
3 बजे से बजे तक गोलचा सिनेमा के टिवोली हॉल में देश विदेश की 9 उम्दा फिल्मों की स्क्रीनिंग होगी। राजस्थान से थोड़ी से तो लिफ्ट करा दे शॉर्ट फिल्म, भारत से अंशु एवरेस्ट कॉलिंग शॉर्ट डाक्यूमेंटरी, भारत से ही 93 नॉटआउट और विदेश से शॉर्ट अनिमेशन फिल्म्स में मनी टाईम फ्रांस से, अग्रिनौई सायप्रस से, गोल्डन शॉट टर्की से और चिका डीइ हुंडीन ईम घेटों जर्मनी से तथा ईरान से 157 डाक्यूमेंटरी फीचर फिल्म और पावो जर्मनी से 117 मिनट की फीचर फिल्म है।
पावो जर्मनी से - युवा दोरजी की कहानी
मारविन लिटविक दवारा निर्देशित 117 मिनट की ये फिल्म तिब्बतियन और अँग्रेजी में है।
कहानी ये है की एक युवा दोरजी अपने पिता की मौत के बाद अपने आप से पूछता है की अपने देश में एक तिबतियन का क्या मतलब है जो की अब चीन देश के नाम से जाना जाता है। 2008 में तिब्बत की नई आजादी के साथ ही चीन पुलीस दोरजी को गिरफ्तार कर लेती है। और 6 महीने तक जेल में डाल देती है। उसके जेल से छूटने के बाद अपने परिवार को छोडकर एक लंबे और खतरनाक रास्ते से इंडिया आ जाता है और यहाँ एक नया जीवन शुरू करता है तिब्बत की आजादी के लिए।
पावो को मिल चुके है ये अवार्ड - पाम बीच इन्टरनेशनल फिल्म फेस्टीवल में नोमिनेटेड एज बेस्ट फीचर फिल्म के रूप में।

डायूमेंट्री फीचर ए 157 ईरान से - युद्द में तीन गर्भवती लड़कियों की कहानी
ए 157 बेहारुअज नूरानीपोर की 73 मिनट की डाक्यूमेंटरी फीचर फिल्म है। फिल्म में बताया गया है की शांति और समानता ऐसी कवितायें हैं जो एक देश के सपनो को बयान करती है। लेकिन समानता और शांति चाहने वालों के हालात ठीक नहीं हैं। ये फिल्म तीन गर्भवती लड़कियों की कहानी है जो युद्द, हिंसा और सेक्स का सामना करती है और अब जहाँ लोगों के अब कोई सपने नहीं बचे हैं।
फ़जर और ईरान फिल्म फेस्टीवल में बेस्ट डाक्यूमेंटेरी का अवार्ड जीत चुकी है ए 157।
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