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भारतेंदु हरिशचन्द्र जयंती- व्याख्यानमाला आयोजित

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09 Sep 17
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भारतेंदु हरिशचन्द्र जयंती- व्याख्यानमाला आयोजित
सी .ए.डी.स्थित गवर्न्मेंट डिविजनल पब्लिक लाईब्रेरी ,कोटा मे साहित्यकार भारततेंदु हरिशचन्द्र जी के जन्म दिवस की पुर्व संध्या पर एक व्याख्यानमाला आयोजित की गयी । इस कार्यक्रम के उदघाटन सत्र को संबोधित करतें हुयें पुस्तकालय प्रभारी डा. डी. क़े. श्रीवास्तव ने बताया कि – “भारतेंदु हरिश्चंद्र कहतें थें कि - निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल । अर्थात बिना निज भाषा और मातृ भाषा के किसी भी राष्ट्र की प्रगति संभव नही हें । अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण भारतेंदु हिंदी साहित्याकाश के एक दैदिप्यमान नक्षत्र बन गए और उनका युग भारतेंदु युग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इसी अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष राजस्थान साहित्य अकादमी के शम्भू दयाल सक्सेना पुरुस्कार से सम्मानित श्री भगवती प्रसाद गौत्तम ,सेवानिवृत अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार , मुख्य अतिथी श्री नारायण लाल नामा सेवानिवृत प्रधानाचार्य , वि‍शिष्टह अतिथि श्री राजेन्द्र कुमार सुमन , कवि , लेखक एवं पत्रकार रहे ।
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री भगवती प्रसाद गौत्तम ने अवगत कराया कि - “आधुनिक हिंदी साहित्य में भारतेंदु जी का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। भारतेंदु बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी थे। कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध आदि सभी क्षेत्रों में उनकी देन अपूर्व है।
इसी अवसर पर बोलतें हुयें कर रहे श्री नारायण लाल नामा ने कहा कि “ भारतेन्दु आधुनिक हिंदी के जन्मदाता माने जाते हैं। हिंदी के नाटकों का सूत्रपात भी उन्हीं के द्वारा हुआ। मातृ-भाषा की सेवा में उन्होंने अपना जीवन ही नहीं संपूर्ण धन भी अर्पित कर दिया।
इसी अवसर पर बोलतें हुयें कार्यकृम की विशिष्ठ अतिथी श्री राजेन्द्र कुमार सुमन ने बताया कि – भारतेंदु जी ने अपने काव्य में अनेक सामाजिक समस्याओं का चित्रण किया। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों पर तीखे व्यंग्य किए। महाजनों और रिश्वत लेने वालों को भी उन्होंने नहीं छोड़ा।
इसी अवसर अन्य उपस्थित पाठकों एवं वक्ताओं मे नीरज यादव , मीनाक्शी , नवनीत मोदी , अतीक मंसूरी , अर्पण जैन , भगवती प्रसाद जांगिड , हेमंत कुमार , पवन गोचर , महेश्वर शर्मा , अंजना अग्रवाल , प्रिती शर्मा , रानु गौतम , अरुणा नागर , निशा गुप्ता , भुपेन्द्र, योगेन्द्र सिंह तंवर , चन्द्रशेखर इत्यादि ने विचार व्यक्त किये । इसी अवसर पर बोलते हुयें कार्यक्रम संयोजिका श्रीमति जैन ने कहा कि “भारतेंदु जी ने लगभग सभी रसों में कविता की है। श्रृंगार और शांत की प्रधानता है। उक्त समारोह का प्रबंधन अजय सक्सेना , नवनीत शर्मा एवं सागर आजाद ने किया एवं कार्य्कृम के अंत में अतिथियों द्वारा पुस्तकालय का भ्रमण किया गया ।

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