पुस्तकें ज्ञान की भूख को मिटाती है

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Published on : 23 Apr, 15 21:04

विश्व पुस्तक दिवस पर विचार गोष्ठी आयोजित

पुस्तकें ज्ञान की भूख को मिटाती है जैसलमेर - विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर जिला सार्वजनिक पुस्तकालय में विचार गोष्ठी आयोजित का आयोजन किया गया। पुस्तकों के साहचर्य में आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो.शिक्षाविद बालकृष्ण जगाणी ने की। इस अवसर पर पूर्व प्रधानाचार्य मोहनलाल पुरोहित व मुरलीधर सोनी भी उपस्थित थे।

प्रो. जगाणी ने कहा कि पुस्तकों का अध्ययन कम हो गया है। पुस्तकें ज्ञान की भूख को मिटाती है। पुस्तकों की गहराई में जाने पर आनन्द की प्राप्ति होती है।इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार श्यामसुन्दर डावाणी ने कहा कि पुस्तकें ही जिन्दगी है और जिन्दगी ही पुस्तकें हैं। पुस्तके हमें सही मायने में जीना सिखाती है।

गोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए संचालक एवं सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी मांगीलाल सेवक ने कहा कि अच्छी पुस्तके श्रेष्ठ धरोहर हैं। इन्हें पढकर हमें जीवन को सफल बनाना है। साहित्यकार श्रीवल्लभ पुरोहित ने पुस्तक की महत्ता पर चर्चा करते हुए कहा कि अध्ययन कह गहराई और विस्तार हमें पुस्तकों से ही प्राप्त होता है। उन्होने कहा कि पुस्तकों का स्थान और कोई नहीं ले सकता । पुस्तकं अच्छे विेचारों का संकलन है।
व्याख्याता एवं साहित्यकार हरिवल्लभ बोहरा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज पुस्तको पर बडा संकट है। गूगल के दौर में लगता है कि पुस्तके अप्रासंगिक हो गई हैं परन्तु सत्य कुछ और है। उन्होंने कहा कि पुस्तके बातचीत एवं संवाद का माध्यम है। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र है। इस अवसर पर बोहरा ने सफदर हाशमी की कविता किताबें कुछ कहना चाहती हैं भी सुनाई। कवि गिरधर भाटिया ने कहा कि किताबें संसार को बदलने का साधन रही हैं। किताबें बहुत बडा सार है।

लेखक मनोहर महेचा ने गोष्ठी में कविताएं सुनाकर माहौल को सरस बनाया। उन्होंने कहा प्यारी प्यारी भोली पुस्तक, बोले मीठी बोली पुस्तक। व्यंग्यकार आनन्द जगाणी ने अपनी गजल बिना बिचारे बोल रहे हैं तथा हिस्सेदारी के चक्कर में भटक रही है सुनाई। कवि नन्दकिशोर दवे ने पुस्तको की प्राचीनता पर विचार व्यक्त किए। युवा कवि नरेन्द्र वासु ने अपनी कविता मेरी हसरत संवारने खडी किताब मिली सुनाकर दाद हासिल की। पचनाकार सुनील व्यास ने विश्व पुस्तक दिवस की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला।

गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ की गई। इस अवसर पर पुस्तकालयध्यक्ष महेन्द्र दवे ने रचनाकारों एवं साहित्यकारो का स्वागत करते हुए ं जिला सार्वजनिक पुस्तकालय के इस आयोजन को सफल बनाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।


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