दुश्मन पर हमला करने का अभ्यास, तैयारियां शुरू

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Published on : 03 Oct, 15 20:10

रेत के समन्दर में सेना का युद्धाभ्यास सैन्य सैटेलाइट - ड्रोन की मदद से

दुश्मन पर हमला करने का अभ्यास, तैयारियां शुरू देवीसिंह बडगूजर जोधपुर। भारतीय थलसेना एक बार फिर पोकरण फायरिंग रेंज में अपना सबसे बडा युद्धाभ्यास अगले कुछ दिन में शुरू करने वाली है। इसकी तैयारियां जोरशोर से चल रही है। हरदम होने वाले युद्धाभ्यास की अपेक्षा यह कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण और अलग होगा। इसमें पहली बार देश की ओर से हाल में लॉच किए गए सैन्य सैटेलाइट और ड्रोन की सहायता से दुश्मन पर हमला करने का अभ्यास भी किया जाएगा। इस युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य कम से कम समय में अधिक आऋामक क्षमता के साथ दुश्मन क्षेत्र पर भारी मारक क्षमता के साथ हमला करना कि उसे संभलने का अवसर ही नहीं मिले।
रक्षा सूत्रों का कहना है कि भारतीय सेना की तीन प्रमुख स्ट्राइक कोर में से एक कोर अपने चालीस से पचास हजार सैनिकों के साथ यह युद्धाभ्यास करने जा रही है। इसकी तैयारियां करीब-करीब पूरी हो चुकी है। प्रोटोकॉल के तहत पाकिस्तान सेना को इसकी औपचारिक सूचना दी जा चुकी है। पोकरण में यह युद्धाभ्यास करीब चालीस दिन तक तक चलेगा। इस युद्धाभ्यास में हजारों जवानों के साथ ही आर्मड, आर्टिलरी और इन्फेंट्री भी भाग लेगी।
इस युद्धाभ्यास के माध्यम से भारतीय सेना मुख्य रूप से अपनी रणनीति को परखेगी। जिसके तहत कम से कम समय समय में आऋामक टुकडी को अपनी पूरी मारक क्षमता के साथ हमला बोलने की तैयारी को परखा जाएगा। वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले के पश्चात भारतीय सेना को मोर्चा संभालने में एक माह लग गया था। इस अवधि में दुश्मन को संभलने का अवसर मिल गया। साथ ही कई अन्य देशों ने भारत पर हमला नहीं करने का दबाव बढा दिया। ऐसे हालात दोबारा नहीं बने, इसी को ध्यान में रख तैयारी की जा रही है।
इस युद्धाभ्यास में पहली बार हाल ही लॉच किए गए देश के पहले सैन्य सैटेलाइट की सेवा ली जाएगी। इसकी मदद से मिले डाटा के आधार पर सेना शत्रु पक्ष की जानकारी लेकर आगे बढने की रणनीति तय करेगी। साथ ही सीमित क्षेत्र में दुश्मन की हलचल पर नजर रखने के लिए सेना पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल करेगी। देश में ही विकसित ड्रोन के माध्यम से शत्रु की उपस्थिति और उसकी संख्या के बारे में इससे अनुमान लगाया जाएगा। जबकि एनबीसी यानि न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और कैमिकल युद्ध के दौरान इस तरह के हमले होने की स्थिति में कैसे निपटा जाए। इसको भी इस युद्धाभ्यास में शामिल किया गया है। और वास्तविक युद्ध के हालात पैदा कर उन परिस्थितियों में अपनी रणनीति को भी परखा जाएगा।

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