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सार्थक लिखने के लिये सार्थक पढ़ना भी जरूरी है

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16 Mar 18
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सार्थक लिखने के लिये सार्थक पढ़ना भी जरूरी है राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र में मीडिया लेखन कार्यशाला के आखिरी दिन शीर्षक रचना के विभिन्न पहलुओं पर छात्रों को संबोधित करते हुए दैनिक नवज्योति के संपादक महेश शर्मा ने कहा कि शीर्षक चुंबक है और समाचार की पृष्ठभूमि और कल्पनाशीलता का उपयोग करके एक आकर्षक शीर्षक रचा जा सकता है.
दूसरे सत्र का विषय अनुवाद पर था. अनुवाद की कला और शिल्प पर बीबीसी के पूर्व पत्रकार और मशहूर अनुवादक नलिन कुमार ने कहा कि अनुवाद एक श्रमसाध्य विधा है लेकिन इसमें व्यापक संभावनाएं हैं. इसके लिये अनुवादक को दो भाषाओं का ज्ञान और अनुवाद के उपकरणों का बुद्धिमत्तपूर्ण इस्तेमाल करना आना चाहिये.
इसके पहले गुरुवार को कार्यशाला में ब्लाग लेखन और मल्टीमीडिया लेखन पर दो सत्र थे. ब्लॉगिंग की विधा और तकनीकी पक्ष पर छात्र-छात्राओं से रूबरू होते हुए मशहूर ब्लॉगर और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा कि इस समय लाखों ब्लॉगर नये मीडिया की इस तकनीक का इस्तेमाल करके नये-नये विषयों पर ब्लॉग लिख रहे हैं और कमा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ब्लॉगिंग ने अभिव्यक्ति का ऐसा मंच दिया है जहां लेखक प्रकाशक का मोहताज नहीं है.
राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार डॉय संदीप पुरोहित ने मल्टीमीडिया लेखन की बारीकियों पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि मीडिया कंवर्जेंस के इस दौर में विभिन्न माध्यमों की मांग के अनुसार एक ही खबर को लिखने का कौशल सफल पत्रकार होने की शर्त्त है.
तीन दिनों की मीडिया लेखन कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों में मीडिया लेखन के कौशल विकसित करना,-विभिन्न माध्यमों की भाषा के प्रति समझ बढ़ाना और प्रतिष्ठित पेशेवरों से प्रतिभागियों का संवाद स्थापित करना और उनसे सीखने का अवसर प्रदान करना था. बुधवार को शुरु हुई इस कार्यशाला के पहले दिन वरिष्ठ पत्रकार उर्शी रावल ने समाचार लेखन और वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर नारायण बारेठ ने समाचार लेखन और फीचर लेखन की कला और शिल्प पर विद्यार्थियों को संबोधित किया. कार्यशाला में शामिल विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक इसमें शिरकत की. सभी सत्रों में अभ्यास कार्य हुए जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़कर काम किया और विशेषज्ञों ने उनके अभ्यासों की समीक्षा की. कार्यशाला का संयोजन श्रीमती शालिनी जोशी ने किया ।
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