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“मानसिक शक्तियों से प्राप्त करें - यश, धन व पावर”-- डॉ. अरविन्दर सिंह

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22 Aug 15
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“मानसिक शक्तियों से प्राप्त करें - यश, धन व पावर”-- डॉ. अरविन्दर सिंह SETP की आवश्यकता क्यों है ?
हर व्यक्ति को जीवन में पावर, धन और यश इन तीन चीज पाने की चाह रखता है। यह बात अलग है कि किसी को धन ज्यादा चाहिए, किसी को पावर ज्यादा चाहिए तो किसी को यश ज्यादा चाहिए। प्रायः यह देखा गया है कि धन, यश व पावर की दौड में व्यक्ति मानसिक शान्ति व भावनात्मक सन्तुलन खो देता है । इस ट्रेनिंग द्वारा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। जिससे व्यक्ति यश, धन, ख्याति पाने के साथ साथ मानसिक एवं भावनात्मक रूप से परिपक्व होता है।
यह ट्रेनिंग किन लोगों के लिए लाभदायक है व किस उम्र से इस ट्रेनिंग को दिया जा सकता है
जैसा कि मैंने बताया कि यह ट्रेनिंग माइन्ड के सम्पूर्ण विकास के लिए है तो यह विद्यार्थियों, मैनेजर्स, व्यापारी और यहां तक की हाउस वाइफ के लिए भी महत्वपूर्ण एवं कारगर है। वैसे तो विदेशों में यह ट्रेनिंग 4 साल की आयु से शुरू कर देते है पर अभी मैं इसको 12 साल से अधिक आयु के बच्चों के लिए ही विकसित कर पाया हु। वयस्क व अधिक आयु के व्यक्ति भी इसका लाभ उठा सकते है।
टिनेजर्स व अन्य विद्यार्थियों को इस ट्रेनिंग से क्या लाभ मिलता है ?
मानव का मस्तिष्क ही उसका सबसे बडा मित्र है और अगर सोच व मस्तिष्क की गलत दिशा में जाए तो सबसे बडा शुत्रु भी वही है। आजकल के यूथ के पास एनर्जी व इनर्फोमेशन की कमी नहीं है जरूरत है तो सही दिशा व ऊर्जा का सही उपयोग । यह कोर्स मानसिक क्षमताओं का विकास करने के साथ साथ सही दिशा भी प्रदान करता है। निर्णय क्षमता तथा क्रियेटिविटी के विकास से अच्छे अंक, प्रतियोगी परिक्षाओं में सफलता, सही केरियर का चुनाव, धन कमाने के अवसर, कम्युकेशन क्षमता आदि विकसित होते है। पेरेंट्स-चाइल्ड रिलेशनशिप में भी सुधार होता है । टिनेजर्स व विद्यार्थियों के लिए तो यह कोर्स वरदान है क्योंकि भारत में स्कूल कॉलेज के पाठ्यक्रम में यह पढाया जाता है। हम सब जानते है कि रटी-रटाई शिक्षा से वो लाभ नहीं आता जो कि जीवन की व्यवहारिक ट्रेनिंग से आता है।
इस तरह के ट्रेनिंग प्रोग्राम का रोजगार में क्या महत्व है ?
किसी भी कम्पनी में अच्छी पोस्ट व अच्छे पैकेज के लिए स्कील्स की जरूरत होती है जो कि आफ बाकी लोगों से अलग व श्रेष्ठ साबित कर सके। केरियर बिल्डर, इकोनोमिक टाइम्स, टेकेन, रेडिफ इत्यादि के सर्वें से स्पष्ट हुआ है कि 86 प्रतिशत ग्रेजुएट को कम्पनी रोजगार योग्य नहीं मानती है कम्पनी के पास अच्छी पोस्ट के लिए योग्य उम्मीदवारों की भारी कमी है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है सही निर्णय व समस्या समाधान की क्षमता और दूसरी सबसे महत्वपूर्ण स्कील है क्रियटिविटी। इस प्रोग्राम में इन क्षमताओं का सर्वांगीण विकास किया जाता है । इन क्षमताओं के विकास होने से व्यक्ति का कम्युनिकेशन, लिडरशिप व टीम मैनेजमेंट की क्षमता का विकास भी हो जाता है।
Times of India के साथ जाईन्ट सर्टिफिकेट प्रदान किया जायेगा जो कि Resume/CV के लिए लाभदायक है।
SETP का जन्म कैसे हुआ ?
इस तकनीक को विकसित करने के लिए ’मॉडल सिमलूशन पद्वति‘ का इस्तेमाल किया गया है। इसके अन्तर्गत विश्व के बेहतरीन मैनेजर, सी.ई.ओ., गणितज्ञ, चैस ग्रांडमास्टर इत्यादि इनके माइन्ड जिनियस लेवल पर काम करते है। उनके माइन्ड को इमेजिंग टेक्नीक द्वारा देखा गया और यह पाया कि माइन्ड में 7 प्रकार के पैटर्न पाए जाते है, जिसका इस्तेमाल जिनियस व्यक्ति 80 सs 100 प्रतिशत तक करते है, किन्तु साधारण व्यक्ति इसका इस्तेमाल 10 से 20 प्रतिशत तक ही कर पाते है। इस तकनीक के द्वारा ट्रेनिंग में 7 पैटर्न कर जानकारी दी जाती है और साथ ही उन्हें सिखाया जाता है कि 80 सs 100 प्रतिशत को इस्तेमाल कैसे करें। ट्रेनिंग के बाद व लगातार अभ्यास से सामान्य व्यक्ति भी जिनियस की तरह प्रभावशाली निर्णय व क्रियेटिविटी में सक्षम हो जाता है ।
जैसा आपने बताया कि इमेजिंग टेकनिक द्वारा माइन्ड की स्टडी के द्वारा यह कोर्स बनाया गया है, आपने ऐसा कैसे किया ?
विदेशों में खासकर व सिंगापुर में इस विषय पर काफी रिसर्च हुई। मैंने उन स्टडी को भारतीय परिपेक्ष्य में पढा और समझा। मैंने स्वयं भी विदेशों में जाकर ऐसी तकनीकों का प्रशिक्षण किया । विदेशों में ऐसी ट्रेनिंग की कीमत लाखों में होती है। मैंने इसको भारतीय प्ररिपेक्ष्य में विकसित किया तथा इस बात को ध्यान में रखा की हर व्यक्ति बहुत कम खर्च में इसका लाभ उठा सके। इस तकनीक को विकसित करने के बाद भारत सरकार से इसको रजिस्टर तथा पेटेन्ट कराया।
क्या इसमें कोई दवाई या मेडिकल टेकनिक का प्रयोग भी किया जाता है ?
नहीं इसमें किसी प्रकार का मेडिकल टेकनिक का प्रयोग नहीं किया जाता । इसके लिए ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रयुक्त गैजेट्स व तकनीक इस्तेमाल की जाती है ।
यह ट्रेनिंग कैसे दी जाती है और इसमें कितना समय लगता है ?
यह 20 घंटे का ट्रेनिंग प्रोग्राम है, 10 दिन में प्रतिदिन 2 घंटे ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए विशेष स्टडी मटेरियल, डिजिटल क्लासरूम, इंटरेक्टीव रिमोट कंट्रेाल व प्रेक्टिकल अभ्यास कराया जाता है।



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