टैंकों के हमलों में दुश्मन के ठिकाने नेस्तनाबूद

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Published on : 22 Mar, 15 12:03

गरजती तोपों के साथ सेना ने दिखाया वीरता एवं निःस्वार्थ सेवा का ज़ज़्बा

टैंकों के हमलों में दुश्मन के ठिकाने नेस्तनाबूद देवीसिंह बडगूजर पोकरण। अन्तरराष्ट्रीय सीमा को लांघ कर भारतीय सीमा में घुसने की जानकारी मिलते ही आर्टिलरी ने अपने गोलों से दुश्मन के इलाके में खलबली मचा दी। भारतीय थल सेना के टी-9० टैंकों ने अपनी गरजती तोपों के साथ हमला बोला तो देखते ही देखते दुश्मन के मोर्चों पर धुऍं और धूल का अम्बार लग गया। तत्पश्चात फतह का सिंगल मिलते ही भारतीय जवानों का सीमा गर्व से फूला न समा रहा था। सदर्न स्टार इन्फोर्मेशन कैम्पेन के अन्तर्गत किसी स्थान पर तैनात कोनार्क कोर के निशान तले ब्लैक मेस ब्रिगेड ने इन्फोर्मेशन विजिट एवं फायर पॉवर डेमोन्सट्र्शन का आयोजन किया। इन्फोर्मेशन विजिट 4 मैकेनाइड इंफेंट्री बटालियन में आयोजित की गई। यह यूनिट वर्तमान में प्रथम विश्व युद्ध का शताब्दी समारोह मना रही है। फायर पावर डिस्प्ले जिसमें दिन और रात्रि में एकीकृत फायरिंग का प्रदर्शन एवं फौजी साजो-सामान की प्रदर्शनी शामिल थी, को पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज पर आयोजित की गई। इस दौरान भारतीय सेना ने अपनी क्षमताओं, रणकुशलताओं और तैयारियों का जीवंत प्रदर्शन किया।


फायरिंग रेंज में ब्लैक मेस ब्रिगेड ने जो युद्ध अभ्यास और फायर पावर डेमोंस्ट्ेर्सन दिखाया, उसमें विश्व विख्यात टी-9० टैंक भी शामिल थे। ध्यान रहे कि टी-9० टैंक दुनिया के सबसे नवीनतम एवं तकनीकी रूप से अत्याधुनिक टैंकों में शुमार है। दिन और रात के समय तेज गति, सटीक फायरिंग और इसका मजबूत कवच दुश्मन के छक्के छुडा देता है, जिसका नजारा इस युद्ध अभ्यास में देखने को मिला। अभ्यास के दौरान ब्लैक मेस ब्रिगेड को दुश्मन की एक टुकडी पर कब्जा करने का लक्ष्य मिला। इसकी जानकारी मिलते ही आर्टिलरी ने अपने गोलों से दुश्मन के इलाके में खलबली मचा दी। इसके साथ ही टी-9० टैंकों ने अपनी गरजती तोपों के साथ हमला बोल दिया और देखते ही देखते दुश्मन के मोर्चों पर धुऍं और धूल का अम्बार लग गया। इन टैंकों ने अभ्यास के दौरान युद्ध के मैदान में अपनी ताकत और तेज रफ्तार के साथ-साथ अपनी अचूक निशानेबाजी से सभी को दांतों तले उंगलियाँ दबाने पर मजबूर कर दिया। टी-9० टैंकों में सवार सेना के जवानों ने अपनी जान की परवाह किये बिना दुश्मन के मोर्चों को रौंद डाला। इसी बीच पीछे से आ रही बीएमपी-2 पर सवार मैकेनाइड इंफेंट्रीके जवानों ने धावा बोलकर दुश्मन की जमीन को फतेह किया। यही अभ्यास रात्रि के दौरान भी प्रदर्शित किया गया जिसमें टी-9० टैंक, बी एम पी एवं तोप की भारी बमवर्षा ने दुश्मन के ठिकाने को नेस्तनाबूद दिया।--इस युद्ध अभ्यास में हमारे सैनिकों का जौहर, पराऋम, साहस, जोश और सटीक निशानेबाजी देखने लायक थी। अभ्यास के दौरान सेना के विभिन्न प्रकार के शस्त्रों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी और उनका उपयोग भी दर्शाया गया। इसमें भी मुख्यतः टी-9० टैंक आकर्षण का केन्द्र रहे। -
इससे पूर्व, 4 मैक इंफैन्ट्रीर् 1 सिख, जो कि इस वर्ष अपना प्रथम विश्व युद्ध का शताब्दी समारोह मना रही है, का दौरा आयोजित किया गया। बटालियन को सन् 1846 में स्थापित किया गया था। इस बटालियन को ब्रिट्रिश भारतीय सेना और भारतीय सेना से जुडे सभी प्रमुख युद्धों में भाग लेने का दुर्लभ गौरव भी प्राप्त है। यह बटालियन राष्ट्रमंडल देशों की सबसे अधिक अलंकृत बटालियन है। इस बटालियन ने एक विक्टोरियाक्रॉस, दो परमवीरचक्र, पाँच महावीर चऋ, 26 वीर चक्रसहित 343 वीरता पुरस्कार अर्जित किये हैं। 25 युद्ध सम्मान और दो थिएटर सम्मान बटालियन की अद्धितीय बहादुरी की गवाही देते हैं। इस बटालियन ने प्रथम विश्व युद्ध 1914-1918 में अत्यंत सक्रियरूप से भाग लिया था।-
बटालियन के अधिकारी मैस में मानसिंह ट्राफी भी है, जो कि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा भारतीय सैनिकों को महान् युद्ध में उनके बहुमूल्य योगदान के लिये भेंट की गयी थी। यहा यह बता देना कोई अतिश्योकित नही होगी कि हाल ही में इस ट्राफी के एक प्रतिरूप को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान वहां के प्रधानमंत्री टोनी एबट को 17 नवम्बर 2०14 को भेंट की थी। -इसके अलावा यूनिट की विभिन्न कलाकृतियाँ, ट्राफियाँ और मूल तस्वीरें आदि भी हैं, जिनमें से कुछ तस्वीरें और वस्तुऐं लगभग 175 वर्षों से भी अधिक पुरानी हैं। यही नहीं, इस शौर्यवान बटालियन में ऐसे ऐतिहासिक एवं बहुमूल्य शिल्प हैं जो कि सिर्फ इसी संग्रहालय में ही देखे जा सकते हैं।-

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