जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी का साथ छूट गया है। भाजपा ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। महबूबा मुफ्ती ने भी इस्तीफा दे दिया है। सरकार गिरने के बाद पीडीपी ने कहा है कि उसे भाजपा के इस फैसले का पहले पता ही नहीं था। यही कोई भी संकेत दिए बिना भाजपा ने एकदम से महबूबा को चौंका दिया। सरकार गिरने के बाद पीडीपी क्या नया फॉर्मूला निकालेगी इसके लिए पीडीपी के सभी नेता पांच बजे बैठेंगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस भी सूबे में सरकार बनाने के लिए अपनी कोशिशें तेज कर चुकी है। उमर अब्दुल्लाह ने कहा है कि वो राज्यपाल शासन का समर्थन करते हैं और राज्य में जल्द-जल्द से चुनाव की मांग करते हैं।
पार्टी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''नेशनल कांफ्रेंस को 2014 में सरकार बनाने का जनादेश नहीं मिला था, आज 2018 में भी सरकार बनाने का जनादेश नहीं है। हम किसी और तंजीम के साथ सरकार बनाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।''
उन्होंने कहा, ''न हमने किसी से संपर्क किया है न किसी ने हमसे संपर्क किया है। राज्यपाल के पास राज्यपाल शासन लगाने के सिवा कोई चारा नहीं है। हालात आहिस्ता आहिस्ता दुरुस्त करना होगा. इसके लिए हम राज्यपाल का पूरा समर्थन करेंगे। लेकिन राज्यपाल शासन ज्यादा देर नहीं रहना चाहिए. हम चाहेंगे राज्य में नए सिरे से जल्द से जल्द चुनाव हो।
जम्मू-कश्मीर में BJP-PDP गठबंधन खत्म,उमर ने की जल्द चुनाव की मांग
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए राज्यपाल शासन की दुरुस्त तैयारी की बात कही और जल्द हालात बेहतर होने का भरोसा दिलाया है। अब्दुल्ला ने कहा है कि उनकी पार्टी राज्यपाल शासन के दौरान पूरा सहयोग करेगी। अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई है कि सूबे में जल्द ही चुनाव की स्थिति बनेगी।
ऐसे हालात में जब सूबे में सरकार बनाने के लिए बहुमत जुटाना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल हो तो जम्मू कश्मीर स्पेशल प्रोविजन के चलते यहां राज्यपाल शासन लग सकता है। इस दौरान राज्यपाल के कार्यकाल में भी बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। कानूनी धारा के अंतर्गत सेक्शन 92 के तहत संवैधानिक तंत्र फेल होने पर यहां राज्यपाल शासन लगता है। इसकी अवधि 6 महीने रहती है लेकिन यदि हालात ठीक नहीं होते तो इसे बढ़ाया जा सकता है।
Source :