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होनी थी सर्जरी वीरेंद्र की, कर दी विजेंद्र की

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21 Apr 18
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इसे अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता कहें या फिर इसे सर्जन्स की मरीज के जीवन के प्रति अक्षम्य लापरवाही। यह मामला है दिल्ली सरकार के इकलौते सुश्रुत अभिघात केंद्र का है जहां पर विजेंद्र त्यागी नामक एक ऐसे मरीज की सर्जरी को अंजाम दे डाला जिसे सर्जरी की दरकार ही नहीं थी। गौर करें कि यह सर्जरी दरअसल वीरेंद्र नामक मरीज की होनी थी। इसकी शिकायत परिजनों ने सिविल लाईस थाने की पुलिस को दी है। इस बीच ट्रामा सेंटर के निदेशक डा. जेसी पासी ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की है।पीड़ित मरीज की जुबानी : पीड़ित अरु ण त्यागी ने बताया कि उनके पिता का नाम विजेंद्र त्यागी है। वह गाजियाबाद में लोनी के मंडोला के रहने वाले हैं। उनके पिता किसान है, अरु ण खुद मेट्रो में काम करते हैं। अरु ण ने बताया कि गत 17 अप्रैल को उनके पिता का आठ बजे ट्रोनिका सिटी में एक्सीडेंट हो गया, वह बाइक पर थे। पिता की आंखों पर ट्रक की रोशनी की चमक पड़ी, जिससे उनकी बाइक अनियंत्रित हो गई। इसके बाद वह बुरी तरह घायल हो गए। परिजन उन्हें हादसे के करीब 2 घंटे बाद 10 बजे सुश्रुत ट्रामा सेंटर लेकर आए। विजेंद्र के सिर में चोट थी और खून बह रहा था। डॉक्टरों ने उन्हें उपचार के बाद भर्ती कर लिया, यहां उनके सिर में सात टांके भी लगाए गए। बृहस्पतिवार को उनकी अस्पताल से छुट्टी होनी थी। अरु ण का आरोप है बृहस्पतिवार को एक वीरेंद्र नाम का भी मरीज भी आया, जिसके पैर में रॉड पड़नी थी। गलती से डॉक्टर उनकी जगह उसके पिता को ले गए। उनके पिता की छुट्टी होनी थी, इस दौरान कुछ डाक्टर आए और उनकी मां विमला को बाहर जाने को कहा। विमला के बाहर जाते ही विजेंद्र त्यागी को डाक्टर ऑपरेशन थियेटर ले गए और उनके पैर की सर्जरी कर दी। सब कुछ इतनी जल्दी में हुआ कि विजेंद्र त्यागी डाक्टरों को यह नहीं बता पाए कि उनके पैर की सर्जरी नहीं होनी
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