गरीब तबके के लिए वरदान साबित हो रहा -पीआईएमएस

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Published on : 24 Jun, 15 16:06

रक्तदान के लिए प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता आवश्यक ः अग्रवाल

गरीब तबके के लिए वरदान साबित हो रहा -पीआईएमएस
उदयपुर, चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साईन्सेज समर्पित चिकित्सकों, नर्सिंगकर्मियों तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञों के माध्यम से उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं सुलभ कराने के लिए तत्पर है। इसकी स्थापना मुख्यतः आदिवासियों, गरीबों एवं असहायजनों को सर्वथा निशुल्क चिकित्सा सुविधाएं देने हेतु की गई है। यह जानकारी पीआईएमएस के वाइस चैयरमैन आशीष अग्रवाल ने प्रेसवार्ता में दी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाके में अल्परक्तता चिंतनीय विषय है जिसके लिए पीआईएमएस हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि प्रत्येक व्यक्ति रक्तदान में अपनी सहभाागिता निभायें।
आशीष अग्रवाल ने बताया कि पेसिफिक समूह ने राजस्थान की जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिये अम्बूआ रोड, उमरडा में पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साईन्सेज (पीआईएमएस) की शुरूआत की है जिसमें मेडिकल कॉलेज के साथ ही बेहतर चिकित्सकीय सेवाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है। समूह के संस्थापक एवं चेयरमेन बी.आर. अग्रवाल की भावनाओं के अनुरूप इस संस्थान को संभाग का ही नहीं बल्कि राज्य का मॉडल संस्थान बनाया जाएगा जिसमें गरीब तबके के लोगों को पूर्ण रूप से पारिवारिक देखभाल और माहौल में चिकित्सकीय सेवाएं मिल सकेगी।
पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साईन्सेज द्वारा आसपास के क्षेत्र के 100 किलोमीटर से अधिक दूरी के गांवों तक रोगियों एवं उनके परिजनों को लाने ले जाने के लिए निशुल्क वाहन उपलब्ध करा उन्हें बेहतर चिकित्सा प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के साथ बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पेसिफक संस्थान द्वारा जगत और कुराबड गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी गोद लिया गया है।
प्रेसवार्ता को डॉ. एम.एम. मंगल, डॉ. बी.एल. कुमार, डॉ. ए.पी. गुप्ता, डॉ. पी.के. भटनागर, डॉ. आलोक व्यास तथा डॉ. अजयसिंह चूंडावत ने भी संबोधित किया एवं पीआईएमएस की चिकित्सकीय सेवाओं के बारे में विस्तार से बताया।
सर्जरी विभाग में डॉ. एम.एम. मंगल के नेतृत्व में प्रतिमाह 300 रोगी भर्ती किए जाते हैं तथा तीन से साढे तीन हजार मरीज ओपीडी में देखे जाते हैं। प्रतिमाह 50-60 मेजर ऑपरेशन एवं 40-50 माइनर ऑपरेशन किए जाते हैं। आउटडोर व वार्डों में हर्निया, पेट में आंत चिपकना, गुर्दे में पथरी, प्रोस्टेट व मूत्र रोग, पेट में केन्सर की गांठ, बच्चेदानी की गांठ, एक्सीडेंट पीडित मरीजों का उपचार व ऑपरेशन किया जाता है। इसके अलावा आउटडोर में 30-40 मरीजों की प्रतिमाह छोटी तकलीफों के लिए सूक्ष्म सर्जरी की जाती है।
शिशु औषध विभाग द्वारा डॉ. ए.पी. गुप्ता के निर्देशन में हर महीने 90-100 मरीज भर्ती किए जाते हैं व ओपीडी में दो से ढाई हजार मरीज देखे जाते हैं। अठारह साल तक के बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। साथ ही दस्त एवं सांस की बीमारी, न्यूमोनिया संक्रमण, संक्रामक रोग, मेनिनजांडिस, ताण के शिकार तथा बिस्तर में पेशाब कर देना, फोडे-फूंसी, छाती में पानी भर जाने जैसे रोगों से ग्रस्त बच्चों को बडी सावधानी से इलाज सुलभ कराया जाता है।
मेडिसिन विभाग में डॉ. जे.के. छापरवाल एवं डॉ. एन. के. गुप्ता के नेतृत्व में हर महीने 150-200 मरीज भर्ती किए जाते हैं और पांच से छह हजार मरीज ओपीडी में देखे जाते हैं। इस विभाग में डायबिटिज, ब्लडप्रेशर, ताण, लंबी खांसी, छाती में पानी भर जाना, टीबी, खून की कमी, पेट में पानी भरना, पीलिया, सिरहोसिस ऑफ लीवर, दिल व फेफडों की बीमारी, दस्त, ह्रदयघात, मानसिक रोग का उपचार होता है।
प्रसूति विभाग में डॉ. पी.के. भटनागर के निर्देशन में योनी में रक्तस्त्राव, मासिकधर्म, बच्चेदानी में गांठ, पेशाब में जलन, प्रेग*ेंसी, अबोर्सन आदि का उपचार किया जाता है। इसके अलावा 24 घंटे डिलेवरी व सिजेरियन सेक्शन की सुविधा उपलब्ध है। यहां प्रतिदिन एक से दो बच्चेदानी निकालने के ऑपरेशन किए जाते हैं। साथ ही प्रतिमाह 40-50 मेजर व 35540 माइनर ऑपरेशन भी किए जाते हैं।
हड्डी रोग विभाग में डॉ. बी.एल. कुमार के निर्देशन में प्रतिमाह 100 मरीज भर्ती किए जाते हैं व लगभग 2 हजार मरीज ओपीडी में देखे जाकर 50-60 मेजर ऑपरेश किए जाते हैं। प्रतिदिन जोडों में सुजन, हाथ अकडना, रीढ की हड्डी का इलाज, कमर दर्द, हाथ व पैर में फैक्चर, घुटने बदलना, रीढ की हड्डी में फैक्चर व मवाद, टीबी आदि का उपचार किया जाता है। रोजाना हड्डी व जोडों से संबंधित सभी तरह के मेजर ऑपरेशन के साथ घुटने बदलने के ऑपरेशन किए जाते हैं।
एक्सरे विभाग में प्रतिमाह 2000-3000 एक्सरे किए जाते हैं और 400 से 800 मरीजों की सोनोग्राफी की जाती है तथा 50 से 100 प्रेगनेंट औरतों की पेट के बच्चे के स्वास्थ्य की जांच की जाती है।
आंखों के विभाग में डॉ. आलोक व्यास के नेतृत्व में प्रतिमाह मोतियाबिंद के 60 ऑपरेशन किए जाकर निशुल्क लैंस भी लगाये जाते हैं। ईएनटी विभाग में डॉ. एस.के. वैष्णव के नेतृत्व में नाक, कान, गले से संबंधित बीमारियों का निदान व उपचार किया जाता है।
खून जांच की प्रयोगशालाओं में बायोकेमेस्ट्री, माइक्रोवॉयलॉजी, होस्टोपेलोनाजी, हेमेटोलोजी आदि की जांचे सुलभ कराई जाती हैं। इनके द्वारा प्रतिमाह 3600 जांचें हेमेटोलोजी की तथा 6500 जांचें बायोकेमेस्ट्री की हो रही है।

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