करके पीले हाथ बच्ची के,समझो यह नादानी है,

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Published on : 22 Apr, 15 08:04

तुमने लिख दी एक कली की, फिर से दुःखद कहानी है।

करके पीले हाथ बच्ची के,समझो यह नादानी है,

प्रतापगढ राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष जिला एवं सेशन न्यायाधीश पवन एन.चन्द्र के नेतृत्व में अक्षय तृतीया एवं पीपल पूर्णिमा के अबूझ सावों की आड मे होने वाले बाल विवाह रोकने हेतु चलाये जा रहे ’बाल विवाह विरोधी जनजागृति अभियान’ के तहत प्राधिकरण के बैनर तले बाल विवाह विरोधी अभियान के तहत आखा तीज के अवसर पर कई स्थानों विधिक चेतना शविरों का आयोजन किया गया । आज जिला कारागृह में विचाराधीन बन्दियों से एवं गांव मोखमपुरा में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव-मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-श्रीमती लता गौड एवं गांव ग्यासपुर में ग्राम न्यायालय के शविर के दौरान अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-गोविन्द बल्लभ पंत द्वारा जहां जिस प्रकार से इस अभियान की जानकारी दी जा सकती थी उनको दी गई चाहे वह गांव के बस स्टेण्ड पर बैठे मिले चाहे वह बस में बैठे हुए थे या जो लोग घरो, पंचायत भवनों इत्यादि पर मिले उनको प्राधिकरण द्वारा चलाये जा रहे बाल विवाह विरोधी जनजागृति अभियान को सफल बनाने एवं इस अभियान में अपनी सहभागिता निभाने को तत्पर रहने हेतु आव्हान किया गया।
गांव मोखमपुरा में आयोजित विधिक चेतना शविर प्राधिकरण के सचिव-मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट-श्रीमती लता गौड ने समाज में फैली बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को मिटाने में अपने हद्धय से सहयोग दिये जाने की अपील करते हुए समाज , आम-जन में बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के प्रति जन चेतना के लिये भगीरथ प्रयास का आग्रह किया एवं इस अवसर पर बाल विवाह सामाजिक अभिशाप है इसे मिटाना ही होगा इस सन्देश को आप सभी सदैव अपने हद्धय पटल पर रखें और ये संदेश फैलाने की एक महत्वपूर्ण कडी बने ताकि बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई पर काबू पाया जा सकता है। बाल विवाह की बुराई समूल न६ट हो सकती है।
अपने सहज एवं सरल उद्बोधन में मुद्द्धे की बात बताते हुए बाल विवाह से शारीरिक कमजोरियों, बीमारियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जिस बच्ची को आप रोते हुए नहीं देख सकते है उसे छोटी उम्र में शादी करा कर सुसराल भेजना कैसे उचित है। जो बच्ची स्वयं अपने को संभाल नहीं सकती है उसकी शादी क्यों ?

जिला कारागृह में आयोजित शविर में बन्दीयों से रूबरू होते हुए उनके द्वारा किये गये अपराध के फलस्वरूप बन्दी बनकर रहना पडा है इसी तरह बाल विवाह भी दण्डनीय अपराध है और बाल विवाह प्रति६ोध अधिनियम की संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया कि इसमें शामिल शरीक होने वाले जैसे टेन्ट वाले,हलवाई, पण्डित,नाई,बैण्ड बाजे वाले इत्यादि जो भी सहयोगी होगें वह सभी 02 साल के कारावास व 1 लाख रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने के प्रावधान है।
प्राधिकरण की नजर में-
अक्षय तृतीया के अबूझ सावों के चलते प्राधिकरण द्वारा चलाये गये बाल विवाह विरोधी जनजागृति अभियान का सन्देश आम जन तक पहूंचा जिसके चलते प्राधिकरण के अध्यक्ष जिला एवं सेशन न्यायाधीश पवन एन.चन्द्र के पास बाल विवाह होने की दो शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें एक तो जिला कारागृह में विचाराधीन बन्दी कोदर पिता रंगजी निवासी-पातलिया गांव ने अपनी पुत्री के संभावित बाल विवाह रूकवाने एवं एक जीरावता गांव के कारू पिता गौतम मीणा ने अपने पुत्र् की सगाई करा रखी गांव कानड के आशाराम मीणा की पुत्री का बालिग होने से पहले आखातीज को ही किसी ओर से के साथ शादी करने की शिकायत मिली।
प्राधिकरण के अध्यक्ष ने इन दोनों मामलों की गंभीरता को देखते हुए प्राधिकरण के माध्यम से उपखण्ड मजिस्ट्रेट विनय पाठक को संभावित बाल विवाह रूकवाने के निर्देश जारी किये। जिस पर संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट द्वारा आव८यक जांच करते हुए पातलिया गांव में होने वाले बाल विवाह में लडकी नाबालिग होने से बाल विवाह नहीं किये जाने बाबत् समझाईश करते हुए निगरानी रखने एवं कानड गांव के संभावित बाल विवाह में जांच के दौरान आशाराम की पुत्री के स्कूल रेकार्ड अनुसार उसकी उम्र 18 साल 10 माह पाई गई।

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