सस्ते तेल से सब्सिडी बिल में होगी 9,000 करोड़ की बचत

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Published on : 30 Jul, 15 08:07

सस्ते तेल से सब्सिडी बिल में होगी 9,000 करोड़ की बचत नई दिल्ली। इंडियन बास्केट के कच्चे तेल की कीमत पिछले छह महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने से अर्थव्यवस्था को तो फायदा पहुंचेगा ही, सरकार के सब्सिडी बिल में भी करीब 9,000 करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक बीते 28 जुलाई को इंडियन बास्केट कच्चे तेल की कीमत 52.93 डॉलर प्रति बैरल थी। यदि इसे भारतीय मुद्रा के हिसाब से भी देखा जाए तो उस दिन रुपया-डॉलर की विनिमय दर 64.03 रुपये थी, मतलब एक बैरल कच्चे तेल की कीमत 3,389.11 रुपये। इससे पहले जनवरी 2015 में इसकी कीमत 53 डॉलर से नीचे आई थी।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कच्चे तेल की औसत कीमत 70 डॉलर रखी गई है। इस वर्ष के शुरूआती चार महीने में इसकी औसत कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल रही थी। इसी से आयात बिल में करीब 65,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। अब तो कीमत घट कर 53 डॉलर से नीचे पहुंच गई है। मतलब और ज्यादा बचत।
पेट्रोलियम सब्सिडी के बारे में पूूछे जाने पर वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि चालू वर्ष के दौरान इस मद में 30,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस समय कच्चे तेल की कीमत चल रही है, उससे लगता है कि इसमें भी सरकार को 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत होगी।
अभी यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में यदि एक डॉलर की कमी आती है तो भारत का आयात बिल 6,500 करोड़ रुपये तक घट जाता है। हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपया के घटते मूल्य से इस पर थोड़ा असर पड़ा है लेकिन तब भी तेल की कीमत घटने का तो लाभ मिलेगा ही।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत घटने का फायदा तेल विपणन करने वाली सरकारी कंपनियों को प्रत्यक्ष रूप से मिलेगा। इंडियन ऑयल, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम जैसी कंपनियों को अब कच्चे तेल के आयात के लिए कम वर्किंग कैपिटल की जरूरत होगी। आमतौर पर ये कंपनियां बाजार से उधार जुटाकर कच्चे तेल का आयात करती हैं और जब तैयार उत्पाद बिक जाता है तो उधार चुका दिया जाता है।
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