तंबाकू व धुमप्रान उत्पादों से २५ से अधिक कैंसर जनित बीमारिंया

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Published on : 25 Jul, 15 17:07

सरकार को मिला डीजी अवार्ड वापसी के लिए स्वंयसेवी संस्थाएं लिखेंगी पत्र

जयपुर । तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों पर टैक्स व सचित्र चेतावनी को लेकर राज्य सरकार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एचओ ) के द्वारा दिये गये अवार्ड को वापिस लेने के लिए वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस, इंडियन अस्थमा केयर सोसायटी, राजस्थान वालंटयरी हैल्थ एसोसियेश न सहित अनेक संस्थाएं पत्र लिखेंगी। संस्थाअेंा के प्रतिनिधियेां ने शनिवार को होटल रेड फाक्स में संवाददाताअेां से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।
सवाई मानसिंह अस्पातल के पूर्व अधीक्षक डा.वीरेंद्र सिंह ने कहा कि देश भर में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों को सेवन से अकाल तंबाकू से २५ प्रकार की बीमारियेां होती है। दुनियंाभर में हुए विभिन्न शीध व अध्ययन प्रमाणित करते है कि विकासशील देशो में तंबाकू पर १० प्रतिश त टैक्स बढाने से बीडी उपभोग में ९.१ प्रतिशत एवं विकासशील देशो में सिगरेट सेवन मं ७ प्रतिशत की कमी आती है। इस प्रकार से बढी हुई कीमतें युवा वर्ग को तंबाकू सेवन शुरु करने से रोकती हैं साथ ही वर्तमान उपभोक्ताओं को भी हतोत्साहित करती है।
उन्होने कहा कि भारत में तंबाकू व अन्य धुम्रपान उत्पादों पर ८५ प्रतिश त सचित्र चेतावनी १ अप्रेल २०१५ से लागू होनी थी लेकिन आज तक कमेटियों में उलझ कर रह गई है।
वरिश्ठ अधिवक्ता व तंबाकू पर रिट दायर करने वाले एडवोकेट राहुल जोशी ने कहा कि सरकार के खिलाफ टैक्स व सचित्र चेतावनी को लेकर लडाई जारी रहेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सचित्र चेतावनी के मामले को लोकसभा कमेटी ऑफ सबोर्डिनेट लेजिसलेश न के पास है। इसलिए इस मामले में अभी देरी हेा रही है। जबकि राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश देकर कहा कि इसे तुरंत लागू किया जाये।
जोशी ने कहा कि कमेटी के पास इस प्रकार के मामलों में दखलंदाजी का कोई अधिकार नही है। इस कमेटी में तंबाकू व सांसद व बीडी व्यवसायी ष्यामा चरण गुप्ता इत्यादि व्यवसायी शामिल है। इस प्रकार की कमेटी के फैसलों का इंतजार करना जन हित उचित नही है। इस पर भी जून २०१५ में राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार व केंद्र सरकार को नेाटिस देकर जवाब देने को कहा है।
उन्होने बताया कि (जोन होपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल आफ पब्लिक हैल्थ) के अध्ययन के अनुसार तंबाकू उत्पादों पर की गई वर्तमान कर वृद्धि से राज्य में होने वाली अकाल मृत्यु में २.३ प्रतिशत की गिरावट आएगी । इस प्रकार राज्य में लगभग ३.४ लाख लोगों की जिन्दगियां सुरक्षित हो सकेगी। उन्होने बताया कि इनमें से २ लाख जिन्दगियां बीडी का उपभोग करने वालेां की होंगी।
उन्होने बताया कि राजस्थान में वर्तमान में ३२ प्रतिश त लोग किसी न किसी रुप में तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे है। किशीर उम्र के जो लडके लडकियां धूम्रपान करतें है,उनमें से ५० प्रतिशत लोग तंबाकू से जुडी बीमारियेां से पीडत होकर मर जातें है। औसतन धम्रपान करने वाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की तुलना में २२ से २६ प्रतिशत तक घट जाती है। राजस्थान राज्य में प्रतिदिन लगभग २५० नए तंबाकू उपभोक्ता तैयार होते हैं। राज्य में किशीरों में तंबाकू का सेवन शुरू करने की औसत आयु १७ साल है जबकि किशीरियों में यह आयु मात्र १४ साल है। यह बेहद गंभीर समस्या है कि प्रतिवर्ष लगभग ७२ हजार राजस्थानी आबादी तंबाकू के कारण समय से पहले मौत की शिकार हो जाती है।
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस के संजय सेठ ने कहा है कि दुनियांभर के शीध में सामने आया है कि तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों पर टैक्स बढाने से उनका उपयोग करने वालों की संख्या में कमी आती है। पूर्व में तंबाकू से होने वाली बीमारियेां को ग्लोबल इमरजेंसी के रुप में दुनिंयभार में माना और इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फे्रमवर्क कन्वेंश न फारॅ टोबेकेा कंट्रोल की स्थापना की। यह एक अंर्तराश्ट्रीय संधि थी जिस पर दुनियंाभर के १७८ देशो ने हस्ताक्षर किये,जिसमें भारत भी शामिल था। इसी संधि की अनुपालना में वर्ष २००३ में भारत सरकार द्वारा कोटपा २००३ कानून (सिगरेट एंव अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम २००३) लागू करने व सभी राज्य सरकारों केा तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों पर टैक्स में वृद्वि करने पर सहमति जताई गई थी।
उन्होने बताया कि इसी संधि के तहत देश भर में सबसे अधिक राजस्थान में वर्ष २००९-१० में १२ प्रतिश त,२०१०-११ में २० प्रतिश त,२०११-१२ में ४० प्रतिश त,२०१२-१३में ५० व २०१३-१४ में ६५ प्रतिश त टैक्स की बढेातरी तंबाकू उत्पादों पर निरंतर चार वर्शों तक होती रही है। जिसके चलते राज्य सरकार के वित विभाग को तंबाकू पर टैक्स बढाने की नीति को निंरतर बनाये रखने के लिए वर्ष २०१३ -१४ में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एचओ ) ने डीजी अवार्ड दिया गया। अब इस टैक्स को घटाने से कैंसर रोगियेां की संख्या में बढोतरी होगी और यह कैंसर तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन हो रहा है। इसलिए सरकार का यह निर्णय आमजन के लिए हितैशी नही है। इसलिए सरकार को जनहित में यह निर्णय वापिस लेना चाहिए।
गौरतलब है कि विश्व बैंक ने भी प्रस्तावित किया है कि विकासशील देशो में तंबाकू पर कर ७५ से १०० प्रतिश त तक बढाये जाने चाहिए।
उन्होने कहा कि वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस देश भर में ३०० से अधिक कैंसर रोग विषेशज्ञों के साथ काम रहा है। ये विषेशज्ञ स्थानीय स्तर पर जिला कलैक्टर, पुलिस अधीक्षक व प्रदेश के राजनेताअेंा को तंबाकू से होने वाली हानियों के बारे में अवगत कराता है और उनसे पालिसी लेवल पर बदलाव के लिए नियमित रुप से दबाव बनाने का काम करते है।
सवाई मानसिंह अस्पातल के नाक, कान व गला रोग विषेशज्ञ डा.पवन सिंघल बतातें है कि दुनिया में होने वाली हर ५ मौतों में से एक मौत तंबाकू की वजह से होती है तथा हर ८ सेकेंड में होने वाली एक मौत तंबाकू और तंबाकू जनित उत्पादों के सेवन से होती है। यदि वर्तमान समय जैसे हालात रहे तो २०३० तक तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल के कारण होने वाली मौत का आंकडा सालाना एक करोड तक पहुंच जाएगा।
डा.सिंघल ने बताया कि तंबाकू चबाने से मुंह, गला, अमाशय, यकृत और फेफडे के कैंसर का खतरा बढ जाता है। तंबाकू जनित रोगों में सबसे ज्यादा मामले फेफडे और रक्त से संबंधित रोगों के हैं जिनका इलाज न केवल महंगा बल्कि जटिल भी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान (आईसीएमआर) की रिपोर्ट मे इस बात का खुलासा किय है कि पुरुशो में ५०ः और स्त्रियों में २५ः कैंसर की वजह तम्बाकू है। इनमें से ९० प्रतिष्त में मुंह का कैंसर हैं। धुआ,ं रहित तम्बाकू में ३००० से अधिक रासायनिक यौगिक हैं, इनमें से २९ रसायन कैंसर पैदा कर सकते हैं।मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है। गुटका, खैनी, पान, सिगरेट के इस्तेमाल से मुंह का कैंसर हो सकता है।
इंडियन अस्थमा केयर सोसायटी के धर्मवीर कटेवा ने कहा कि देश के दस राज्यों में इन जहरीले उत्पादों पर प्रतिबंध है तो राजस्थान में क्यों नही। जबकि सुगंधित तंबाकू को १४ राज्यों ने प्रतिंबधित किया है। जिनमें आंध्रपदेश में २८ दिसंबर २०१३, आसाम, बिहार में ७ नवंबर २०१४, गोवा, हिमाचल प्रदेश १७ जुलाई २०१२, जम्मू कश्मीर ६ मार्च २०१३, महाराष्ट्र १५ जुलाई २०१४, मणिपुर २६ फरवरी २०१३, मिजोरम २२ अगस्त २०१२, पंजाब २८ नवंबर २०१४, हरियाणा, नागालेंड , तेलंगाना व नई दिल्ली में ३० मार्च २०१५ को प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
उन्हने बताया कि जब राजस्थान की विधानसभा में स्वंय स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र राठौड ने माना कि तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन से होने वाली बीमारियों पर कुल ११६० करोड रुपये का खर्च आता है। ऐसी स्थिति में सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। इसलिए सरकार को टैक्स घटाने के आदेश को वापिस लेना चाहिए और इसमें बढेातरी कर आमजन के हितेशी निर्णय करना चाहिए।
उन्होने बताया कि राजस्थान में रियासतकालीन समय में १९१९ में बीकानेर रियासत , १९५० में जयपुर रियासत व २००० में राजस्थान में तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जा चुका था तो अब सरकार को किस प्रकार की दिक्कत आ रही है।
संवाददाता सम्मेलन में वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस की प्रोजेक्ट डायरेक्टर आशिमा सरीन, राजस्थान के वीओटीवी हैड प्रताप मिश्रा इत्यादि मौजूद थे।

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