हिंसा से लहूलुहान मतदान

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Published on : 26 Apr, 15 11:04

कोलकाता। सियासी जमीन बचाने व कब्जा के लिए गणतंत्र का सबसे बड़ा पर्व मतदान एक बार फिर गोलियों व बमों से लहूलुहान हो गया। चुनावी वेदी पर एक बलि चढ़ा तो कई लहूलुहान होकर अस्पताल में भर्ती हैं। सियासी हिंसा के लिए कुख्यात पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान खून न बहे ऐसा हो नहीं सकता।
पहले से ही भारी हिंसा की आशंका जताई गई थी जो सच साबित हुई। शनिवार को 18 जिलों के 91 निकायों के लिए मतदान सुबह सात बजे जैसे ही शुरू हुआ उत्तर से दक्षिण बंगाल तक हिंसक घटनाएं शुरू हो गई। कहीं बमबाजी-गोलीबारी तो कहीं मारपीट तो फिर कहीं हमला, बूथों पर कब्जा, विपक्षी दलों के पोलिंग एजेंटों को बूथों में नहीं घुसने देने जैसी घटनाएं होने लगी। हिंसा के जरिये बूथ कब्जा करने का आरोप माकपा, कांग्रेस व भाजपा ने तृणमूल पर लगाया है। हालांकि, तृणमूल ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। सियासी जमीन बचाने व कब्जा को जब गुंडा खून बहाने पर आमादा थे तो उसी बीच पूर्वाह्न 11.41 बजे अचानक प्रकृत भी कुपित हो होकर दो दफा जमीन को ऐसा हिलाया कि न जानें कितनी जानें जमींदोज हो गई। इन सब झंझावातों के बीच मतदान समाप्ति की समय सीमा पूर्वाह्न तीन बजे तक कितना प्रतिशत मत पड़े इसे लेकर चुनाव आयुक्त मुंह नहीं खोल रहे हैं। दोपहर दो बजे तक करीब 61 फीसद लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। तीन बजे के बाद भी कुछ बूथों पर लंबी लाइन लगी थी। दरअसल कोलकाता नगर निगम के मतदान के बाद शाम पांच बजे चुनाव आयुक्त ने मतप्रतिशत 62.42 फीसद बताया था और दो दिन बाद उन्होंने 68 फीसद मतदान होने की बात कही थी जिसे लेकर काफी आलोचना हुई है। उस घटना से सबक लेते हुए चुनाव आयुक्त सुशांत रंजन उपाध्याय कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
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