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खुली पाती:कटारिया जी के नाम धर्मनारायण जोशी की

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20 May 17
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दिनांक ः 19.05.2017
श्रीमान् कटारिया जी,
सादर वन्दे।
कल ही प्रवास से लौटा। शेखावत स्मृति व्याख्यानमाला का समाचार पढकर आश्चर्य हुआ। व्याख्यानमाला में आपने शेखावत साहब से अधिक अपना स्वयं का परिचय दिया। आप अपने राजनैतिक जीवन में अधिकांश समय कोटा संभाग के एक वरिष्ठ नेता के सहयोगी रहकर शेखावत साहब के विरूद्ध खेमेबंदी करते रहे। आज सुखद विस्मय का विषय है कि आप उनकी स्मृति में व्याख्यान कर रहे है। जीवन के तीसरे व चौथे आश्रम के संधिकाल में राजनैतिक विवशता के कारण ही सही आपने शेखावत साहब जैसे कद्दावर नेता को स्मृत किया, इसके लिये आपका आभार। लेकिन व्याख्यानमाला में आपका भाषण अपने आपको उदयपुर का श्रेष्ठ व समर्पित नेता सिद्ध करने व पार्टी के अन्य नेताओं को हेय, तुच्छ व नाकारा बताने का प्रयास किया, वो दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण हैं। संघ का स्वयंसेवक होने की दुहाई देने वाला कार्यकर्ता भाषण में इतनी आत्म प्रवंचना करे, यह तो स्वयंसेवक का आचरण नहीं है।
आपने पूर्व जिलाध्यक्ष मांगीलाल जी जोशी के लिए कहा दो बार जिलाध्यक्ष बनाया, एक बार विधायक का टिकट दिया, नहीं जीता तो मैं क्या करूं? आफ वक्तव्य से लगा मानों मांगीलाल जी कभी पार्टी के कार्यकर्ता रहे ही नहीं। जैसे जिलाध्यक्ष का पद व विधायक का टिकट आपने अपनी जेब से निकालकर खैरात में उनको दे दिया हो। ये आपका मिथ्या अहंकार है। भाजपा एक लोकतांत्र्कि पार्टी है, ये आपकी प्राईवेट चिटफण्ड कम्पनी नहीं है। मांगीलाल जी पार्टी के कार्यकर्ता थे, वे पार्टी में चुनाव जीतकर जिलाध्यक्ष बने। उनके विधायक के टिकट में आपकी क्या भूमिका थी ? ये मेरे, आपसे, माननीय गोविन्दाचार्य जी और शेखावत साहब से अधिक कौन जानता है? और अधिक जानना हो तो मंागीलाल जी स्वयं बता सकते है, टिकट कैसे मिला ? आपकी स्मृति में होगा उस समय मैं संभाग संगठन मंत्री का दायित्व निर्वहन कर रहा था।
आपने कहा मैंने एक लाख किलोमीटर मोटरसाईकिल चलाई। श्रीमान् आप राजनीति में पहले ही दिन से लाभ के पद पर हो। एम.एल.ए. पहले बने, पार्टी के मेम्बर बाद में बने। आज तक दस बार चुनाव लड लिये, दो बार हारे भी। आपने परिश्रम से अधिक पद व सम्मान प्राप्त कर लिया। आपने यह भी कहा सभी नेता बन जायेंगे, तो जाजम कौन उठायेगा? इसका अर्थ हैः- आप किसी कार्यकर्ता को आगे बढाकर नेता बनाने की मंशा कदापि नहीं रखते है, आप उसे जाजम उठाने वाला ही रखना चाहते है। आपकी यह कुंठित मनोवृत्ति संगठन के लिये आत्मघाती है।


आप भाषण तो ज्ञान व सिद्धान्त का देते है, परन्तु व्यवहार व आचरण इसके विपरीत करते है। भीण्डर में कांग्रेस का प्रधान बनवाने का शर्मनाक व अक्षम्य कृत्य को आपका समर्थन व वरदहस्त रहा। राजसमन्द में जिला प्रमुख के उपचुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वालों को आपने आप निरन्तर प्रोत्साहित करते रहे है। आपने विगत चुनाव में धरियावद सीट पर भाजपा प्रत्याशी गौतमलाल मीणा के खिलाफ नारायण भाई की बगावत को जायज बताया था। आपकी संगठन निष्ठा के मापदण्ड समय के साथ बदलते रहते है। जो आफ साथ रहे वही पाक साफ और संगठननिष्ठ है। संगठन में अपने प्रति व्यक्तिनिष्ठा का आदर्श मनवाने के प्रयास से बडा संगठन विरोधी कृत्य नहीं हो सकता। शेखावत साहब का आदर्श केवल भाषण के लिये नहीं जीवन में उतारने के लिये है, उन्होंने पार्टी में उनसे असहमति रखने वाले नेताओं से कभी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं रखी। आपने तो संगठन चुनाव में आपकी राय के खिलाफ वोट देने वाले कार्यकर्ताओं तक पार्टी की सूचना व निमंत्र्ण तक बन्द करवा दिये। आप स्वयं निर्णय करें, क्या आप जैसे संकुचित मनोवृत्ति के असहिष्णु व्यक्ति को शेखावत साहब के जीवन पर व्याख्यान देने का कोई नैतिक अधिकार है क्या?
पार्टी का आधार बढाने में असंख्य लोगों का जीवन लगा है। उसी आधार पर संगठन खडा है। संभाग संगठन मंत्री के रूप में मुझे भी काम करने का सौभाग्य मिला। मोटरसाईकिल पर ढाई लाख किमी यात्र कर मेवाड-वागड क्षेत्र् के गाँव-गाँव में पार्टी का आधार बढाने का प्रयास किया। तब मैं आपकी तरह वेतनभोगी पद पर नहीं था, संगठन का दायित्ववान कार्यकर्ता था।
मुझे 2008 में पार्टी ने मावली विधानसभा से प्रत्याशी बनाया, वह भी आपको नहीं पचा। आप व आफ समर्थकों ने मेरे विरोध में काम किया। आपने तो सारी सीमाओं को तोडकर मेरे विरूद्ध कांग्रेस के प्रत्याशी के साथ मिटिंग की और उसकी हरसंभव सहायता की। ये आरोप मैं आज फिर दोहरा रहा हूं, आज तक इस विषय पर आप मौन है। आपका मौन अपराध की स्वीकारोक्ति है।
वाणी व व्यवहार में दोहरापन आफ व्यक्तित्व की सर्वविदित विशेषता है। अभी हाल ही में निगम के पार्षदों का भत्ता बढाने के विषय पर आपकी यह विशेषता पुनः प्रकट हुई। आपने पार्षदों का वेतन भत्ता बढाने से असहमति व्यक्त करते हुये कहा जनता हमें देख रही है। दूसरी ओर सरकार म बढा आपका वेतन आपने चुपचाप स्वीकार कर लिया। व्यक्तिगत रूप से आपको स्वयं अपने बढे हुये वेतन को अस्वीकार कर पार्षदों व जनता के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करना चाहिये था। परन्तु ‘‘खुद तो खावे काकडी दूजॉ ने देवे आकडी’’ आपका स्वभाव है। कार्यकर्ता को त्याग तपस्या का भाषण देकर येन केन दस बार चुनाव लडेंगे। एक बार प्रदेशाध्यक्ष रहने के बाद अगले कार्यकाल में प्रदेश महामंत्री का पद स्वीकार कर आपने अपनी पदलिप्सा को साकार रूप में प्रदर्शित किया।

संघ की दुहाई देकर राजनीति करते हुये आपने उदयपुर में संघ के निष्ठावान स्वयंसेवकों को पार्टी में अलग थलग किया। यही कारण है कि आज आफ विरोधियों की संख्या दिनों दिन बढ रही है। आफ साथ रहे नेता व कार्यकर्ता आफ विरोधी क्यों हो जाते है ?
आप प्रदेश की सरकार में गृहमंत्री है, लेकिन आफ प्रदेश की सीमा उदयपुर शहर तक ही सीमित है। बांसवाडा में साम्प्रदायिक दंगे की स्थिति में आप उदयपुर में बेफिक्र होकर रोजमर्रा का जीवन जीते रहे। विचारणीय विषय है। प्रदेश में वरिष्ठ मंत्री होने के बावजूद आपकी भूमिका नगण्य है, क्योंकि आपका अधिकांश समय उदयपुर भाजपा की उठापटक व अपनी राजनैतिक असुरक्षा के भय को दूर करने के प्रयास में व्यतीत होता है।
उदयपुर में सिटी स्टेशन के सामने की शहरकोट के पीछे की कच्ची बस्ती बडे भू-माफियाओं के प्रभाव में पुलिस संरक्षण में रातों रात खाली हुई। ये आपकी व आफ विभाग के बडी सफलता मानी जाये!
आप भाषण में खुद का जनता को मुनीम कहते रहे हो। उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल व हिन्दुस्तान जिंक जैसे उपक्रम औने पौने दामों में बिके। तब उदयपुर की जनता का ये मुनीम चुपचाप क्यों रहा? जिंक साढे चार सौ करोड में बिका, जब कि वहां पडे स्क्रेप की कीमत छः सौ करोड थी, वहीं लक्ष्मीविलास मात्र् सात करोड में बिका उसकी स्टाम्प ड्यूटी इक्कीस करोड लगी। उदयपुर की जनता के साथ इतना कुठाराघात हुआ। आपने इस विषय पर एक वक्तव्य देना या पत्र् लिखना तक उचित नही समझा। इस विषय पर आपका मौन एक पहेली से कम नहीं है।
विगत वर्षों में आफ कारण उदयपुर शहर में विकास का कोई बडा काम नहीं हूआ। नगर निगम व यू.आई.टी. के कामों का श्रेय लेने का अधिकार आपको नहीं है। ये तीन वर्ष आपकी विफलता की कहानी कह रहे है।
1. उदयपुर नगर निगम के सभी कामों में आपकी पूरी दखलदाजी है। वहां के सभी निर्णयों में आपकी भूमिका प्रभावी रहती है। उदयपुर जैसी स्मार्ट सिटी सफाई व्यवस्था में देश में 310वें नम्बर पर है। क्या ये आपकी व्यक्तिगत उपलब्धि मानी जाये।
2- प्रदेश के गृह विभाग के मुखिया के शहर में संसार का सबसे बडा नशीली दवाओं के अवैध कारोबार वाली फैक्ट्री चलती मिली। आप व आपका विभाग इससे अंजान कैसे रहे? क्या ये आपका प्रशासनिक विफलता नहीं है। विचारणीय विषय है।
3. उदयपुर में चेन स्नेचिंग की वारदाताओं आम बात है, लेकिन अपराधी पकड के बाहर है। भाजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष के साथ मॉनिंग वॉक के दौरान हुई चेन स्नेचिंग हो गई। आफ नेतृत्व में पुलिस जनता को हेलमेट पहनाने चालान बनाकर जुर्माना वसूलने में व्यस्त है। अपराधी मस्त है।

4- टाउनहॉल में बडी धनराशि व्यय करने के बाद बना पार्किंगस्थल ऊँची पार्किंगदरों के कारण ठीक से उपयोग में नही आ रहा है।
5. गुलाबबाग में कमल तलाई का विकास करने के नाम पर उसका सत्यानाश कर दिया। लगभग एक करोड रूपये व्यय करने के बाद कमल तलाई की इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है?
6- उदयपुर में एलीवेटेड रोड, रेलवे ओवरब्रिज व बाईपास पर ओवरब्रिज जैसे काम आपकी प्राथमिकता में नहीं है।
7. आयड नदी के विकास का भाषण देते आपको बरसों हो गये। लेकिन हुआ क्या? ये नदी आज भी गंदा नाला बनी हुई है।
8. फतहसागर पर विभूति पार्क का अनियोजित व गैर तकनीकि निर्माण आपकी देन ही मानी जानी चाहिये।
9. पुलिस की राज्यस्तरीय बैठक में आपकी यह स्वीकारोक्ति की पुलिस के कई अधिकारी जमीनों के धंधें में लगे हुए है। क्या ऐसी विव८ाता में आपको एक क्षण भी गृहमंत्री रहने का नैतिक अधिकार है ।
मान्यवर,
संगठन को आपने जितना दिया, उससे अधिक प्राप्त कर लिया है। भगवान के लिये भाजपा व उसके निष्ठावान कार्यकर्ताओं पर रहम करिये। अपनी पार्टी के नेता को हराने के लिये कांग्रेस प्रत्याशी के साथ मिटिंग करके आपने संकीर्ण व स्वार्थपूर्ण सोच का परिचय दिया है। जीवन के उत्तरार्ध में और किसी से नहीं तो ईश्वर से डरिये। वहां तो सबका लेखा जोखा व्यवस्थित है। आपमें किचिंत भी नैतिक बल है तो मेरे आरोप का उत्तर दीजिये।
सादर
(धर्मनारायण जोशी)
प्रतिष्ठार्थ,
श्रीमान् गुलाबचन्द कटारिया
गृहमंत्री, राजस्थान सरकार
141, माछला मगरा, उदयपुर




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