थार के पहले ग्रामीण कॉल सेंटर को अनूठा बनाएगी टीम 'स्पेशल-15'

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Published on : 21 Apr, 15 23:04

थार के पहले ग्रामीण कॉल सेंटर को अनूठा बनाएगी टीम 'स्पेशल-15'
बाड़मेर: युवा एग्जिक्यूटिव्स की चौबीस घंटे चलने वाली गतिविधि, की-बोर्ड की जानी पहचानी आवाज़ के साथ दमकते सैंकड़ों कंप्यूटर मॉनिटर्स और इन वर्क स्टेशन्स पर बैठे लड़के-लड़कियों की लगातार चैटिंग की मिली जुली आवाज़। क्या कॉल सेंटर भारत के सिर्फ शहरी ऊर्जावान युवाओं के प्रगतिशील चेहरे का प्रतीक है? दोबारा सोचिये। बाड़मेर का ग्रामीण कॉल सेन्टर आपको सोच बदलने पर मजबूर कर सकता है।
उन्नीस वर्षीय शांति अपने चार भाई बहनों में सबसे बड़ी है। शारीरिक विकलांगता के साथ जन्म लेने के कारण उसके दिमाग में यह बात मानो बैठा दी गयी कि वो एक अभिशाप के साथ पैदा हुयी है। बाड़मेर में नेहरों की ढाणी की निवासी शांति के लिये तानों से उबर कर बदलाव का क्षण तब आया जब उसने चौदह अन्य विकलांग युवाओँ के साथ मिल कर केयर्न एंटरप्राइज सेंटर बाड़मेर में ट्रेनिंग लेना आरम्भ किया। विशेष रूप से सशक्त इन युवाओं को भले ही समाज विकलांग की संज्ञा दे लेकिन ये टीम स्पेशल-15 बाड़मेर जिला परिषद भवन में संचालित हो रहे पश्चिमी राजस्थान के पहले ग्रामीण कॉल सेंटर को अनूठी पहचान देने के लिए तैयार हैं।
वेदान्ता समूह कम्पनी के सामुदायिक कार्यक्रम केयर्न उद्यमिता केंद्र ने रूरल-शोर तथा जिला विकलांग अधिकार मंच बाड़मेर के साथ मिल कर इन युवाओं के लिए विशेष ट्रेनिंग की व्यवस्था की। इस भागीदारी का नतीजा पंद्रह विशेष क्षमतावान युवाओं को कम्प्यूटर पर कॉल सेंटर गतिविधियों के प्रशिक्षण के रूप में सामने आया। दो माह की ट्रेनिंग के दौरान इन्हें एमएस ऑफिस, इंटरनेट, ऑफिस एडमिनिस्ट्रेशन आदि की ट्रेनिंग दी गयी।
सफलतापूर्वक ट्रेनिंग के साथ ही इन युवाओं को बाड़मेर के ग्रामीण कॉल सेंटर में काम का अवसर दिया गया है। रूरल-शोर थर क्षेत्र के इस पहले सेंटर में 200 युवाओं को रोज़गार प्रदान कर रहा है। प्रशिक्षण के दौरान इन अभ्यर्थियों को निःशुल्क आवास, भोजन और परिवहन सुविधा प्रदान की गयी। रोज़गार से जुड़ने के साथ ही इन्हे छह हज़ार के शुरूआती वेतन और अन्य भत्तों के अतिरिक्त मानदेय पर रखा जायेगा।
ग्रामीण कॉल सेंटर ज्वाइन कर चुकी शांति इस अवसर से बहुत उत्साहित है। उनके अनुसार, "ज़िन्दगी में कुछ कर गुज़रने का हौंसला मुझ में भी था लेकिन एक सही मौका चाहिए था। सीईसी प्रोग्राम ने वो कमी भी पूरी कर दी।" वो अब उत्साह से लबालब एक ऐसी लड़की है जिसकी अंगुलियां की-बोर्ड और आवाज़ इंटरनेट के माध्यम से देश-विदेश में आत्म-विश्वास से चल रही है।
जिला विकलांग अधिकार मंच के नरसिंघ राम के अनुसार इस प्रकार के प्रकल्प शारीरिक रूप से अक्षम युवाओं को यह सिद्ध करने का अवसर देंगे कि वे कुछ भी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। आगामी एक वर्ष में इस वर्ग के सौ युवाओं को प्रशिक्षण देते हुए आगे बढ़ने का अवसर दिया जायेगा।
पोपु कँवर इसी स्पेशल-15 टीम की एक और सदस्य है। बाड़मेर से स्नातक ये युवती बताती है, "मेरे सोचने का तरीका यहाँ आ कर बहुत बदला है। मेरी क्षमता भी बढ़ी है। " राजबेरा गाँव के घमण्डा राम का नाता खेती -किसानी से रहा। बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण कर उन्होंने अब यह ट्रेनिंग ली है और जल्दी ही वो देश की अग्रणी टेलीफोन सेवा प्रदाता कंपनी के कस्टमर्स से रु-ब-रु होगा। बाड़मेर जिला परिषद और रूरल शोर के साथ केयर्न इंडिया का ये प्रोजेक्ट सम्वृद्धि ग्रामीण कॉल सेंटर के रूप में स्थानीय युवाओं में आर्थिक स्वतंत्रता का लक्ष्य ले कर शुरू किया गया है। बाड़मेर सेंटर में महिलाओं की भागीदारी लगभग चालीस प्रतिशत है। आईटी आधारित सेवाओं के जरिये महिला सशक्तिकरण को भी इस प्रोजेक्ट में एक उद्देश्य बनाया गया है।
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