कानून से राज चलता है चीन में

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Published on : 18 Apr, 15 08:04

जनसंख्या भारत से कुछ ज्यादा ही। कार, बस, ट्रक वैसे ही। प्रमुख शहरों की सड़कों पर गाड़ियों की संख्या कुछ कम नहीं। माल्स में भीड़ भी उतनी ही जैसी हमारे यहां होती है। लेकिन सड़क पर या सरकारी भवनों में गंदगी तो अलग एक पत्ता या कागज का टुकड़ा नहीं दिखता। तंबाकू वगैरह की पीक का तो सवाल ही नहीं उठता। राजधानी बीजिंग ही नहीं चीन के किसी भी प्रमुख शहर में जाइए ऐसा ही आश्चर्य होता है।

1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना बनने के बाद से पिछले 65 वर्षो में चीनियों को साफ-सफाई और अनुशासन की एक तरह से आदत हो गई है। कम से कम सार्वजनिक जगहों पर। उसका मुख्य कारण कानून का डर है। कई वर्षों से चीन में व्यवसाय कर रहे एक भारतीय का कहना था कि यहां कानून का राज नहीं कानून से राज चलता है। सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस यदा कदा ही दिखेगी, लेकिन मजाल है कोई लेन से अलग चले या लाल बत्ती में चौराहा पार करने की कोशिश करे। हर 20-25 कदम पर आपको कहीं न कहीं से कोई कैमरा देख रहा होता है। छीना-झपटी, मार-पीट जैसे छोटे-मोटे अपराध के बारे में कभी कभार सुनने को मिलता है। भारतीय व्यवसायी की टिप्पणी थी कि अपराध किया है तो पकड़ा जाना और सजा मिलना तय है।

कानून की सख्ती के चलते पैदा हुआ अनुशासन व समय की पाबंदी चीनियों के जीवन का हिस्सा बन गया है। कुछ समय पहले तक सस्ते बाजारों में दुकानदार ग्राहक को जब तक सामान न बेच दें छोड़ते नहीं थे। जैसा कि अक्सर भारत में दुकानदार करते रहते हैं। सरकार को शिकायतें मिली और नियम बन गया कि ग्राहक के दुकान से बाहर जाने के बाद सेल्समैन उससे बात नहीं करेगा। अब ग्राहक सामान ले या न ले दुकानदार उससे दुकान की भीतर रहकर ही मोलभाव करने की गुजारिश करते हैं।

प्रदूषण के चलते बड़े शहरों में लोगों का जीना मुहाल हो रहा है। सरकार ने नियम बना दिया है कि पेट्रोल से चलने वाले दुपहिया वाहन मोटर साइकिल या स्कूटर सड़कों पर नहीं उतरेंगे। अब केवल बैटरी से चलने वाले दुपहिया वाहन ही सड़क पर दिखते हैं। इसी तरह एक व्यक्ति दो कार नहीं रख सकता। नई कार खरीदने के लिए नंबर लगाना पड़ता है। सरकार तय करती है कि साल में कितनी गाड़ियां बेची जाएंगी। इसके बाद लाटरी निकाली जाती है। साथ ही हर कार मालिक को निर्देश हैं कि वह सप्ताह में एक दिन कार घर पर ही रखेगा। कार के नंबरों के हिसाब से सबका दिन तय है।
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