रेत के समन्दर में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण

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Published on : 27 May, 16 20:05

वायुसेना में शामिल करने का मार्ग हुआ प्रशस्त

रेत के समन्दर में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण
देवीसिंह बडगूजर,जोधपुर। भारतीय वायुसेना के लिए जमीन से जमीन पर वार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के एडवांस वर्जन का शुक्रवार को रेत के समन्दर में सफल परीक्षण किया गया। पश्चिमी क्षेत्र में किसी स्थान पर स्थित एक फायरिंग रेंज में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के उन्नत वर्जन को आज दिन में बारह बजे दागा गया और इसने अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा। दुनिया की बेहतरीन मिसाइल में शुमार यह मिसाइल परीक्षण के दौरान अपने सभी पैरामीटर पर पूरी तरह से खरी उतरी। परीक्षण के दौरान वायुसेना के आला अधिकारी और इसे विकसित करने वाले वैज्ञानिक भी उपस्थित थ। यह परीक्षण भारतीय वायुसेना,डीआरडीओ और ब्रह्मोस एयरोस्पेस लि. की ओर से संयुक्त रूप से किया गया। मालूम हो कि भारतीय वायुसेना के पास जमीन से जमीन पर वार करने वाली एक स्क्वाड्रन भी है। इस सफल परीक्षण से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के एडवांस वर्जन को वायुसेना में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अब भारतीय सेना के तीनों अंगों थल, जल और नभ के पास यह बेहतरीन मिसाइल उपलब्ध हो गई है।
ंअधिकारियों ने बताया कि सभी उडान मानकों के साथ ब्रह्मोस ने निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक नेस्तनाबूद किया। ब्रह्मोस एयरोस्पेस लि. के सीईओ और एमडी सुधीर मिश्रा ने कहा कि मैं इस जटिल मिशन की सफलता पर भारतीय वायुसेना को बधाई देता हूं। ब्रह्मोस एक बार फिर सर्वोत्तम सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम बनकर दुनिया में उभरा है। डीआरडीओ चीफ डॉ. एस त्रि*स्टोफर ने भी भारतीय वायुसेना, ब्रह्मोस टीम और मिशन में शामिल डीआरडीओ वैज्ञानिकों को मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी है।
इधर,सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रह्मोस को मार गिराना तकरीबन असंभव है। इसकी गति ध्वनि से तीन गुना अधिक है।
जबकि नाटो सहित कुछ देशों के पास डेढ से दो गुना क्षमता की मिसाइल को नष्ट करने की क्षमता है। ऐसे में ब्रह्मोस का पता तक लगा पाना उनके लिए मुश्किल है। अमेरिका इस मिसाइल का गहनता के साथ अध्ययन कर रहा है कि इस तरह की मिसाइल को किस तरह बीच रास्ते में रोका जा सकता है। इसमें सबसे बडी बाधा इसको रोकने में बहुत कम समय होने को लेकर आ रही है। बहुत नीची उडान भरने के कारण इसे किसी राडार की सहायता से पता लगा पाना भी असंभव है। बता दे कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अब इसे सुखोई में लगाने में सफलता हासिल कर ली है। सुखोई आकाश में भी युद्ध करने में सबसे बेहतरीन माना जाता है। अब इसमें तीन ब्रह्मोस मिसाइल लगने से इसकी मारक क्षमता इतनी भयावह हो जाएगी कि यह किसी के रोके नहीं रुकेगा। याद रहे कि भारत और रूस के संयुक्त उपऋम ब्रह्मोस कारपोरेशन की ओर से विकसित की जा रही इस मिसाइल का नामकरण भारत की ब्रह्मपुत्र और मास्को से होकर बहने वाली मस्कवा नदी के नाम को मिलाकर किया गया है।
ध्यान रहे कि हाल ही में भारतीय सेना की ओर से किए गए एक अभियान में पहाड युद्ध (माउंटेन वॉरफेयर) मोड में इसकी एक्युरेसी को पुर्नस्थापित किया गया है। इस फॉर्मिडेबल मिसाइल सिस्टम ने भारतीय सेना के तीनों अंगों को त्रुटिहीन एंटी शिप और जमीनी हमले की क्षमता के साथ सशक्त किया है। जेवी के इस मॉडल ने कम से कम समय में अच्छे परिणाम दिए हैं। यहां यह बता देना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भारत के अलावा भी कई देश हैं, जो भारतीय क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को अपनी सेना में शामिल करना चाहते हैं।

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