अंबेडकर - बीजेपी और कांग्रेस

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Published on : 13 Apr, 15 07:04

पिछली सदी का आखिरी दशक प्रतीकों को गढ़ने की राजनी‌ति का था और मौजूदा सदी का मौजूदा दशक प्रतीकों को 'ह‌थियाने' का। महात्मा गांधी, सरदर वल्लभ भाई पटेल और भगत सिंह के बाद डॉ भीम राव अंबेडकर 'ह‌थियाने' की राजनीति के निशाने पर है।

उत्तर प्रदेश की राजन‌ीति में दलित वोट बैंक के उभार के बाद से ही बसपा अंबेडकर पर अपना दावा करती रही है। जानकारों का मानना है कि उत्तर भारत में अंबेडकर की म‌ूर्तियों के जरिए राजनीतिक सशक्तिकरण की जैसी मुहिम बसपा ने एक दौर में चलाई, संभवतः अन्य किसी दल ने नहीं चलाई।

अंबेडकर की उसी विरासत पर भाजपा और कांग्रेस ने एक साथ धावा बोला है। बसपा अंबेडकर को अपनी खेमें में रखने के लिए जद्दोजहद कर रही है, भाजपा और कांग्रेस उसे अपने खेमें में करने पर।अंबेडकर की छीनाझपटी का सबसे बड़ा दंगल 14 अप्रैल को ‌दिखाई दे सकता है। 14 अप्रैल को अंबेडकर का 125वां जन्मदिवस है। बसपा पिछले कई सालों से 14 अप्रैल को शानदार तरीके से मनाती रही है।

भाजपा और कांग्रेस ने भी इस बार अंबेडकर का जन्म दिवस जोर-शोर से मनाने की तैयारी में है।

कांग्रेस ने पंडित जवाहर लाल नेहरू की 125वी जयंती पर जिस प्रकार वर्ष भर कार्यक्रम किए थे, उसी प्रकार अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल से शुरू होकर पूरे वर्ष तक कार्यक्रम किए जाएंगे। अंबेडकर की भी इस बार 125वीं जयंती है। भाजपा ने अंबेडकर की याद में दिल्‍ली में मेमोरियल बनाने का फैसला किया है। मेमोरियल के लिए जमीन भी तय कर ली गई है।
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