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आम आदमी की जुबान थे लक्ष्मण के काटरून

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27 Jan 15
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मुंबई | आधी सदी से अधिक समय तक एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के मुखपृष्ठ पर पॉकेट काटरून के जरिये आम आदमी की बात कहने वाले मशहूर काटरूनिस्ट आरके लक्ष्मण का सोमवार को निधन हो गया। बीते एक हफ्ते से पुणो के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती लक्ष्मण (94) ने शाम 6.50 पर अंतिम सांस ली। उनके परिवार में लेखिका पत्नी कमला व सेवानिवृत्त पत्रकार बेटा श्रीनिवास है। मशहूर लेखक आरके नारायण उनके बड़े भाई थे।1‘यू सेड इट’ यानी ‘आपने कहा’ शीर्षक वाले उनके काटरून में चेक का कॉलरदार कुर्ता, धोती व गोल ऐनक पहने सिर पर थोड़े से सफेद बालों वाला बूढ़ा-सा इंसान एक पंक्ति में ही वह सब कुछ कह जाता था, जिसे कहने में अखबार की खबर भी कभी-कभी कम पड़ जाती है। लक्ष्मण का गढ़ा यह कार्टून चरित्र उस आम आदमी का प्रतीक था, जो देश-दुनिया में हो रही घटनाओं का मूक गवाह बनता है। लक्ष्मण के इस कॉमन मैन (आम आदमी) की लोकप्रियता इससे आंकी जा सकती है कि 1988 में उक्त अंग्रेजी दैनिक के 150 वर्ष पूरे होने पर डाक विभाग द्वारा जारी किए गए डाक टिकट पर इस आम आदमी का चित्र प्रकाशित किया गया। मुंबई के वर्ली तट पर इस आम आदमी की एक आदमकद प्रतिमा समुद्र के किनारे लगी पत्थर की बेंच पर बैठकर समुद्र को निहारती देखी जा सकती है। पुणो के सिमबायोसिस इंस्टीट्यूट में भी इस आम आदमी की दस फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा है। विमानन कंपनी एयर डक्कन ने जब कम किराये वाली सेवाएं शुरू करने का मन बनाया तो अपना शुभंकर लक्ष्मण के आम आदमी को ही बनाया। लक्ष्मण को पद्म विभूषण व रेमन मैग्सेसे सम्मान से नवाजा गया। लक्ष्मण ‘द स्ट्रैंड’ ‘पंच’, ‘बाईस्टैंडर’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले काटरूनों की तरफ तभी आकर्षित होने लगे थे, जब उन्हें अक्षर ज्ञान भी नहीं था।
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