तपस्या कर्मों की निर्जरा का साधन हैं : साध्वी शांता

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Published on : 13 Aug, 16 16:08

नाथद्वारा | तपस्याकर्मों की निर्जरा करने का सर्वोत्तम साधन है। तप से आत्मा तो निर्मल बनती है। काया भी स्वस्थ निर्मल बनती है। चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के शासनकाल में भगवान महावीर ने साढें ग्यारवें वर्षो की तपस्या करके अपनी आत्मा का कल्याण किया था। यह विचार साध्वी शांताकुमारी ने तप अनुमोदन कार्यक्रम में शुक्रवार को व्यक्त किया। साध्वी चंद्रावती, साध्वी ललितयशा, पूर्व अध्यक्ष कमलेश धाकड, कांतिलाल धाकड, रमेश सोनी, उपासक गणेश मेहता, फतहलाल बोहरा, दिपेश धाकड, हेमा मेहता, महिला मंडल, कन्या मंडल सहित अनेक सदस्यों ने अपने भावो गीत संगीत द्वारा तप की अनुमोदना की गई।
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