रविवार को अबूझ महूर्तके साथ बसंत पंचमी

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Published on : 24 Jan, 15 23:01

सुबह 5.15 बजे से शुरू होकर रात 2.35 बजे तक रहेगी

जैसलमेर /बसंती पंचमी इस बार रवियोग में रही है। इसके चलते इस पर्वका महत्व इस बार बढ गया है। विद्या की देवी मां सरस्वती के पूजन आराधना का पर्वबसंत पंचमी आज अबूझमहूर्त होने के साथ इस दिन रवि योग होने से इसका महत्व कई गुना बढ जाएगा। इस मेंमहूर्त विवाह, मांगलिक कार्य करना शुभ रहेगा। ज्योतिषी गणित के अनुसार पंचमी सुबह 5.15 बजे से शुरू होकर रात 2.35 बजे तक रहेगी।

माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्वको विद्या आरंभ करने के लिए शास्त्रों में विशेष महूर्तमाना गया है। इस दृष्टि से बच्चों की शिक्षा आरंभ करने के लिए सबसे उत्तम तिथि माघ शुक्ल पंचमी तिथि को माना गया है। पंडित चान्दरतन छांगाणी ने बताया कि वेद और पुराणों में कहा गया है कि सृष्टि के आरंभ में माघ शुक्ल पंचमी तिथि को ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इन्होंने अपनी वीणा से स्वर को जन्म दिया था, इसलिए इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है और ज्ञान एवं विद्या प्रदान करने की प्राथनाएं का विधान शास्त्रों में बताया गया है। बसंत पंचमी के दिन महिलाएं पीले वस्त्र धारण कर भगवती सरस्वती की आराधना करती हैं।
मीनलग्न तथा अभिजित महूर्तमें करें शुभ कार्य

पंडित चान्दरतन छांगाणी के अनुसार पंचमी तिथि पर रवि योग है। इस दिन सुबह 9.51 से 11.14 बजे तक मीन लग्न तथा अभिजित मुहूत* सुबह 11.3॰ से दोपहर 12.3॰ बजे में विद्या आरंभ और अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

खरीदारी का भी है विशेष महत्व

बसंत पंचमी पर्वको श्री पंचमी भी शास्त्रों में कहा गया है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी के पूजन का विधान भी है। इस दिन को खरीदारी के लिए भी शुभ माना गया है।

श्रेष्ठ पर्वहै बसंत पंचमी

ज्योतिषों के अनुसार कुंडली में अगर विद्या योग नहीं हो तो पढनेलिखने में रुचि कम होती है। व्यक्ति के ज्ञान का स्तर कम होता है। इस स्थिति में दोष निवारण करने के लिए अच्छे मेंमहूर्त बच्चे की शिक्षा आरंभ करवानी चाहिए, जिसके लिए बसंत पंचमी का पर्वविद्या आरंभ के लिए श्रेष्ठ है। पंडित छांगाणी के अनुसार 24 जनवरी को सुबह 9.51 से 11.14 बजे तक मीन लग्न रहेगा, मीन का स्वामी बृहस्पति है और बृहस्पति विद्या का प्रतिनिधित्व करता है जिस कारण विद्या आरंभ करने के लिए यह श्रेष्ठमहूर्त है।
बसंत पंचमी पर पहले गणपति का पूजन कर भगवती सरस्वती को गंगाजल, दूध, दही से स्नान के बाद धूप और दीप से पूजन करें। भगवती को पीले फूल चढाएं पीले लड्डुओं का भोग लगाएं।


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