वंशवादी राजनीति के बीच बढ़ता कमल

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Published on : 28 Mar, 15 10:03

देश में जब भी वंशवादी राजनीति को लेकर चर्चा होती है तो हरियाणा का नाम पहले क्रम पर आता है। हरियाणा राज्य बनने के बाद से ही प्रमुख रूप से चार राजनीतिक खानदानों ने इस सूबे में राज करने का काम किया। इनमें देवीलाल, बंसीलाल, भजनलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार शामिल हैं। लेकिन इस बार हरियाणा की राजनीति कुुछ अलग ही करवट लेती नजर आ रही है। पांच दशकों के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है जब राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मजबूती के साथ विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी है और वंशवादी राजनीति करने वाले दलों पर भारी पड़ रही है। हरियाणा की राजनीति में भाजपा ने खुद को उसी प्रकार राजनीतिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है जैसे उसने मई में हुए लोकसभा चुनाव में देश के मतदाताओं से स्पष्ट बहुमत मांगते हुए चुनाव लड़ा। भाजपा ने अकेले दम पर लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया। अब भाजपा हरियाणा की जनता से स्पष्ट बहुमत मांग रही है।
भाजपा को लग रहा है कि हरियाणा की जनता भी विधानसभा चुनाव मेें नया राजनीतिक इतिहास लिखेगी। भाजपा को ऐसा लग रहा है तो उसकी वजह मई में हुए लोकसभा के चुनाव परिणाम हैं। जैसा कि वरिष्ठ भाजपा नेता कैप्टन अभिमन्यु कहते हैं कि, लोकसभा चुनाव को आधार माना जाए तो राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 53 विधानसभा सीटों पर अपनी बढ़त बनाई थी। राज्य में लोग कांग्रेस के शासन से मुक्ति चाहते हैं और उन्हें भाजपा ही बेहतर विकल्प के रूप में दिख रही है। भजनलाल और बंसीलाल के परिवार भी राज्य की राजनीति को कुछ हद तक प्रभावित करते रहे हैं। बीते लोकसभा चुनाव मेें नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उतरी भाजपा ने हालांकि राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर कुलदीप विश्नोई के नेतृत्व वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। आठ सीटों पर भाजपा ने और दो सीटों पर हजकां ने चुनाव लड़ा। भाजपा ने आठ में से सात सीटों पर जीत हासिल की जबकि हजकां दोनों सीटों पर चुनाव हार गई। लोकसभा चुनाव ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तस्वीर को भी बदलकर रख दिया। विधानसभा चुनाव भाजपा ने अकेले अपने दम पर लडऩे का फैसला कर उन क्षेत्रीय दलों को सकते में डाल दिया जो यह मानकर चल रहे थे कि भाजपा उनसे गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी।
अब राज्य में प्रत्येक सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय या बहुकोणीय होता नजर आ रहा है। मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस,भाजपा और इनेलो के बीच है लेकिन हरियाणा जनहित कांग्रेस, हरियाणा जन-चेतना पार्टी और बसपा भी कई सीटों पर मुकाबले में हैं। 90 विधानसभा सीटों वाले इस सूबे में करीब चालीस सीटें जाट असर वाली मानी जाती हैं जबकि करीब पचास सीटें गैर जाट प्रभाव वाली। हरियाणा की राजनीति के तीन लाल-देवीलाल, भजनलाल और बंसीलाल की राजनीति धारा को संभालने वाले राजनीतिक दल और उनके नाते रिश्तेदार अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते अपने बेटे अजय चौटाला के साथ जेल भी जाना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप विश्नोई और उनकी हजकां की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। बंसीलाल परिवार से किरण चौधरी, श्रुति चौधरी और रणबीर सिंह महेंद्रा मैदान में हैं, तो मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का भी राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा है।
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