भरण पोषण अधिनियम प्रभावी ढंग से लागू हो - के.जी. बालकृष्णनन

( 8661 बार पढ़ी गयी)
Published on : 29 Jul, 16 17:07

बुजूर्ग राष्ट्र एवं समाज की धरोहर - एन.एन. माथुर

भरण पोषण अधिनियम प्रभावी ढंग से लागू हो - के.जी. बालकृष्णनन उदयपुर राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एन.एन. माथुर ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक हमारे माता पिता के समान तो है ही, इसके साथ साथ वे हमारे गुरू के समान भी है क्योंकि शिक्षा दीक्षा संस्कार आशीर्वाद से ही हम नए समाज का निर्माण करते है। बुजूर्ग समाज व राष्ट्र की धरोहर है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को वरिष्ठ नागरिक का सम्मान करना चाहिए। वरिष्ठ नागरिक एवं भरण पोषण अधिनियम को धरातल स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिए। अवसर था जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं वरिष्ठ नागरिक संस्थान राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007’’ के 10 वर्षीय कार्यक्रमों की समीक्षा विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में उद्घाटन के अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कही। समारोह के मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष के.जी. बालकृष्णनन ने कहा कि हमारे देश में जहां बुजूर्गो को मान सम्मान दिया जाता है माता पिता को इ्रर्श्वरा के बराबर माना जाता है वही दूसरी कुछ माता पिता एवं बुजूर्ग ऐसे भी है जिन्हे अपने बच्चों एवं समाज द्वारा तिरस्कार सहना पडता है उम्र में इस पडाव पर जहा उन्हे अपने बच्चों की आवश्यकता होती है वही वह रहने व खाने के भी मोहताज होते है। उन्होने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों को सरकार द्वारा अलग से मेडिकल सुविधा, एम्बुलेंस सुविधा करनी चाहिए क्योकि हमारे समाज का एक बहुत बडा हिस्सा होते है। देश के उच्च आर्थ्र्ाक विकास की कल्पना हम तभी कर सकते है जब हम धरातल स्थल पर सामाजिक उत्थान नही कर लेते । सम्पूर्ण देश में उच्च शिक्षित लोंगों को जोड कर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को जन जन तक पहूचाऐं। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस.सारंगदेवोत ने कहा कि आदिकाल से हमारे देश की सभ्यता व सस्ंकृति सम्पूर्ण विश्व में गौरवशाली रही है, गावों में रहने वाले सभ्यता व सस्ंकृति जीवित रखे हुए ह वे सयूक्ंत परीवार में रहकर माता-पिता की सेवा करते है लेकिन विडम्बना यह है कि शहरी क्षैत्र् के उच्च शिक्षा पाने वाले सामाजिक बदलाव के चलते अपने बुजुर्ग माता पिता को साथ मे रखने में सकोंच करते है आज ऐसा वातावरण तैयार करने जरूरत है के युवा पीडी को सस्ंकार व शिक्षा दे कर घर परीवार मे व्याप्त हिंसा एवं मतभेदों को भुलाया जा सकता है हमें भारत को पूनः विश्व गुरू बनाने के लिए तक्षशिला नालन्दा , गुरूकूल, कांगडी जैसे शिक्षा केन्द्रों की स्थापना करनी होगी।
विशिष्ठ अतिथि पजंाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अमरजीत सिंह खेडा ने कहा कि 2007 एक्ट में गरीब लोगों को ध्यान में रख कर नही बनाया गया क्योंकि असली जरूरत देश के उन 10 प्रतिशत गरीब वरिष्ठ नागरिकों की है।कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर शुरूआत की, सरस्वती वन्दना प्रेम प्यारी भटनागर ने की, वरिष्ठ नागरिक सस्थ्ंाान के प्रदेश अध्यक्ष श्री भंवर सेठ ने स्वागत उद्बोधन देते हुए वरिष्ठ नागरिक सस्थ्ंाान का परिचय दिया भारतीय वरिष्ठ नागरिक महासघ्ंा के उपाध्यक्ष सुगन भाटीया ने सेमिनार के विषय की रूप रेखा रखी , धन्यवाद डीएन चाफ ने दिया, संचालन डा. हिना खान ने किया, समारोह में प्रो. जीएम मेहता,डा.शशि चितोडा डा. मन्जु माण्डोत, डा. प्रवीण दोषी, डा मनीष श्रीमाली ,डा. कला मुणेत, डा. शेलेन्द्र मेहता, डा युवराज सिंह राठोड सहीत विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर सहीत वरिष्ठ नागरिक सस्थ्ंाान के देश के कोने आये 250 सदस्य उपस्थित थे।

पत्र् वाचन वरिष्ठ नागरिक सस्थ्ंाान के प्रदेश अध्यक्ष भंवर सेठ ने बताया कि दो समानान्तर सत्रें में state specific presentation on the Maintenance law in practice विषय पर सीएल कच्चारा, किशोर असवाल,गिरिश भटनागर, डा. श्रीमति शिल्पा सेठ ने तथा the maintenance law 2007 conciliation adjudication and appeal for maintenance विषय पर श्री एसपी करकरे,आर के धवन, बीबी दीक्षीत , भंवर सेठ, चन्दायलर रेडी, श्री असीन शर्मा ने विचार रखें।


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.