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सादगी भरा जीवन,अंतर्राष्ट्रीय शक्शियत

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21 Feb 18
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कोटा ,डॉ.प्रभात कुमार सिंघल/ एक सादगी भरा जीवन व्यतीत कर कोटा की महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय शख्सियत पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गिय भुवनेश चतुर्वेदी की यादगार आदमक़द मूर्ति का लोकार्पण करने उनके निजी मित्र ,पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आगामी 24 फरवरी को कोटा आयेगे।वह दोपहर 12 बजे बाद बारां रोड कोटा स्थित बाल मंदिर स्कूल के प्रांगण में आयोजित मूर्ति लोकार्पण समारोह में शामिल होंगे ।उनके साथ राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत सहित कई वरिष्ठ नेता भी रहेंगे ।
मैनपुरी में 22जून 1931 में जन्मे भुवनेश ने राजनीती को ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा की नयी दिशा दी है ।वे कोटा में ही पले ,बढे ,यहां उनकी शिक्षा हुई ,कोटा में उन्होंने छात्र जीवन से ही नेतृत्व की क्षमता दिखाई ।उन्होने कोटा से विधि स्नातक की परीक्षा पास कर ,यही शैक्षणिक उत्थान के लिए ,बाल मंदिर स्कूल शिक्षण संस्था की शुरुआत की । छात्र जीवन में ही उनहोंने कई देशों की यात्रा की। उन्होंने ने कोटा में वकालत शुरू की । वह एक बेबाक निष्पक्ष पत्रकार भी थे ।कोटा प्रेसक्लब के फांउडर सदस्यों में से एक भुवनेश चतुर्वेदी ,कई अखबारों और न्यूज़ एजेंसियों से जुड़े रहे ।वह कोटा में विधायक रहे ,यहां से राज्य सभा के सदस्य रहे और बाद में उनकी क्षमता को देखते हुए ,नरसिंम्हाराव सरकार मे भुवनेश चतुर्वेदी को केंद्रीय मंत्री बनाकर ,,प्रधानमंत्री कार्यालय की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी ।
कहने को भुवनेश चतुर्वेदी कांग्रेस के नेता ,विधायक ,सांसद केंद्रीय मंत्री थे ,लेकिन स्वभाव से साधु ,संत ,बेबाक ,ईमानदार होने से ,वोह लोगो से काफी दूर रहे ,लेकिन उन्होंने हमेशा कोटा के विकास ,कांग्रेस की मज़बूती के बारे में ही कार्ययोजना तैयार की ।
कोटा बी २ ,मेडिकल कॉलेज की केंद्रीय मानयता ,केथून साड़ी उद्योग ,कई उद्योगों का संचालन ,कोटा अभिभाषक परिषद का भवन ,कई बस स्टेण्ड ,
कई जनसुविधाओं वाले कम्युनिटी सेंटर उनकी मदद से ही बनकर तैयार हुए है । युवाओं के लिए कला दीर्घा उनकी बड़ी देन है।कोटा थर्मल लाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही।उनके इर्द गिर्द ,हमेशा रहने वाले साथियों को उन्होंने ,,पावर मिलते ही ज़र्रे से आफ़ताब बनाया ।उनके हर मित्र को उन्होंने विधायक का टिकिट देकर काफी विरोध के बाद भी चुनाव लड़वाया। ,उनसे टीचर की नौकरी मांगने आये एक युवक को उन्होंने चुनाव लड़वा कर विधायक ,फिर मंत्री भी बनवा दिया ।प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री होने के नाते ,देश भर में उनकी अपनी पहचान थी ,ज़िम्मेदारियाँ थी ।
भुवनेश चतुर्वेदी सादगी जीवन के बावजूद भी ,देश ,विदेश की अज़ीम शख्सियत के दिलों में बसे थे। वह अपना काम खुद करते थे ,खुद कपड़े धोना ,घर ,कमरे की साफ़ सफाई खुद करना ,खुद झाड़ू देना ,खुद चाय बनाकर पीना और पिलाना ,उनकी सादगी का सुबूत रहा है ।,दिल्ली की सड़को पर एक बजाज स्कूटर से ,,कांग्रेस की मज़बूती से ,इंद्रा गाँधी के विशेष सलाहकार की टीम के रूप में वोह मुख्य कार्यकर्ता भी रहे है ।गांधी परिवार से उन्हें विशेष लगाव होने से इंद्रा जी शहादत को लेकर वह फफक फफक कर रो पढ़ते थे ।ज़रा सोचिये एक केंद्रीय मंत्री ,ऐसा मंत्री जो मुख्यमंत्रियों ,,केंद्रीय मंत्रियों को बनाता ,हटाता हो ,वह शख्सियत ,कोटा की वकालत से लगातार जुड़े रहे । भुवनेश चतुर्वेदी कश्मीर के प्रभारी थे ,,विदेश निति के विशेषज्ञ थे ,,उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से ब्लेक कमांडो दिए गए ,थे लेकिन कोटा में सादगी भरे जीवन में वोह कोटा प्रवास पर नियमित अदालत परिसर में आते ,गपशप करते ,,सभी को चाय पिलाते ,कुछ गुर सिखाते ।अदालत परिसर के विस्तार के प्रयासों में जुटते ,,किसी को लोकअभियोजक ,बनाते ,किसी को सरकारी वकील ,तो किसी को नोटेरी बनाते ,तो किसी को राष्ट्रीयकृत बेंको का डाइरेक्टर तो किसी को कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव लड़वाते ।अपने नो रत्नो में से एक भी ऐसा बाक़ी नहीं था ,जिसका क़र्ज़ उन्होंने नहीं उतारा हो ।
भुवनेश चतुर्वेदी महत्वपूर्ण पदों रहकर भी ,बेबाक रहकर भी ,,बेदाग ,ईमानदार छवि के एक मात्र साधू नेता रहे ,है ।उनकी बेबाकी के बाद भी भाजपा के नेताओ से उनके दोस्ताना संबंध थे ,भाजपा के हरिकुमार औदीच्य उनके निजी मित्र थे ,तो भेरो सिंह शेखावर्त ,अटल बिहारी वाजपयी के लिए वह भाजपाइयों से भी ज़्यादा पहली पसंद थे ।भुवनेश चतुर्वेदी ने देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगो को इशारे भर में कोटा में बुलाकर कोटा की एक पहचान बनाई ,,कोटा में उनके स्कूल हर कार्यक्रम में हमेशा देश के शीर्ष पदों पर बैठे लोग खुद चलकर आये ,जिसमे राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन से लेकर वेंकटरमन ,,ज्ञानी जेल सिंह ,,शंकर दयाल शर्मा ,इंद्रा जी ,मनमोहन सिंह सहित कई ज़िम्मेदार लोग शामिल रहे है ।मनमोहन सिंह उनके निजी मित्र है ,भुवनेश चतुर्वेदी उनसे कोटा प्रवास पर फोन पर नियमित अदालत परिसर में ही रहकर बात कर लिया करते थे।,राजनीती को ईमानदारी की एक दिशा दी ,,पत्रकारिता में बेबाकी ,,निष्पक्षता ,ईमानदारी का पैगाम दिया।
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