प्रगति करें, आकाश छुएं मगर धरती को न भूलें - राज्यपाल

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Published on : 27 Apr, 16 09:04

राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह

 प्रगति करें, आकाश छुएं मगर धरती को न भूलें - राज्यपाल जयपुर, राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कल्याण सिंह ने चिकित्सकों का आव्हान किया है कि वे खूब पढें, आगे बढें, प्रगति करें, आकाश छुएं मगर धरती को न भूलें। उन्होंने युवा चिकित्सकों से कहा कि वे अपने कौशल का सर्वाधिक इस्तेमाल ग्रामीण व गरीबों की सेवा की तरफ रूझान रख कर करें ताकि सही रूप में मानवता की सेवा हो सके।
राज्यपाल श्री सिंह मंगलवार को यहां बिडला सभागार में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। कुलाधिपति श्री सिंह ने चिकित्सक विद्यार्थियों को उपाधियां व पदक प्रदान किये। श्री सिंह ने उपाधि व पदक प्रदान करते हुए चिकित्सक विद्यार्थियों के गम्भीर चेहरों को देखकर कहा कि ’’ डिग्री लेने वालो को मुस्कराना चाहिए। ’’ श्री सिंह ने विद्यार्थियों की पीठें थपथपाई और उनको शाबाशी दी। दुबले-पतले चिकित्सक विद्यार्थियों से कहा कि ’’ इस पढाई में मेहनत बहुत करनी पडती है लेकिन अब पढाई पूरी हो गई है इसलिए चिन्ता खत्म करो, अपने स्वास्थ्य का भी ख्याल रखो और ग्रामीण, गरीब व दलित की सेवा करो। ’’
राज्यपाल श्री सिंह ने कहा कि जब आदमी बीमार होता है तो वह ऊपर वाले भगवान और धरती वाले चिकित्सकों से ही विनती करता है। ऐसी परिस्थितियों को चिकित्सक समझें और वे मरीज की वेदना का एम्पैथी (आत्मानुभूति) के साथ उपचार करें।
श्री सिंह ने कहा कि ’’ भारत की आत्मा गांवों में बसती है। आप और हम गांवों से ही निकलकर यहां आये हैं। डॉक्टर बनकर गांवों में जाने से कतराना नही चाहिए। हमें गांव, गरीब, ग्रामीण, दलित की सेवा करनी है। कमजोर की मदद करनी है। ’’ उन्होंने कहा कि ’’ चिकित्सा विज्ञान केवल मात्र विज्ञान ही नही है बल्कि यह मानव जीवन के पहलुओं से जुडा हुआ मानव दर्शन शास्त्र भी है। अतः चिकित्सक को मरीज और उनके परिजनों की सामाजिक, आर्थिक और मानसिक स्थितियों को समझ कर उपचार करना होगा। इससे चिकित्सक और मरीज के मध्य सद्भाव का वातावरण बनेगा और मरीज की बीमारी का उपचार आसान हो सकेगा। ’’
श्री सिंह ने कहा कि ’’ स्वस्थ समाज के निर्माण में चिकित्सकों का योगदान अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। समाज चिकित्सकों का सम्मान करता है, अतः चिकित्सकों को भी मानव सेवा को अपने व्यक्तित्व का अभिन्न अंग बनाना होगा। ’’ उन्होंने चिकित्सकों को जन सेवा के पावन कार्य में सफलता के लिए शुभकामनाएं दी।
राज्यपाल ने कहा कि ’’ स्वास्थ्य में यज्ञ-हवन की उपादेयता पर एक शोध कार्य इस विश्वविद्यालय द्वारा किया गया है। यह सराहनीय प्रयास है। हवन पर किये जा रहे शोध से आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली को एक नई दिशा मिलेगी। यह शोध कार्य विश्व में प्रथम बार किया गया है। अतः इसे पेटेन्ट कराया जाना चाहिए। ’’
समारोह में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री मुकेश शर्मा ने दीक्षांत भाषण में कहा कि चिकित्सक मानव सेवा को अपना ध्येय बनायें। भगवान के बाद व्यक्ति को जीवन देने वाला चिकित्सक ही होता है, इसलिए चिकित्सक को अपनी शपथ का ध्यान रखना होगा। श्री शर्मा ने कहा कि राज्य की चिकित्सा सुविधाओं में सुधार हुआ है। चिकित्सा के क्षेत्र में नये भवन बने हैं और नये उपकरण भी आये हैं, साथ ही चिकित्सा शिक्षा व शोध में भी अथक प्रयास हो रहे हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजा बाबू पंवार ने स्वागत उद्बोधन में कहा है कि गत एक वर्ष में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ने प्रगति के अनेक सौपान तय किये हैं। आर्थिक स्वावलबंन की दृष्टि से यह अग्रणी विश्वविद्यालय बन गया है। विश्वविद्यालय परीक्षाओं में प्रश्न-पत्र ऑनलाईन प्रेषित कर रहा है। टेली-मेडिसिन पर आधारित एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, जिसमें गांव में रोगी का ई.सी.जी. किया जाता है और उसी समय उसकी लाइव रिकार्डिंग एस.एम.एस. हॉस्पिटल में हो जाती है। इससे हृदय की गंभीर बीमारी में विशेषज्ञों द्वारा सुझाया गया उपचार रोगी को गांव में ही दिया जाना संभव हो गया है।
प्रारंभ में राज्यपाल एवं कुलाधिपति सिंह को एकेडमिक प्रोसेशन के साथ सभागार में ले जाया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के प्रबंध मंडल, विद्या परिषद के सदस्य विभिन्न संकायों के अधिष्ठाता, राज्यपाल के विशेषाधिकारी डॉ. अजय शंकर पांडे सहित विद्यार्थी व उनके अभिभावकगण मौजूद थे। विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार श्रीमती नलिनी कठोतिया ने दीक्षांत कार्यक्रम सम्पन्न करवाया।



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