पी.जी. सेवारत चिकित्सक मामले में चिकित्सा मंत्री अपने बयान से पलटे
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23 Apr 17
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सेवारत चिकित्सकों को ग्रामीण स्वास्थ्य सेवायें मजबूत करने के उद्देष्य से एम.सी.आई. द्वारा पी.जी. मे १०, २०, ३० का लाभ दिया गया था। जिस पर माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुश्ठि की गई थी।
इस प्रकरण में पूर्व में २०.०३.२०१७ को चिकित्सा षिक्षा विभाग द्वारा दुर्भावनावंष १० प्रतिषत के आदेष जारी किये थे, जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं एम.सी.आई. की भावना के विपरित थे। जिसे माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्ड पीठ द्वारा रद्द कर ग्रामीण सेवा चिकित्सकों को १०, २०, ३० का लाभ देने के आदेष दिये थे। जिस पर माननीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री द्वारा १०, २०, ३० के फैसले को लागू करने की सार्वजनिक घोशणा की गई थंी।
अब जब मामला सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है तब चिकित्सा मंत्री के बयान को दरनिकार कर चिकित्सा षिक्षा सचिव द्वारा सुप्रीम कोर्ट में विरोध स्वरूप एस.एल.पी. दायर कर दी गई है।
एक तरफ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों की करोडो आमजन को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के उद्देष्य से १०, २०, ३० लागू कर रही है जो राजस्थान की ग्रामीण चिकित्सा स्वास्थ्य व्यवस्था में एतिहासिक परिवर्तन होने जा रहा था। जिससे राज्य करोडों ग्रामीण आमजन को समुचित स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिलना था। माननीय न्यायालय के आदेषानुसार सेवारत चिकित्सक पी.जी. में अपनी ज्वाईनिंग दे चुके है। तब चिकित्सा षिक्षा विभाग सेवारत चिकित्सकों के साथ कुठाराघात कर रही है।
पूर्व में भी सेवारत चिकित्सकों एवं राज्य सरकार के बीच २०११ में मांगों के सम्बंध में समझोता हुआ थां। जिसके तहत सेवारत चिकित्सकों को प्रत्येक ६ वर्श पर डी.ए.सी.पी. का लाभ, एरीयर भुगतान, कैडर, एक पारी चिकित्सालय संचालन एवं अन्य मुख्य मांगों को भी आष्वासन के आधार पर काफी समय से टालमटोल की नीति राज्य सरकार द्वारा अपनाई जा रही है।
राज्य सेवारत चिकित्सकों में व्यापक तौर पर रोश व्याप्त हैं और बार-बार के आष्वासनों से आहत है।
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