‘चायवाला’ होने का दावा एक दूर की कौडी भी हो सकती

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Published on : 22 Feb, 15 16:02

मोदी का एक ‘चायवाला’ होने का दावा एक दूर की कौडी भी हो सकती हैः सोशल एक्टिविस्ट

‘चायवाला’ होने का दावा एक दूर की कौडी भी हो सकती नई दिल्ली, इस तरह का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है जो कि ये दर्शाता हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बचपन में रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म या ट्रेनों में चाय बेचते थे। ये दावा आज सोशल एक्टिविस्ट और कांग्रेस समर्थ तहसीन पूनावाला ने मोदी सरकार के दौर में रेलवे मंत्रालय में एक आरटीआई के उत्तर में मिले दस्तावेजों के आधार पर किया है।
श्री तहसीन पूनावाला, एक प्रमुख उद्यमी और एक सक्रिय कांग्रेस समर्थक हैं और उन्होंने रेलवे बोर्ड के पास आरटीआई आवेदन कर इस बारे में जानकारी मांगी थी कि क्या कोई ऐसा रिकॉर्ड, रजिस्ट्रेशन नंबर या आधिकारिक पास है जो कि श्री नरेंद्र मोदी को जारी कर उन्हें किसी भी ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने की अनुमति या मंजूरी दी गई हो। उन्होंने रेलवे बोर्ड से जरूरी दस्तावेजों के साथ उस ट्रेन और रेलवे स्टेशन का नाम भी प्रदान करने के लिए कहा था जिस पर श्री नरेंद्र मोदी चाय बेचते थे।
इस आरटीआई आवेदन के उत्तर में रेलवे बोर्ड ने कहा है कि रेलवे बोर्ड के टीजी 3 ब्रांच ऑफ टूरिज्म और कैटरिंग डायरेक्टोरेट के पास ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए श्री तहसीन पूनावाला ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने रेलवे मंत्रालय ने इस बात से इंकार कर दिया है कि इस प्रकार की कोई जानकारी है जिससे ये प्रमाणित होता हो कि मोदी किसी भी रेलवे स्टेशन या किसी ट्रेन में चाय बेचते हों। अतीत में आकार पटेल जैसे कमेंटेटर्स भी ये बात कह चुके हैं कि मोदी का एक चायवाला होने का दावा सिर्फ एक खाली दावा भर ही हो सकता है। अब ये नया दस्तावेज भी उस बात की पुष्टि ही करता है।

श्री तहसीन पूनावाला ने आगे कहा कि मैंने मोदी जी को उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले भी लगातार देखा है और अक्सर देखा है कि वे महंगे चश्मे, घडियां और पॉकेट स्कवॉयर्स पहनते रहे हैं। अब हम एक ऐसे प्रधानमंत्री को जानते हैं जो कि एक ऐसा सूट पहनते हैं जो कि काफी महंगा है और अक्सर प्रधानमंत्री काफी महंगे डिजाइनर कपडों में ही नजर आते हैं। ऐसे में मेरी उनके अतीत को लेकर दिलचस्पी काफी बढ गई है। लोकतंत्र में अगर एक आम आदमी आगे बढते हुए प्रधानमंत्री बनता है तो हम सभी को उस पर गर्व होना चाहिए पर अगर श्री मोदी सच में किसी रेलवे स्टेशन या ट्रेनों में चाय बेचते थे तो रेलवे बोर्ड के पास वास्तव में इस प्रकार की कोई जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने पूछा कि ये कैसे संभव है कि रेलवे मंत्रालय और रेलवे बोर्ड, जो कि श्री मोदी जी की अपनी सरकार के तहत काम कर रहा है, के पास उनके इस सबसे बडे दावे को लेकर कोई जानकारी ही नहीं है कि वे बचपन में चाय बेचते थे। आखिर ये ही तो उनका सबसे बडा चुनावी दावा भी तो था।

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