7/11 के दोषियों में पांच को फांसी और सात को कारावास

( 9639 बार पढ़ी गयी)
Published on : 01 Oct, 15 10:10

7/11 के दोषियों में पांच को फांसी और सात को कारावास मुंबई | 7/11 के मुंबई लोकल ट्रेन धमाका मामले में विशेष मकोका अदालत ने पांच गुनहगारों को फांसी की सजा सुनाई है। शेष सात दोषियों को आजीवन कारावास सुनाया गया है। 11 जुलाई, 2006 को प्रथम श्रेणी के सात डिब्बों में हुए धमाकों में 189 लोग मारे गए थे और 828 घायल हुए थे। इस मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियामक कानून (मकोका) के तहत गठित विशेष अदालत के जज यतिन शिंदे ने नौ साल बाद बुधवार को यह फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष के वकील राजा ठाकरे ने इन सभी को मौत का सौदागर करार देते हुए तीन और दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की थी। लेकिन अदालत ने सिर्फ उन लोगों को मृत्युदंड सुनाया, जिन्होंने स्वयं ट्रेन के डिब्बों में बम रखा था। कुल 13 आरोपियों में से एक अब्दुल वहीदुद्दीन को अदालत ने निदरेष करार दिया था। विस्फोट की जांच के दौरान एटीएस प्रमुख रहे केपी रघुवंशी ने कहा कि आज के फैसले ने हमारी जांच पर मुहर लगा दी है।1दूसरी तरफ, बचाव पक्ष के वकीलों का खर्च उठाने वाली जमीयत-उलमा-ए-महाराष्ट्र इस फैसले से संतुष्ट नहीं है। उसने कहा है कि हम इसके खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट में अपील करेंगे। हालांकि, इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों और घायलों का मानना है कि यह देर से आया सही फैसला है
उम्रकैद पाने वालों पर इस साजिश में मदद करने और रेकी करने के आरोप साबित हुए हैं। जिन्हें उम्रकैद हुई, वे हैं-तनवीर अहमद अंसारी (37), मोहम्मद माजिद शफी (32), शेख आलम शेख (41), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), मुजम्मिल शेख (27), सोहेल महमूद शेख (43) और जमीर अहमद शेख (36)। अभियोजन ने डॉ. तनवीर अहमद अंसारी, शेख आलम शेख एवं मोहम्मद साजिद अंसारी के लिए भी मृत्युदंड मांगा था। आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने जांच के बाद कहा था कि विस्फोट करवाने में 20 किलो आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया। जांच एजेंसी के अनुसार ये विस्फोट गुजरात में हुए दंगों का बदला लेने के लिए करवाए गए थे। व्यस्ततम समय में पश्चिम रेलवे के प्रथम श्रेणी डिब्बों में ज्यादातर गुजराती समुदाय के लोग यात्र करते हैं। ये विस्फोट शाम को चर्चगेट से विरार की ओर जा रही सात अलग-अलग लोकल ट्रेनों में करवाए गए थे।
© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.