झील स्वच्छ्ता एवं संरक्षण हो लेक फेस्टिवल का मुख्य स्लोगन

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Published on : 07 Feb, 16 21:02

झील स्वच्छ्ता एवं संरक्षण हो लेक फेस्टिवल का मुख्य स्लोगन झील स्वच्छ्ता एवं संरक्षण लेक फेस्टिवल का मुख्य केंद्र बिंदु एवं स्लोगन बनना चाहिए ıफेस्टिवल की सार्थकता तथा भविष्य में निरंतरता तभी है जब प्रशासन तथा नागरिक झीलों के प्रति अपनी जिम्मेदारी तथा उत्तरदायित्व को ईमानदारी से निभाने के संकल्प को पुनः दृढ बनाये ı
यह आग्रह रविवार को झील मित्र संस्थान , झील संरक्षण समिति तथा डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के साझे में आयोजित झील संरक्षण संवाद में किया गया ı
डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झीलें तथा जल स्त्रोत पर आयोजित सांस्कृतिक गतिविधियों के मूल में पर्यावरणीय सुरक्षा का संकल्प तथा जल के प्रति सम्मान के भाव में बढ़ोतरी होना चाहिए ıलेक फेस्टिवल महज मनोरंजन का मेला नहीं बन झील संरक्षण का आधार बने , ऐसे प्रयास करने होंगे ı
तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि बढ़ते प्रदुषण से ही झीलों में अजोला जैसी जलीय खरपतवारो में बेतहाशा वृद्धि हो रही है जो जलीय पारिस्थितिक तंत्र के लिए खतरा है ıलेक फेस्टिवल से अपेक्षा है क़ी वह झील क्षेत्र में और अधिक जल, ध्वनि एवंम वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी नहीं करेगा ı
नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि लेक फेस्टिवल झील संरक्षण एवं स्वच्छ्ता का सोपान बनना चाहिए ıसीवरेज प्रवाह , अतिक्रमण एवं किनारो पर व् भीतर गंदगी से मुक्ति में ही ऐसे आयोजनो क़ी सफलता निहित है ı
इस अवसर पर आयोजित श्रमदान में तेजशंकर पालीवाल के नेतृत्व में ललित पुरोहित,नितिन सोनी, राम लाल गहलोत एवं स्कूली विद्यार्थियों नमन , हर्षुल, लखन, दीपेश , देवेन्द्र, लोकेश, गरिमा, भावेश एवं जितेश ने झील से कचरा, खरपतवार को निकला ı


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