तनाव बन जाए ताकत

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Published on : 15 Apr, 15 08:04

कॅरियर में उपलब्धियों की खनक है, पर फिर भी जिंदगी में सुकून नहीं...। रह-रहकर घेर लेती हैं चिंताएं और अवसाद। दीपिका पादुकोण जैसी सफल बॉलीवुड अभिनेत्री भी बच नहीं पाईं अवसाद से। उनका उदाहरण यह बयां करने के लिए काफी है कि आधुनिक मल्टीटॉस्किंग सुपरवुमन की जिंदगी किस कदर प्रभावित है इससे। आखिर क्या है इसकी वजह और इससे बचने के उपाय...
क्या मेरा प्रोजेक्ट सक्सेसफुल होगा? रात में यात्रा करते समय मैं सुरक्षित रह सकूंगी? मेरे बच्चे किसी मुसीबत में तो नहींपड़ेंगे? घर लौटने में लेट होने के कारण पति नाराज तो नहीं हो जाएंगे? पति का किसी के साथ अफेयर तो नहीं है? मेरे आसपास इतने सारे लोग हैं, फिर भी मुझे अकेलापन क्यों महसूस होता है? क्या मुझे प्रोफेशनल हेल्प की जरूरत है?
आधुनिक स्त्री के जीवन में चिंता और तनाव घोलने वाले ये कुछ कारण हैं। इन वजहों से अक्सर महिलाएं चिंता में पड़ जाती हैं और उनकी जिंदगी निराशा के सागर में डूबने लगती है। आधुनिक स्त्री पर घर, परिवार, बच्चे और कॅरियर के साथ ही अन्य तमाम जिम्मेदारियां हैं। वह मल्टीटास्किंग है और उसकी व्यस्तताएं भी तमाम हैं। उन्हें एक समय पर कई लक्ष्य साधने हैं, फलस्वरूप उनके पास अपनी ऊर्जा का स्तर बनाए रखने के लिए शरीर को आराम देने व अपनी सेहत पर ध्यान देने के लिए वक्त नहींहै। हम चर्चा करेंगे उन कारणों पर कि क्यों तनाव इतना बढ़ जाता है कि खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और क्या है उसे नियंत्रण में रखने के जांचे-परखे उपाय, ताकि उसके नकारात्मक प्रभावों को बदलकर सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सके। जिसकी मदद से जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाना संभव हो सके। यहां यह गौर करना जरूरी है कि क्यों तनाव व चिंताएं बढ़कर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती हैं?
क्या हम अपनी क्षमता से ज्यादा भार लेने के आदी हैं? ऊर्जावान व महत्वाकांक्षी महिलाएं अक्सर जरूरत से अधिक काम व जिम्मेदारियां लेने के लिए तत्पर रहती हैं। इस बात का ख्याल रखें कि हम सभी को सिर्फ बारह घंटे मिलते हैं। इस दरम्यान हमें अपने मीटिंग्स, असाइनमेंट्स और वर्क प्रोजेक्ट के लिए वक्त निकालना होता है। साथ ही अपनी निजी जिंदगी और परिवार पर भी ध्यान देना पड़ता है। यहां कोई भी काम कम महत्वपूर्ण नहीं, सभी की अहमियत है। कई बार लंबित काम हमारे तनाव की बड़ी वजह बन जाता है। कई बार निर्णय लेना कठिन होता है। अगर हम हर कार्य के लिए अपना टाइम टेबल तैयार करते हैं और उसके अनुसार ही कार्य करते हैं तो भी संभव है कि अन्य लोग या कुछ जरूरी काम अप्रत्याशित रूप से हमारा समय छीन लें। इस तरह हमारा टाइम टेबल डिस्टर्ब हो जाएगा। फलस्वरूप तनाव बढ़ जाएगा और शारीरिक तकलीफ भी बढ़ सकती है।
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