कोटा(डॉ.प्रभात कुमार सिंघल)| सेवा ,इच्छाशक्ति और कुछ कर दिखाने की भावना हो तो विषम एवम् विपरीत स्थितियों में भी बेहतर परिणाम मिलते है। परिस्थितियों को अनुकूल न समझते हुए ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सको का मन नही लगता।हर समय इसी जुगाड़ में लगे रहते है कैसे भी यहां से छुटकारा मिले।जब की ग्रामीण इलाको में चिकित्सा सेवाओं और चिकित्सक की जरुरत ज्यादा रहती है।
चिकित्सक बनने पर सेवा भावनाऔर कुछ करगुजरने की इच्छाशक्ति के साथ जब बाल रोग एवम् शिशु रोग वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.(श्रीमती) मंजू नागर की ग्रामीण पोस्टिंग कोटा ज़िले के मंडाना प्राथमिक स्वस्थ केंद्र पर हुई तो वे ख़ुशी ख़ुशी वहाँ चली गई। वहाँ पाया कि महिलाओं के प्रसव करने की कोई व्यवस्था नही थी। प्रसव के लिए महिलाओं को कोटा जाना पड़ता था। बरसात में तो आसपास से मडाना
आना भी परेसानी का सबब रहता था।
ईस्वर का नाम लेकर काम शुरू किया। डॉ .नागर अपनी सेवा एवम् मधुर व्यवहार से वहाँ की जनता के बीच लोकप्रिय होने लगी। सभी का सही उपचार,टीकाकरण, परिवार नियोजन, कित्सिय परामर्श के साथ साथ अपनी रिश्क पर प्रसव कराने की पहल की।दो चार सुरक्षित प्रसवों से आत्मविश्वास बढ़ा और अब क्या था प्रसूति महिलाओ को कोटा नही जाना पड़ा। सामान्य सेफ डिलिवरी होने लगी। एक केस में सुरक्षित ट्विन्स प्रसव सफलता पूर्वक कराने पर इन्हें बड़ा संतोष है। बिना सुविधा के कई बलिडिंग कैसो में डी एन सी सफलता से कराई।
जब तेज बरसात से बाढ़ आजाती तो खानपुर पोस्टिंग के दौरान घुटनो घुटनो पानी में भी मरीज को देखने जाने में किसी प्रकार का गुरेज नही करती थी। यहां एक प्रसव कराते समय शिशु का हेड अटक गया तो उसे इसी अवस्था में उसके साथ जाकर झालावाड़ में सफल प्रसव कराया। लोग इस बात के भी कायल थे कि यह हमेशा ड्यूटी पर न केवल मौजूद रहती थी वरन् जरुरत के अनुसार पूरी रात बिता देती थी। आपने पी.जी. के दौरान एक बच्चे को पानी में डूबने के बाद 30-30 घंटे आई सी यू में लगातार ड्यूटी कर बचाया ,इस वाकिये को ये कभी नही भूलती।
डॉ.नागर बताती है मुझे ग्रामीण क्षेत्रो में काम करने में जिस प्रकार सन्तोष मिला वहः कभी नही भूल सकती। सुविधाओ के आभाव में ही चिकित्सक ग्रामीण इलाको में नही रहना चाहते है।
वर्तमान में कोटा के जे.के.लॉन महिला एवम् बाल रोग चिकित्सालय में वरिष्ठ शिशु रोग चिकित्सक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है। विगत चार वर्षो से केंद्रीय ओषधि भंडार की प्रभारी भी है। आप शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिये प्रशिक्षण प्रभारी भी है और डॉक्टर्स व् स्टाफ को प्रशिक्षण प्रदान करती है।
आपकी उत्कृष्ठ सेवाओ के लिए कई बार गणतंत्र दिवस एवम् स्वाधीनता दिवस पर हास्पिटल अधीक्षक द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
डॉ.नागर की प्राम्भिक शिक्षा कोटा में हुई तथा आर.एन.टी.मेडिकल कॉलेज उदयपुर से एम्.बी.बी.एस. तथा पी.जी. की डिग्री प्राप्त की।आपने जयपुर से IMNCI,FINCI एवम् NSSK में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। डॉ.आर.पी.नागर के घर 27 सितम्बर 1971 को जन्मी मंजू का बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना था। मरीजो की से से इन्हें परम् सन्तोष मिलता है।अभिरुचि में संगीत सुनने का शौक है।
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