देश की गर्भ कल्याणक मनाने की संस्कृति है,गर्भपात करवाने की नहीं

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Published on : 14 Feb, 16 08:02

हमारे देश की गर्भ कल्याणक मनाने की संस्कृति है ,गर्भपात करवाने की संस्कृति हमारी नहीं है ,बेटा हो या बेटी कभी भी गर्भपात नहीं करवाएं ,जो गर्भ में आता है उसे जन्म लेने का पूरा अधिकार है ,जहाँ तक हो सकें ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें नहीं तो संतान के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन जरुर करें ये विचार दिगम्बर जैन आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने आज अपने प्रवचनों में व्यक्त किये |
अतिशय क्षेत्र शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर परिसर में आयोजित पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के पहले दिन बड़ी संख्या में देश के विभिन्न शहरों से आये श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने कहा की पंच कल्याणक में प्रभु की आराधना करने से खुद के भगवान बनने का मार्ग प्रशस्त होता है ,तीर्थंकर प्रभु के पुरे जीवन काल में पांच कल्याणक होते है तीर्थंकरों के जन्म के छह महीने पहिले से ही रत्नों की वर्षा प्रारम्भ हो जाती है ,आचार्य श्री ने कहा की जब धरती पर अधर्म का प्रभाव बढता है तब इस धरती पर तीर्थंकर का अवतरण होता है ,आज सभी अपने आपको धर्मात्मा मानते है लेकिन सही अर्थो में धर्मात्मा वही होता है जिसमे नैतिकता होती है इसलिए सबसे पहले अपने जीवन में नैतिकता को अपनाओ , अपने घर की सफाई करो ,पडौसी को परेशान मत करो ,व्यापार में बेईमानी मत करो ,चौरी मत करो ये व्यक्ति का नैतिक आचारण है लेकिन जो व्यक्ति इसके विपरीत काम करता है वह कभी धर्मात्मा हो नहीं सकता |
पंच कल्याणक का आगाज
अतिशय क्षेत्र में शनिवार से शांतिनाथ रत्नजिन बिम्ब मानस्तम्भ पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आगाज हुआ ,आचार्य श्री की निश्रा में पहले दिन भूमि शुद्धी ,मंगल कलश स्थापना और ध्वाजारोहण किया गया जिसमें देश के प्रसिद्ध प्रतिष्ठाचार्यो ने वैदिक मंत्रोचारो के साथ इन्द्र प्रतिष्ठा करवाई ,साथ ही शाम को नाटक मंचन में जिवंत द्र्श्यो से भगवान का गर्भ कल्याणक मनाया गया .सीमंत संस्कार के साथ माँ की गोद भराई की रस्म हुई रात्री में कलाकारों द्वारा सांस्कृतीक कार्यक्रमों और भक्ति गीतों की प्रस्तुतियाँ दी गयी जिसमे बड़ी संख्या में देश के विभिन्न शहरों से आये श्रद्धालुओं ने भाग लिया |
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