अकूत खनन, पर जमाबंदी में जीरो

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Published on : 26 May, 15 20:05

राजसमंद, मार्बल खनन के लिए प्रसिद्ध मोरवड़ भले सरकार के खजाने को छलका रहा है, मगर राजस्व रिकॉर्ड में मार्बल खनन क्षेत्र ही नहीं है। करीब तीन दर्जन खदानों से खान विभाग को प्रतिदिन लाखों की आय हो रही है।
फिर भी जमाबंदी रिकॉर्ड शून्य बोल रहा है। इस तरह रिकॉर्ड में हेराफेरी के पीछे चोरी-चकारी, मिलीभगत का खेल चल रहा है या प्रतिबंधित अरावली में मार्बल खनन का बहाना। इस पर फिलहाल पर्दा है।
निर्मल ग्राम पिपलांत्री के मोरवड़ में चारागाह में बारानी, रास्ता, बीड़ किस्म की 508 बीघा 2 बिस्वा जमीन है, जबकि खनन क्षेत्र शून्य है। इसके विपरीत अब मोरवड़ में चरागाह के अलावा बिलानाम, खातेदारी जमीन पर भी मार्बल खदानें आवंटित है, जहां करीब तीन दशक से लगातार मार्बल का खनन हो रहा है।
फिर भी राजस्व रिकॉर्ड में खनन क्षेत्र शून्य दर्ज होने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। अनियमितता पर कार्रवाई नहीं : खदानों के क्रय- विक्रय से अनियमितता पकड़ी भी गई, मगर रिकॉर्ड में सुधार न होना भी संदेहास्पद है। कुछ रजिस्ट्री में उप पंजीयक राजसमंद कार्यालय द्वारा आपत्ति भी की गई। तब से पटवारी द्वारा हाथ से सुधार करने पर ही खदान की खरीद- फरोख्त होने पर रजिस्ट्री की जा रही है। फिर भी खनन क्षेत्र शून्य होना ही अंकित है।
यह भी है पेंच : उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर अरावली पर्वत शृंखला क्षेत्र में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध है। सर्वोच्च न्यायालय के 19 फरवरी 2010 के आदेश में समुद्र तल से 115 मीटर ऊंचा पहाड़ अरावली पर्वत शृंखला में शामिल है, जहां खनन प्रतिबंधित है।
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