क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया में बड़ा ‘घोटाला’

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Published on : 17 Jun, 15 08:06

नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने देशभर के सरकारी व निजी अस्पतालों, स्कूल-कॉलेजों व लैबोरेटरी इत्यादि में मानक तय करने के लिए बनाई गई क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) में व्यापक अनियमितताओं व फंड के दुरुपयोग के मामले को गंभीरता से लिया है। अदालत ने क्यूसीआई को उसके गठन से लेकर अब तक मिले फंड व उसके उपयोग की जानकारी देने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाघीश जी. रोहिणी व न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है कि एक स्वायत्त संस्था तय दिशा-निर्देशों के तहत चल रही है। अदालत ने क्यूसीआई को यह भी स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि संस्था में नियुक्त सभी अधिकारियों व अन्य को वेतन, प्रमोशन, पदोन्नति, विदेशी दौरों में किए जाने खर्च में सरकार द्वारा तय निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं।
इसी प्रकार क्यूसीआई वित्त मंत्रालय द्वारा 15 अक्तूबर 84 को जारी ऑफिस मेमोरेंडम (ओएम) के तहत तय दिशा-निर्देशों का पालन क्यों नहीं कर रहा। अदालत ने क्यूसीआई को 18 अगस्त 2015 को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि उसे हर हाल में तय दिशा निर्देशों का पालन करना ही होगा।
अदालत ने यह फैसला अवकाश प्राप्त विंग कमांडर डॉ. बीएनपी सिंह के अधिवक्ता सिताब अली चौधरी के तर्क सुनने के बाद दिया है। अधिवक्ता सिताब ने खंडपीठ को बताया कि क्यूसीआई का गठन वर्ष 1997 में किया गया था। इस संस्था पर कॉमर्स मंत्रालय का नियंत्रण है और तय नियम के तहत क्यूसीआई को अपने दिशा निर्देश तय कर उसे कॉमर्स मंत्रालय व वित्त मंत्रालय से उसे मंजूर करवाना जरूरी है जबकि आज तक ऐसा नहीं किया गया।
उन्होेंने कहा कि क्यूसीआई का पूरा काम गैरकानूनी रूप से चल रहा है। उन्होंने कहा इस संस्था का मुख्य उद्देश्य सरकारी व निजी अस्पतालों, स्कूल-कॉलेजों व लैबोरेटरी इत्यादि में मानक तय करना व आम लोगों को जागरूक करना है कि उसे क्या गुणवत्ता मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ क्यूसीआई में दिशा निर्देश तय होने के कारण अधिकारी मनमर्जी से काम करने के अलावा सरकारी खर्च पर विदेशी दौरे, अपने चहेतों को पदोन्नति, वेतन इत्यादि दे रहे है। कैग ने भी क्यूसीआई के कामकाज पर सवाल उठाए हैं।
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