फर्जीडिग्री पर बहाल शिक्षकों की अब खैर नहीं।

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Published on : 19 May, 15 10:05

हाईकोर्ट ने अब तक नियुक्त सभी शिक्षकों की डिग्रियों की जांच का आदेश दिया है। जिम्मा विजिलेंस को सौंपा है। मामले की मॉनीटरिंग विजिलेंस महानिदेशक (डीजी) करेंगे। कोर्ट ने चार सप्ताह बाद 22 जून को प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश भी दिया। मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी और न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के क्रम में सरकार के सुस्त रवैये से क्षुब्ध होकर यह आर्डर जारी किया।
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को बताया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त हुए शिक्षकों की जांच जारी है। प्रमाण-पत्रों के सत्यापन में करीब 3 माह लगने की संभावना है। 2006 में एक लाख शिक्षकों की बहाली हुई थी। सरकार को जब फर्जी प्रमाण-पत्रों की जानकारी मिली तो छानबीन कराई गई। सात हजार लोगों के प्रमाण-पत्र जांचे गए।
आठ सौ को हटाया गया। रंजीत पंडित की लोकहित याचिका की सुनवाई के क्रम में पिछले दिनों हाईकोर्ट ने सरकार से एक हफ्ते में जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया की 2006 से 2015 तक करीब तीन लाख प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। उसमें 40 हजार से अधिक की डिग्रियां अमान्य संस्थानों से निर्गत है या फर्जी हैं। सरकार के आदेश से 2010 से ही सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को ऐसे शिक्षकों के मामले बार-बार प्रेषित किए जा रहे हैं। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। पांच वर्षों से ये शिक्षक जमे हैं। वेतन पा रहे हैं। राजकोष पर सालाना 100 करोड़ का अनवाश्यक भार पड़ रहा है। सरकार के जवाब में सिर्फ 800 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की बात सामने आई है

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