पूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने सुब्रमण्यम स्वामी के बोलों पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को लेकर कहा है कि भाजपा की अन्दरूनी कलह के गुल खिलने की शुरूआत हो चुकी है। जैसे बीज बोये थे, वैसा ही फल मिलेगा। आने वाले समय में देखेंगे कि ये खुद ही एक दूसरे को जवाब देंगे, हमें जवाब देने की जरूरत नहीं पडे़गी।
श्री गहलोत ने आज यहां प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा
73 प्रतिशत घोषणाएं पूरी करने की बात हास्यास्पद है। उनकी बात पर आमजन नहीं हंस रहा है, बल्कि उनके कार्यकर्ता ही हंस रहे हैं। ऐसे में क्या टिप्प्पणी की जाये? ये अपने वादों को लेकर श्वेत-पत्र जारी करें और बतायें कि कौनसे वादे पूरे कर दिये, उनसे जनता को क्या फायदा मिला, तब बात करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री झूठ बोलने में माहिर हैं। एक झूठ को सौ बार बोलते हैं तो सच का अहसास होने लगता है, इस सिद्धान्त को इन्होंने अपना रखा है। सच्चाई तो यह है कि अभी तो नौकरियां देने की शुरूआत ही नहीं की है। कभी स्किल इंडिया, कभी फील गुड पता नहीं ये क्या-क्या कर रहे हैं, स्मार्ट सिटी ला रहे हैं। ये खाली नारे दे रहे हैं, जमीनी स्तर पर विकास के कोई काम नहीं हो रहे हैं। इनके नारे चाहे वो श्री नरेन्द्र मोदी के हों या श्रीमती वसुन्धरा राजे के, सब हवा में उड़ रहे हैं।
श्री गहलोत ने कहा कि मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि इतना भारी बहुमत देने के बाद आखिर जनता ने ऐसा क्या कसूर किया है कि आमजन के काम नहीं हो रहे, कहीं उनकी सुनवाई नहीं हो रही, विकास के कार्य ठप्प पडे हैं और सब नाटकबाजी की जा रही है। सारे वादे खोखले साबित हुए। रिकार्ड तोड महंगाई हो गई है। इनकी सरकार आई तब लोगों को उम्मीद थी कि ये महंगाई कम करेंगे, मगर महंगाई तो उल्टा बढती गई। कच्चे तेल के भाव जो यूपीए सरकार के समय 140 रूपये थे वो इनके राज में 40 पर आ गये, तब भी महंगाई रूकी नहीं, तेल के भाव में मामूली कमी की गई, सरकार अपना ही खजाना भरती रही जो पता नहीं किसके काम आयेगा?
एक सवाल के जवाब में श्री गहलोत ने कहा कि मुख्य सचिव श्री सी.एस. राजन एक भले आदमी हैं, उनको दो बार एक्सटेन्शन दिया गया जो अच्छी बात है, लेकिन मेरा मानना है कि राजस्थान में जो सीएमओ काम कर रहा है, उसके बाद में मुख्य सचिव की जरूरत ही नहीं है। मुख्यमंत्री जिस ढंग का शासन चाहती है, वह बिना मुख्य सचिव के हो सकता है।