देश की रक्षा में भागीदारी दे आम आदमी

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Published on : 26 Sep, 16 17:09

सदियों से देश की रक्षा का भार भारतीय सेना के फौलादी कंधों पर है। हम सब नागरिक अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं और सिपाही हर क्षण चौकस रहकर देश की रक्षा करते हैं।
आज मेरा सवाल हम सब आम भारतीयों से है।
किस तरह हम सब अपने देश की रक्षा करने में अपनी भागीदारी दे सकते हैं?
हम सब देश की सीमा पर जाकर तो नहीं लड़ सकते पर हम ऐसा कुछ अवश्य कर सकते हैं जो देश की एकता और अखंडता की रक्षा में अहम भूमिका निभा सके।
आखिर ऐसा क्या कर सकते हैं हम जो दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर सके?
कुछ ऐसा जो आज तक कभी नहीं हुआ।
हम सब एक दूसरे का सम्मान करें , हर संभव सहायता करें। सभी भारतवासी एक दूसरे के धर्म, जाति ,.रंग रूप पर टीका टिप्पणी छोड़ दें। महिलाओं के प्रति सोच बदल दें। समाज को इतना मज़बूत बना दें कि बाहरी ताकतें कभी हमारी एकता को तोड़ ना पायें।
जब आपस में भेदभाव होगा, हर जगह आपसी कलह उजागर होगी तो बाहरी दुनिया इसका फायदा उठायेगी ही। पश्चिमी मुल्क दो विश्व युद्ध लड़ने के बाद भी तरक्की कर गए, जापान ने परमाणु हमला झेलने के बावजूद तकनीक के क्षेत्र में कई पश्चिमी मुल्कों को भी पीछे छोड़ दिया है।
क्या वे हमसे अलग हैं?
उत्तर है नहीं।
हम सब विविधता में एकता का पाठ बचपन से पढ़ते आये हैं परन्तु सही मायने में इसे आज तक समझ नहीं पाये हैं। अमेरिका में कई मुल्कों के लोग रहते हैं परन्तु वहां सभी नागरिक देश की तरक्की में सहयोग करते हैं। मेरी मित्र ऐशले जो वेगास में रहती है , ने एक महत्वपूर्ण बात बतायी। उसने बताया कि सभी अमेरिकी नागरिक अपनी जि़म्मेदारी समझते हैं। चाहे बात सफाई की हो या कानूनों के पालन की, हम सब मिलकर काम करते हैं। ऐसा नहीं कि वहां अपराध नहीं होते पर आम नागरिक अपने फर्ज़ नहीं भूलते। जापानी हमेशा स्वंय को पीछे व देश की सेवा को पहला धर्म मानते हैं।
हम सब पश्चिमी संस्कृति की सदा दुहाई देते हैं पर उनके नागरिकों से देश के प्रति फर्ज़ क्यों नहीं सीखते? सरकार पर निर्भर ना रहकर यदि हम गंदगी ना फैलाएं और अपने देश की एक सुई भी व्यर्थ ना जाने दें तो यह हमारे देश की सच्ची सेवा होगी।
गरीब बच्चों को शिक्षित करें। यदि सभी सक्षम परिवार एक एक भी गरीब बच्चे की शिक्षा का भार उठा लें तो देश की नयी शिक्षित पीढ़ी तैयार हो सकती है।
हम क्यों ना एक अभिनव पहल करके अन्य देशों के सामने उदाहरण बनें?
हर व्यक्ति अधिकार से ज़्यादा कर्तव्य के प्रति जागरूक हो तो मसला ही हल हो जाता है।
सड़कों पर व्यर्थ उलझना, पड़ोसी से झगड़ना बंद कर सहयोग की भावना कायम करें। विज्ञान की तरक्की के साथ आपसी सहयोग की भावना देश को कहीं आगे ले जा सकती है। बात बात में तू तू मैं मैं पर उतर आये लोग अगर थोडा़ सब्र रख लें तो एक मिसाल कायम की जा सकती है।
सभी देशवासी एक दूसरे के साथ हर क्षेत्र में एक होकर आगे बढ़ें। समाज मज़बूत होगा तो कोई भी ताकत हमें तोड़ नहीं पायेगी। बाहरी दुनिया हमारी इसी कमजो़री का फायदा उठाती रही हैं।
भारतीयों की एकता पड़ोसी मुल्कों को बेहद परेशान करती है। हमारा एक भी गलत कदम अंतरराष्ट्रीय जगत में हमारी छवि धूमिल कर सकता है। चोरी, डकैती, बलात्कार , हत्या के बढ़ते आंकड़ों पर चर्चा करने से बेहतर है कि हम शिक्षा को बढा़वा दें। अपराधियों को सुधारना, उन्हें पैरों पर खड़ा कर समाज में वापस सम्मानित स्थान दें। आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठन के खिलाफ कुर्द महिलाओं की एकता अपने आप में अनोखी मिसाल है।
हम सब सोशल मीडिया पर भड़ास ना निकालें बल्कि आपसी सद्भभावना कायम रखकर उसका जवाब दें।
जैसे सरकार व सेना अपना काम कर रही हैं वैसे ही हमारा काम आपसी प्रेम को बढ़ाना व अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन ठीक से करना है।
रोकिये जब गलत होता देखें। सुधारिये जहां ज़रूरत महसूस हो। सड़क पर चलते हुए कानून का पालन करें। अपराध और भ्रष्टाचार को रोकने की पहल करें। सबसे महत्वपूर्ण बात राष्ट्र हमारी छोटी पहल से भी मज़बूत बनता है। मैं फिर कहूंगी कि अपने राज्यों की जय से पहले देश की जय बोलिये। भारतवासी हैं तो बताइये कि आप सिर्फ भारतीय हैं। राजस्थानी, बिहारी, पंजाबी ना बनकर पूरे विश्व को भारतीय बनकर दिखाइये।
जय हिन्द, जय भारत।
साभार :


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