सिर चढ कर बोला सात समुंदर पार के साथ देश का संगीत

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Published on : 13 Feb, 16 21:02

फतहसागर किनारे हुई सुरवर्षा में बार-बार तरंगित हुए रसिक श्रोता

 सिर चढ कर बोला सात समुंदर पार के साथ देश का संगीत कभी उमंग की लहरों पर सुरों की तितलियां नाचीं तो कभी अरावली के पहाडों ने सर्द हवाओं के साथ मुहब्बत का पैगाम भेजा। हवा म घुली देसराग के बीच विश्वराग के परिंदों ने परवाज ली तो तरंगित दिल बार-बार वाह-वाह कर उठे। तालियां गूंज उठी।
मौका था उदयपुर में फतहसागर की पाल पर शनिवार दोपहर पाल पर विशेष तौर पर बने भव्य मंच पर शुरू हुए दो दिवसीय उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल का। विश्व संगीत की जानी-मानी हस्तियों ने पाल पर संगीत की ऐसी जुगलबंदी साधी कि संगीत रसिक आम और खास बार-बार सुर समंदर में डूबते-तैरते रहे। वाद्य यंत्रों पर पंचक प्रस्तुति से कार्यक्रम का आगाज हुआ। सर्बिया, नीदरलैण्ड्स, भारत और ईरान के कलाकारों ने मंच पर आकर पहले अपने-अपने वाद्य यंत्रों से संगीत के टापूओं से मुहब्बत का पैगाम भेजा। उसके बाद साथ मिलकर तरानों की मीठी महक कानों में घोल दी। पियानों पर एलेक्जेंडर सिमिक, चेलो पर शास्किया राव दी हास, सितार पर शुभेन्द्र राव, तुम्बा डफ पर फकरूद्दीन गफारी और वायलिन पर शरदचंद्र श्रीवास्तव ने कई पीस नोट, देस राग, रबीन्द्र संगीत का एकला चालो रे, स्पेन के यायावरों का संगीत, नीदरलेण्ड्स की देहाती धुनों पर जुगलबंदी का फ्यूजन पेश किया। तुम्बा डफ और गिटार के नए पीस नोट्स पर बार-बार दर्शकों ने तालियां बजाईं तो शास्किया राव की रोगटे खडे कर देने वाली अंतिम बंदिश को संगीत प्रेमियों ने जमकर दाद दी।


हिन्दुतान जिंक, वन्डर सीमेंट, राजस्थान ट्यूरिज्म की ओर से आयोजित वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल की दूसरी प्रस्तुति के रूप में प्रख्यात स्पेनिश गिटार वादक जोस मारिया गलार्दो देल ने दिल के तारों को छेडा और अपनी नई और दुनियाभर में प्रसिद्ध हो चुकी धुनों पर खूब दाद पायी। दिन के कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति पुर्तगाल की प्रसिद्घ लोकप्रिय फादो गायक कारमिन्हो की थी जिन्होंने पहलीबार भारत में प्रस्तुति दी। विश्व संगीत में ए.आर. रहमान जैसी ख्याति रखने वाली कारमिन्हों ने पुर्तगाल के गीतों की प्रस्तुतियों से रोमांचित कर दिया। पुर्तगीज भाषा में प्रस्तुति के बावजूद पाल पर मौजूद हजारों लोगों ने बार-बार तालियां बजा कर प्रस्तुतियों की दाद दी। कारमिन्हों ने कहा कि विश्व संगीत कभी भी क्षेत्रीय सीमाओं में बंधकर नहीं रहता।
खींचे चले आए रसिक श्रोता
सहर संस्थान के संजीव भार्गव की परिकल्पना में आयोजित उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल की प्रस्तुतियों को सुनने के लिए फतहसागर पाल पर सुबह ही लोगों के आने का क्रम शुरू हो गया। विशेष रूप से बनाए गए स्टेज के अलावा पाल पर लोगों ने जहां-जगह मिल, वहीं पर बैठ कर व खडे होकर कार्यक्रम का लुत्फ उठाया। कई बार-वन्स मोर गूंजा तो हर बंदिश पर कलकारों को दाद मिली। शहर की कई संगीत संस्थाओं के प्रतिनिधियों के अलावा हिन्दुस्तान जिंक, वंडर सीमेंट व राजस्थान ट्यूरिज्म के कई अधिकारी व प्रतिनिधि कार्यक्रम में शरीक हुए। युवा हो या बुजुर्ग, महिला हो या पुरूष, स्थानीय नागरिक हो या पर्यटक दोपहर होते होते-होते फतहसागर की पाल हजारों संगीत प्रेमियों के उत्साह का गवाह बन गया। वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल का आगाज ये समझने को काफी था कि हवा, पानी, आकाश और धरती की तरह ही संगीत भी रूह को सुकून देता है फिर चाहे वो किसी भी देश, भाषा या संस्कृति का क्यों ना हो। संगीत के इस पर्व का गवाह बने हर व्यक्ति के मन मे दोपहर से रात तक सात समुंदर पार के साथ देश के संगीत का जादू सर चढ कर बोला।
मेरी प्रेयसी जैसी है झीलों की नगरी ः पियानो वादक एलेक्जेंडर सिमिक
पियानो वादक एजेक्जेण्डर ने कहा कि झीलों की नगरी की तुलना मैं अपनी प्रेयसी से करता हूं। झीलों के इस शहर में खुशनुमा मौसम में उसकी खूबसूरती को बयान करने के लिए मैं यहां पर आया हूं। अपनी हर कसंर्ट में लोगों का प्यार मुझे बार-बार नई बंदिशों के विचार और विश्व संगीत को कुछ नया देने के उल्लास से भर देते हैं। यहां पर लैण्डस्कैप व सनस्कैप संगीत की दुनिया को सजाने में मददगार है। मैं भारत और विश्व की नारियों के सम्मान में अपने यह प्रस्तुति डेडिकेट करता हूं।
अपनी जडों को मत छोडो, पुरखों से सीखा ः फेदो गायिका कारमिन्हो
यूरोप में अपनी एलबम फेदा और आल्मा से धूम मचाने वाली लोक गायिक कारमिन्हो ने कहा कि संगीत के सितारे हमेशा पीस एम्बेसेडर की तरह काम करते हैं। उनकी उडान किसी एक देश या किसी प्रांत की सीमाओं में बंधकर नहीं रहती। अपनी मां से संगीत सीखने से पहले मैंन वर्ल्ड ट्यूर किया। उसमें जाना कि संगीत की दुनिया कितनी विविध, विशाल और दिल को छू लेने वाली है। फादो एलबम 2॰॰9 का सबसे प्रशंसनीय एलबम रहा जिसने प्लेटिनम जुबली मनायी। वर्ष 2॰11 में सोंगलाईन मेगजीन ने इसे बेस्ट एलबम से नवाजा। आज यूराप में घर-घर में उनके संगीत के दीवाने हैं लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी जडों को नहीं छोडा। कारमिन्हों ने कहा कि वे स्टारडम के बावजूद हमेशा आधुनिक तामझाम से दूर रहती हैं, भारत के संगीतकारों को संदेश देती हैं कि हमेशा अपने पुरखों की बातों को ध्यान से सुनें, सीखें, हमें कहीं नहीं जाना है, हमें लौट कर हमारे पारम्परिक संगीत की ओर ही आना है। उसी में सुकून, शांति, विश्व बंधुत्व और जीवन की सभी समस्याओं के हल छिपे हैं। भारत आकर मैं बेहद खुश हूं और चहती हूं कि यहां पर मुझे ऐसा ही दूसरा अवसर जल्दी मिले। युवाओं के लिए कहा कि कभी भी किसी चमकती चीज के आगे मत भागो, वही करो जो आप हो, उसी में डूब कर जिओगे तो सफलता जरूर कदम चूमेगी।
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